क्रिकेट में एक कहावत है, ‘पकड़ो कैच जीतो मैच’ लेकिन फिर भी मैच में कैच छूटना बड़ी बात नहीं है। हालांकि यह देखा गया है कि एक कैच के छूटने या पकड़ में आने से मैच का नतीजा बदल जाता है। लेकिन फिर भी कैच छूटने को इतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता। लेकिन क्या आप जानते हैं कि औसतन एक टेस्ट में सात कैच छूट जाते हैं। यह आंकड़ा क्रिकेट स्टैटिस्टिशन चार्ल्स डेविड की रिपोर्ट में सामने आया है। उन्होंने साल 2003 से लेकर 2015 के सभी टेस्ट मैचों का अध्ययन किया और इसके बाद निष्कर्ष जारी किया है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार कैच लेने के मामले में भारतीय क्रिकेट टीम का रिकॉर्ड अच्छा नहीं है। भारतीय फील्डर टेस्ट मैचों में 100 में से 26 कैच टपका देते हैं। कैच छोड़ने के मामले में भारत चौथे पायदान पर है। उससे ऊपर केवल बांग्लादेश, जिम्बाब्वे और पाकिस्तान ही है। भारत ने 2003-2009 के बीच 24.6 प्रतिशत कैच छोड़े। वहीं 2010-2015 के बीच यह आंकड़ा बढ़कर 27.2 प्रतिशत हो गया। न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया सबसे कम कैच छोड़ती हैं।
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इस रिपोर्ट के अनुसार वीरेंद्र सहवाग सबसे ज्यादा लकी रहे। उनके 68 कैच छोड़े गए। उनके बाद श्रीलंका के कुमार संगकारा का नाम आता है जिनके 67 कैच छूटे। कैच छोड़ना कई बार महंगा भी पड़ा है। 2002 में इंजमाम उल हक ने 32 रन पर जीवनदान मिलने के बाद 329 रन बना दिए थे। इसी तरह मार्क टेलर ने 18 व 27 रन कैच छूटने के बाद नाबाद 334, शून्य पर बचने के बाद कुमार संगकारा ने 270 और सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 248 रन की पारियां खेली। डेविस के डाटा के अनुसार सबसे ज्यादा मौके स्पिनर्स की गेंदों पर छोड़े गए। स्पिनर्स के 27 प्रतिशत मौके छोड़ दिए गए। सबसे ज्यादा हरभजन सिंह की गेंदों पर कैच व स्टंप मिस किए गए। उनकी गेंदों पर 99 मौके छोड़े गए। इनमें उनके शुरुआती कॅरियर का डाटा नहीं जोड़ा गया है। वहीं तेज गेंदबाजों में जेम्स एंडरसन की गेंदों पर मौके गंवाए गए।
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कैच छोड़ने में खुद गेंदबाज सबसे आगे हैं। दुनिया भर के गेंदबाजों ने अपनी ही गेंदों पर कैच के 47 प्रतिशत मौके गंवा दिए। वहीं सबसे ज्यादा कैच शॉर्ट लेग पर छूटते हैं। इस जगह पर 38% कैच टपकाए गए हैं। गली और फाइन लेग पर 30-30% कैच छूटे हैं। 2005 में जहीर खान की गेंदों पर भारतीय फील्डर्स ने जिम्बाब्वे के बल्लेबाज एंडी बिलग्नॉट के लगातार तीन कैच छोड़े थे। रिपोर्ट तैयार करने के पीरियड में यह इकलौता मौका है जब किसी बैट्समैन का हैट्रिक कैच छूटा। बिलग्नॉट ने उस पारी में 84 रन बनाए थे और उनके कुल पांच कैच छूटे थे।
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दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ दुनिया के सबसे सेफ फील्डर थे। उन्होंने केवल 14 प्रतिशत टपकाए। अगस्त 2012 से फरवरी 2013 के बीच उन्होंने एक भी कैच छोड़े बिना 25 कैच लपके थे। सबसे ज्यादा कैच छोड़ने वाली लिस्ट में उमर गुल सबसे ऊपर हैं। उन्होंने 11 कैच पकड़े और 14 छोड़े। साल 2006 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट में 12 कैच छोड़े थे जो कि सबसे ज्यादा हैं। यही नहीं 1985 में भारत ने कोलंबो टेस्ट में पहले ही दिन सात कैच टपका दिए थे। इसी तरह साल 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी टेस्ट में 10 ओवर्स के अंदर टीम इंडिया ने छह कैच छोड़े।
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अगर विकेटकीपर्स की बात करें तो दक्षिण अफ्रीका ने सबसे ज्यादा 364 मौके गंवाएं लेकिन यह उनके कुल कैच का केवल 10 प्रतिशत है। वे दुनिया के सबसे बढि़या विकेटकीपर्स में से एक हैं। भारत के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का रिकॉर्ड यहां खराब है। धोनी ने 18 प्रतिशत मौके गंवाएं। हालांकि उनके पक्ष में एक बात यह भी है कि सबसे ज्यादा स्पिन बॉलिंग का सामना भी उन्होंने ही किया।