महेंद्र सिंह धोनी एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार आलोचकों ने उनके बल्लेबाजी क्रम को लेकर सवाल उठाए हैं। धोनी आइपीएल में ज्यादातर समय छठे या सातवें स्थान पर बल्लेबाजी के लिए उतरते हैं। इस सत्र में भी वे पहले मैच में मुंबई के खिलाफ और दूसरे मैच में राजस्थान के खिलाफ बल्लेबाजी के लिए इन्हीं क्रम में आए। मुंबई के खिलाफ चेन्नई को जीत मिली और कप्तान दो गेंद खेलकर बिना रन बनाए नाबाद लौटे। दूसरे मैच में उनकी निचले क्रम में उतरने की रणनीति भारी पड़ी। राजस्थान के खिलाफ चेन्नई को 16 रन से हार मिली। इसी मैच के बाद धोनी के फैसले की आलोचना होने लगी। दिग्गजों का मानना है कि अगर वे इस मैच में पहले बल्लेबाजी के लिए आते तो टीम जीत सकती थी।
दरअसल, राजस्थान के खिलाफ मैच में धोनी से पहले ऋतुराज गायकवाड़ और केदार जाधव बल्लेबाजी के लिए आए। दोनों खिलाड़ी कुछ खास नहीं कर पाए और जल्दी पवेलियन लौटे। 217 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम के बल्लेबाज सस्ते में आउट हो जाएं तो जाहिर है कि दबाव बढ़ जाएगा। जाधव के बाद धोनी बल्लेबाजी के लिए उतरे। तब तक जीत के लिए अपेक्षित रन रेट 16-17 के करीब पहुंच चुका था। धोनी को पिच के साथ सामंजस्य बैठान में भी समय लगा। तब तक काफी देर हो गई। हालांकि अपने चिर-परिचित अंदाज में उन्होंने अंतिम ओवर में लगातार तीन छक्के जमाए, लेकिन जीत की दहलीज पर पहुंचकर भी टीम हार गई। दिग्गजों का मानना है कि अगर वे सैम कुरैन के पवेलियन लौटने के तुरंत बाद बल्लेबाजी के लिए आते तो मैच का नजारा कुछ और ही होता।
इन आलोचनाओं के बाद भी धोनी अपने फैसले से पीछे नहीं हटे। अगले मैच में दिल्ली के खिलाफ वे निचले क्रम में ही बल्लेबाजी के लिए उतरे और 12 गेंद में 15 रन बनाकर पवेलियन की ओर चले गए। टीम एक बार फिर 44 रन से हार गई। अब सवाल यह है कि जिस टीम को और जिस कप्तान को जीत के लिए जाना जाता रहा है वह लगातार ऐसी गलती क्यों कर रहे हैं। धोनी भले ही साहसी और दंग करने वाले फैसलों के लिए जाने जाते हों, लेकिन जो हार तक ले जाए ऐसे फैसलों की क्या जरूरत है। इन सवालों के जवाब मनगढंÞत आकलन से देना मुमकिन नहीं है। इसके लिए पुख्ता सबूत की जरूरत है।
धोनी के आइपीएल में बनाए रनों को उनके बल्लेबाजी क्रम के अनुसार देखें तो उनके फैसले को समझना आसान हो जाता है। दुनिया के बेहतरीन मैच फिनिशर कहे जाने वाले धोनी ने निचले क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए ही टीम को कई मैच जिताए। हालांकि वे एक ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने लगभग हर क्रम में बल्लेबाजी कर शतक बनाए। यह बड़ी उपलब्धि है। इससे उनके किसी भी क्रम में उतरने को सही करार दिया जा सकता है।
धोनी के एकदिवसीय मैचों में बल्लेबाजी के आंकड़ों पर ध्यान दें तो उन्होंने सबसे बेहतर औसत से नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए रन बनाए हैं। हालांकि इस नंबर पर वे 16 बार ही बल्लेबाजी के लिए आए। छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने करिअर का सबसे अधिक 4164 रन बनाए और वो भी करीब 47 के औसत से। इस क्रम में उन्होंने 129 पारी खेली। इसके बाद पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए उनके खाते में 83 पारी में 3169 रन दर्ज हैं। वहीं सातवें नंबर पर उन्होंने 34 पारी खेली और 44.76 के औसत से 940 रन बनाए।
बल्लेबाजी में क्यों नीचे आते हैं कप्तान
विशेषज्ञों की माने तो महेंद्र सिंह धोनी के निचले क्रम में बल्लेबाजी के कारण टीम को मजबूती मिलती है। उनके सातवें स्थान पर उतरने का मतलब है कि टीम में एक से सात नंबर तक बल्लेबाजी हैं। इससे मानसिक तौर पर भी विरोधी टीम को मात देना आसान हो जाता है। निचले क्रम में बल्लेबाजी के कारण ही वे ज्यादातर मैचों को नतीजे तक पहुंचाने में कामयाब होते हैं। साथ ही डेथ ओवरों में गेंदबाजों पर दबाव भी बना रहता है।