संदीप भूषण
आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में जबरदस्त प्रदर्शन से भारतीय टीम के हौसले बुलंद हैं। टीम इन विदेशी दौरों पर इतिहास रचने में कामयाब रही है। एक तरफ जहां आस्ट्रेलियाई धरती पर ब्लू टाइगर्स ने 72 साल बाद फतह हासिल की, वहीं कीवियों को भी उन्हीं की धरती पर धूल चटाया। इस जीत में सबसे ज्यादा योगदान गेंदबाजों का रहा। जब-जब टीम की बल्लेबाजी लड़खड़ाई, गेंदबाजों ने अपनी धार से विपक्षी टीम को ध्वस्त किया। इस गेंदबाजी आक्रमण में जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और हार्दिक पंड्या से लेकर कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल तक शामिल रहे। लेकिन, इनमें एक गेंदबाज ऐसा भी है जिसने बीते एक साल में पारिवारिक समस्याओं से जूझते हुए उम्दा गेंदबाजी की है। उन्होंने अपनी लाइन और लेंथ से लगातार प्रभावित किया है। साथ ही समय पड़ने पर दोनों तरफ स्विंग कराने में माहिर भी हैं। जहीर खान के संन्यास के बाद रिवर्स स्विंग का जिम्मा भी इसी गेंदबाज के कंधों पर है। जी हां, उनका नाम है मोहम्मद शमी।
शमी 2018 की शुरुआत से ही बेहतरीन गेंदबाजी कर रहे हैं। चाहे घरेलू मैदान हो या विदेशी पिच, उन्हें कहीं भी दिक्कत नहीं हुई। साथ ही उनकी सटीक गेंदबाजी ने तो चयनकर्ताओं को भी कायल कर दिया है। 2015 विश्व कप में भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में दूसरे स्थान पर रहे शमी ने 2018 में उपमहाद्वीप के बाहर काफी बेहतर गेंदबाजी की है। टैस्ट के शानदार फॉर्म को उन्होंने 50 ओवर के प्रारूप में भी जारी रखा है। यही कारण है कि उन्हें विश्व कप की 15 सदस्यीय टीम का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। इंग्लैंड में 98 दिन बाद शुरू होने वाले विश्व कप तक अगर वे खुद को चोट से बचा लेते हैं तो इसमें कोई दो राय नहीं कि उन्हें टीम में प्रमुख गेंदबाज के रूप में शामिल किया जाएगा।
घरेलू क्रिकेट के कुछ प्रशिक्षकों का मानना है कि उनके विदेशों में सफल होने का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू उनकी फिटनेस है। उन्होंने अपनी फिटनेस पर काफी काम किया है। उन्होंने अपना वजन भी घटाया है। उनकी गेंदें बहुत ज्यादा तेज नहीं है लेकिन सटीक लाइन और लेंथ के कारण वे काफी घातक साबित होती हैं। साथ ही उनके पास दोनों तरफ गेंद स्विंग कराने की भी काबिलियत है।
शमी के प्रदर्शन को आंकड़ों के तराजू पर तोलें तो अक्तूबर 2018 के बाद से उन्होंने एकदिवसीय मैचों की नौ पारियों में 17 विकेट चटकाए हैं। इस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 27.7 का रहा है। वहीं पिछले छह एकदिवसीय की बात करें तो उन्होंने कुल 12 विकेट अपने खाते में जोड़े हैं जिसकी मदद से भारत ने आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में शृंखला जीती। वहीं इस पूरे साल की बात करें तो शमी ने टैस्ट क्रिकेट में तो धमाल ही कर दिया। उन्होंने 2018 में कुल 47 विकेट अपनी झोली में डाले।
वह इस साल विकेट चटकाने के मामले में सिर्फ जसप्रीत बुमराह से एक विकेट ही पीछे रहे जिनके नाम कुल 48 विकेट दर्ज हैं।
उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय टीम के लिए तीसरे सबसे विश्वसनीय तेज गेंदबाज में शामिल कर दिया है। भारत के बाहर उनकी सफलता को देखते हुए विश्व कप के लिए भी उन्हें प्राथमिकता देने की बात पक्की हो गई है। भुवनेश्वर कुमार हों या जसप्रीत बुमराह दोनों के साथ ही इनकी जोड़ी काफी कमाल कर रही है। बुमराह पहले से ही टीम में शामिल हैं। भुवनेश्वर कुमार की भी जगह पक्की है। अब टीम में तीसरे तेज गेंदबाज के तौर पर कई सारे विकल्प हैं लेकिन शमी का प्रदर्शन उन्हें तीसरे पेसर की जगह पक्की दावेदारी दिलाता है।