बारिश से प्रभावित क्रिकेट मैचों में परिणाम निर्धारित करने के लिए डकवर्थ-लुईस (बाद में डकवर्थ-लुईस-स्टर्न) पद्धति के आविष्कारकों में से एक फ्रैंक डकवर्थ का 21 जून 2024 (मंगलवार) को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। टोनी लुईस की 2020 में 78 साल की उम्र में ही निधन हो गया था।

अंग्रेजी सांख्यिकीविद ( Statistician) डकवर्थ और टोनी लुईस द्वारा तैयार की गई इस पद्धति का पहली बार 1997 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस्तेमाल किया गया था। 2001 में आईसीसी ने इसे औपचारिक से ओवर की कटौती होने पर मैच रूप से काटे गए में संशोधित लक्ष्य निर्धारित करने के मानक के तौर पर अपनाया था।

डीएलएस पद्धति काफी जटिल

डीएलएस पद्धति एक जटिल सांख्यिकीय विश्लेषण पर आधारित है, जो बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम के लिए संशोधित लक्ष्य निर्धारित करने के लिए अन्य शेष विकेट और समाप्त हुए ओवर जैसे कई फैक्टर को ध्यान में रखती है। इत्तेफाक की बात यह है कि डकवर्थ के निधन के ही दिन इस नियम का इस्तेमाल हुआ। टी20 वर्ल्ड कप 2024 में अफगानिस्तान के खिलाफ बारिश प्रभावित मैच में बांग्लादेश को संशोधित लक्ष्य मिला।

डीएल कैसे बना डीएलएस

2014 में डकवर्थ और लुईस के रिटायरमेंट और ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकीविद् स्टीवन स्टर्न द्वारा प्रणाली में किए गए संशोधनों के बाद इसका नाम बदलकर डकवर्थ-लुईस-स्टर्न पद्धति कर दिया गया। डकवर्थ और लुईस दोनों को जून 2010 में मेंबर ऑफ द ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश अंपायर (MBE) से सम्मानित किया गया था।

क्रिकेट को कैसी मिली डीएल पद्धति

डीएल पद्धति ने बारिश को लेकर नियम की जगह ली, जिसका इस्तेमाल पहले बाधित मैचों में लक्ष्य निर्धारित करने के लिए किया जाता था। 1992 के वनडे वर्ल्ड कप सेमीफाइनल के दौरान इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका के बीच सिडनी में लक्ष्य निर्धारित करने को लेकर दुविधा हुई थी। बारिश से पहले अफ्रीका को 13 गेंद पर 22 रन चाहिए थे। बारिश के बाद उसे 1 गेंद पर 22 रन का लक्ष्य दे दिया गया था।