पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के बारे में अक्सर कहा जाता है कि उनमें टीम के साथी खिलाड़ियों की क्षमताओं को पहचानने की काबिलियत है। इसीलिए कप्तानी के दौरान धोनी खिलाड़यों को लेकर नए-नए प्रयोगों की वजह से खासे चर्चा में बने रहे। धोनी ही टीम इंडिया के वो कप्तान थे जिनके कौशल ने सीमित ओवर में टीम इंडिया को नया ओपनर दिया। बैंगलोर में आयोजित इंटरैक्टिव सीजन में खुद धोनी ने इसे लेकर खुलासा किया था। उन्होंने कहा कि साल 2007 में टीम इंडिया की तरफ से अपना पहला वनडे खेलने वाले रोहित शर्मा को ओपनिंग करने के लिए उन्होंने ही प्रोत्साहित किया था। जबकि उस दौरान रोहित मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी करते थे और सहवाग ओपनिंग करते थे। धोनी का यहीं निर्णय रोहित के करियर के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। धोनी ने कहा, ‘हमें वो देखना था जो दूसरे नहीं देख सके। रोहित शर्मा इसका सबसे बेस्ट उदाहरण हैं। उन्होंने सीमित ओवरों में ओपनिंग के चैलेंज को स्वीकार किया। और आज वर्तमान क्रिकेट में सबसे बेस्ट ओपनरों में से एक हैं। एक टाइम पर आपको आउट ऑफ दा बॉक्स सोचना होता है। हमने रोहित जैसे प्रतिभावान खिलाड़ी को टैलेंट को पहचाना। मुझे रोहित को ओपनर के रूप में खिलाना था।’

बता दें कि धोनी ने साल 2013 में रोहित शर्मा के साथ पारी की शुरुआत कराने का निर्णय लिया। उनका यह निर्णय टीम इंडिया के चैंपियन बनने की राह में मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ। लेकिन उन्होंने जब ये निर्णय लिया तब लोग इस निर्णय से चकित हो गए थे। हालांकि इसके बाद से रोहित शर्मा वनडे और टी-20 में ओपनिंग बल्लेबाज के रुप में स्थापित हो गए। बता दें कि धोनी ने कप्तान रहते रोहित शर्मा का पूरी तरह समर्थन किया इसके लिए उनकी कई बार कड़ी आलोचना भी हुई। लेकिन ओपनर के रूप में टीम इंडिया के लिए खेलने के बाद उनके करियर की दिशा ही बदल गई। श्रीलंका दौरे के लिए उन्हें टीम का उपकप्तान भी घोषित किया गया है। धोनी ने कहा, किसी भी खिलाड़ी को विश्वास देना बेहद जरूरी होता है। वो आपकी जरूरतो के अनुरूप है या नहीं ये बात उसके प्रदर्शन से जाहिर होती है। जब आपकी टीम के 5-6 खिलाड़ी प्रदर्शन कर रहे होते हैं और आपको मैचों में हार मिल रही हो।

ऐसे में आप एक खिलाड़ी को ज्यादा मौके नहीं दे सकते। यदि आप 3-4 मैच हार जाते हैं तो आपको बदलाव करने होते हैं। धोनी ने आगे कहा, यदि आप हमेशा एक ही जैसी टीम के साथ खेलते रहते हैं तो आपको अपनी बेंच स्ट्रेन्थ को आजमाने का मौका नहीं मिलता कि कौन सा खिलाड़ी क्या कर सकता है। ये थोड़ा जटिल काम है लेकिन ऐसे में जो चीज काम करती है वह ये कि किसी खिलाड़ी को आप विश्वास दिलाने के लिए जितने मौके देना संभव हों दें। ऐसे में खिलाड़ी अच्छा और खुलकर प्रदर्शन करता है। गौरतलब है कि श्रीलंका दौरे पर पहुंची टीम इंडिया टेस्ट में विरोधी टीम का सूपड़ा साफ करने के बाद आज (20 अगस्त) वनडे में भी जीत की लय बरकरार रखने के इरादे से खेलेंगी।