पैसा सा मिला, पहचान बढ़ी, सुर्खियां मिलीं, लोगों की जुबां पर महिला क्रिकेटरों का नाम आया – इंग्लैंड में हुए विश्व कप ने भारतीय महिला क्रिकेट की तस्वीर बदल दी है। इस विश्व कप ने साबित कर दिया है कि महिला क्रिकेटरों में भी दम है। महिला क्रिकेटरों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन से स्टार क्रिकेटरों को भी अपना कायल बना लिया। इस विश्व कप में शतक बने, कई शतकीय साझेदारियां हुईं, गेंदबाजों ने पांच या उससे ज्यादा विकेट लिए, बेहतरीन कैच लपके गए, शानदार स्टंपिंग व रन आउट किए गए, अपनी बाजुओं की ताकत दिखाते हुए खिलाड़ियों ने चौके-छक्कों की बरसात की। 2017 आइसीसी महिला विश्व कप टीम की कमान मिताली राज को मिलना भी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। इस टीम में हरमनप्रीत कौर और दीप्ति शर्मा को भी जगह मिली। हमें इस बात पर भी नाज हो सकता है कि आज पांच विश्व रेकॉर्ड भारतीय महिला क्रिकेटरों के नाम हैं। इनमें से तीन मिताली के नाम हैं। उन्होंने वनडे में सर्वाधिक रन (6190) बनाए हैं। लगातार सात अर्धशतक लगाए हैं और सबसे कम उम्र में शतक लगाने का रेकॉर्ड उन्हीं के नाम है। झूलन गोस्वामी (195 विकेट) वनडे में सर्वाधिक विकेट लेने वाली खिलाड़ी हैं। दीप्ति शर्मा और पूनम राउत ने इस प्रारूप में पहले विकेट के लिए 320 रन जोड़े जो रेकॉर्ड है।

भारत और इंग्लैंड के बीच कप की जंग उसी मैदान पर थी, जहां 34 साल पहले कपिल देव के नेतृत्व में भारत ने क्रिकेट विश्व कप जीता था। भारतीय महिला क्रिकेट टीम विश्व चैंपियन बनने का सपना संजोये उतरी थी। तीन विकेट पर 191 के स्कोर तक खिताब पर पकड़ उसकी बनी थी। लेकिन तब शुरू हुआ विकेटों का नाटकीय पतन। केवल 28 रन पर सात बल्लेबाजों की पेवेलियन वापसी हो गई। दूसरी बार खिताबी कोशिश में भी भारत का सपना साकार नहीं हो पाया। 2005 के फाइनल में उसे आस्ट्रेलिया के हाथों शिकस्त मिली थी। हार की मायूसी टीम के हर खिलाड़ी को होती है। लेकिन इसकी सबसे ज्यादा चुभन कप्तान मिताली राज और तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी को हुई। इन दो अनुभवी खिलाड़ियों के लिए शायद सपना साकार करने का यह आखिरी मौका था। जब साथी क्रिकेटरों से उनको ज्यादा सहयोग की जरूरत पड़ी, तो मिशन फेल हो गया। वैसे हर मैच के साथ एक नया विजेता खिलाड़ी उभरा। सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ हरमनप्रीत कौर की 115 गेंदों पर खेली गई 171 नाट आउट की पारी उल्लेखनीय रही। इस ताबड़तोड़ पारी को विश्व कप ही नहीं, महिला वनडे क्रिकेट की सवर्कालीन बेहतरीन पारियों में रखा जा सकता है।

इसी विश्व कप के दौरान महिला वनडे क्रिकेट में छह हजार रन बनाने वाली पहली खिलाड़ी बनी मिताली राज ने भी कई बढ़िया पारियां खेलीं। मिताली (409 रन) एक ही विश्व कप में 400 से ज्यादा रन बनाने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। सलामी बल्लेबाज के तौर पर पूनम राउत ने अपनी बल्लेबाजी तकनीक की छाप छोड़ी। उन्होंने एक शतक और दो बार अर्धशतक बनाए। खब्बू ओपनर स्मृति मंधाना ने पहले दो मैचों में शतक और 90 रन बनाकर अपनी प्रतिभा की चमक बिखेरी। लेकिन बाद में उनकी फार्म गड़बड़ा गई। क्षेत्ररक्षण में काफी सुधार की गुंजाइश है। मानसिक तौर पर भारतीय खिलाड़ियों को और मजबूत बनना होगा।इस टीम में काफी युवा खिलाड़ी हैं जिनके पास अनुभव की कमी थी। टीम उसी इंग्लैंड से हार गई जिसे प्रभावशाली तरीके से हराकर उसने अपना सफर शुरू किया था। अनुभव के मामले में इंग्लैंड कहीं आगे था। तुलना कीजिए जब 1973 में पहला विश्व कप हुआ था तो इंग्लैंड चैंपियन बना था। तब भारतीय महिला क्रिकेट अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही थी। शांता रंगास्वामी, डायना एडुलजी, संध्या अग्रवाल, मिताली राज और झूलन गोस्वामी जैसी सितारा खिलाड़ियों ने महिला क्रिकेट को प्रगति पथ पर डाला है। बेहतरीन सुविधाएं और विकास के लक्ष्य के साथ बीसीसीआइ को आगे का काम करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि हमें महिला क्रिकेट टीम के प्रदर्शन पर गर्व है। रेलमंत्री ने रेलवे की खिलाड़ियों को आउट आफ टर्न प्रोमोशन की बात कही है। मिताली राज को बीएमडब्लू कार देने की घोषणा हुई है। ये सभी महिला क्रिकेट के बेहतर भविष्य के संकेत हैं। उम्मीद है कि नई पौध इससे प्रेरित होकर अधूरे रह गए सपनों को पूरा करेगी।
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