ऑस्ट्रेलिया के स्टार बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा के बड़े भाई अर्सलान तारिक ख्वाजा को साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई गई है। अर्सलान तारिक ख्वाजा को फर्जी आतंकी साजिश रच सहकर्मी कामेर निजामदीन को फंसाने के लिए गुरुवार को जेल भेज दिया गया। अर्सलान ने स्वीकार किया कि उन्होंने जलनवश ऐसा किया। दरअसल, अर्सलान और कामेर निजामदीन की एक कॉमन महिला फ्रेंड थी। महिला मित्र की कामेर से नजदीकियां बढ़ गई थीं। इस कारण अर्सलान ने ऐसी हरकत की।
अर्सलान तारिक ख्वाजा ने स्वीकार किया कि उन्होंने अगस्त 2018 में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के सहकर्मी कामेर निजामदीन की नोटबुक में फर्जी बातें लिख दी थी। निजामदीन को गिरफ्तार किया गया था और मीडिया में उसे गलत तरीके से आतंकवादी घोषित कर दिया गया था। हालांकि, बाद में पुलिस जांच में पता चला की उसे फंसाया गया है। अर्सलान ने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने 2017 में भी प्यार के मामले में ईर्ष्या होने के कारण एक अन्य आदमी के खिलाफ आधिकारियों से फोन कर वीजा और आतंकवाद का आरोप लगाया था।
जांच के दौरान हैंडराइटिंग एक्सपर्ट भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचे कि निजामदीन की नोटबुक में जो साजिश पाई गई है, वह अर्सलान तारिक ख्वाजा की ही है। इसके बाद 2018 के अंत में उस्मान ख्वाजा के बड़े भाई अर्सलान को गिरफ्तार किया गया था। ख्वाजा ने एक नोटबुक के कम से कम 22 पृष्ठों पर प्रविष्टियां की और इसे विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को सौंप दिया।
अर्सलान तारिक ख्वाजा द्वारा उस नोटबुक में ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल और गवर्नर-जनरल के साथ-साथ पुलिस स्टेशनों पर आतंकी हमला करने की बात लिखी गई थी। जिन पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमले की बात कही गई थी, उनके नाम भी लिखे गए थे। इसके अलावा मेलबर्न में बॉक्सिंग डे क्रिकेट टेस्ट मैच और अन्य स्थलों पर हमले की धमकी थी।
न्यू साउथ वेल्स जिला कोर्ट में न्यायाधीश रॉबर्ट वेबर ने 40 साल के अर्सलान को दो साल और छह महीने की गैर-पैरोल अवधि के साथ चार साल और छह महीने की जेल की सजा सुनाई। जज रॉबर्ट वेबर ने कहा, ‘ख्वाजा का यह कृत्य ‘माफी के लायक नहीं’ है, जो सच और ‘भयानक’ है, जिससे निजामदीन की प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ।’ उस्मान ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 44 टेस्ट और 40 एकदिवसीय खेले है। उन्होंने अपने बड़े भाई को सजा सुनाए जाने के बाद कहा, ‘वह अब तक एक आदर्श नागरिक थे। इस घटना से पहले वह अच्छे नागरिक थे।’