Happy birthday M.S. Dhoni: कप्तान कूल के नाम से मशहूर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और मौजूदा विकेटकीपर बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी का आज 38वां जन्मदिन है। 7 जुलाई 1981 को झारखंड (तब बिहार) के रांची में जन्म लेने वाले धोनी ने क्रिकेट के मैदान पर एक अलग छाप छोड़ी। सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, ज़हीर खान, युवराज सिंह जैसे दिग्गजों के बीच खेलते हुए धोनी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई और अपनी कप्तानी में 28 साल बाद भारत को विश्वकप जिताया। धोनी की इस सफलता के पीछे बहुत से लोगों का हाथ है। उनके बचपन के कोच केशव रंजन बनर्जी से लेकर मेकोन स्टेडियम के प्रभारी उमा कांत जेना तक सब ने धोनी की मदद की है। 2016 में उनके जीवन पर बनी बॉलीवुड फिल्म ‘एमएस धौनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ में इन सभी किरदारों का जिक्र है। उनकी फिल्म में उनके बचपन के कोच केशव रंजन बनर्जी का किरदार भी है जिसे फिल्म में राजेश शर्मा ने निभाया है। लेकिन कोच बनर्जी अब इस बात से खुश नहीं है।
दरअसल कोच बनर्जी का कहना है की कुछ लोग उनसे पूछते हैं कि क्या फिल्म में अपने किरदार के लिए उन्होंने पैसे लिए थे। उनसे बार-बार ये पूछे जाने पर वो परेशान हो गए हैं और अब उन्हें इस बात से चिढ़ होने लगी है। कोच ने कहा ” ‘मैं उनका जैविक पिता नहीं हूं, लेकिन पिता तुल्य हूं। क्या कभी कोई पिता अपने बेटे से कुछ मांगता है।” बनर्जी ने धोनी की तारीफ करते हुए कहा ” वह काफी शर्मीला लड़का था और अब भी है। वह हमेशा अपनी हंसी में अपनी भावनाओं को छिपा लेता है। क्रिकेट उसे बेहद पसंद था और वह जनता था कि क्रिकेट ही उसे और उसके परिवार को वह जीवन दे सकता है जो वह चाहता है।” बनर्जी से धोनी को लेकर एक और किस्सा बताया। उन्होंने कहा “मैं अपनी पत्नी को इलाज के लिए वेल्लूर ले जाना चाहता था और हमें तीन महीने बाद का समय मिला था। तभी मैंने धोनी से बात की और पूछा था कि क्या वह मदद कर सकता है। 15 दिन के भीतर हमें वेल्लूर से फोन आया और मेरी पत्नी का समय पर इलाज हो गया। मुझे नहीं पता कि उसने किसे फोन किया।”
माही खेल के साथ-साथ पढाई में भी अच्छे थे। धोनी स्कूल में एक औसत छात्र थे। धोनी को पढ़ने वाली उनकी शिक्षिका सुषमा शुक्ला ने बताया कि धोनी स्कूल में काफी शांत थे। सुषमा ने माही को सातवीं और आठवीं में उसे जीव विज्ञान पढ़ाया है। उन्होंने कहा ” मुझे याद है कि मैंने उससे पूछा था ‘महेंद्र, तुम सिंह हो या धौनी? उसने जवाब दिया था, ‘मैडम, हम सिंह भी हैं और धौनी भी। क्रिकेट के लिए पूरी तरह समर्पित होने के बावजूद वह 60 प्रतिशत अंक ले आता था। एक बार धोनी ने जीव विज्ञान की एक परीक्षा क्रिकेट मैच के चलते छोड़ दी थी।