सुप्रीम कोर्ट ने एक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर खुद को भगवान के रूप में दर्शाकर कथित तौर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए महेंद्र सिंह धोनी के खिलाफ दायर आपराधिक मामले को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुआई वाली पीठ ने धोनी को राहत देते हुए कहा कि कर्नाटक की निचली अदालत ने कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना इस क्रिकेटर को समन भेजने की गलती की।
पीठ ने कहा कि हम हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करके इस मामले को खारिज करते हैं जिसमें आरोपी को समन भेजने का आदेश भी शामिल है। हमने यह आदेश पारित करते हुए शिकायत और कथित अपराध को संज्ञान में लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 सितंबर को धोनी के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया चलाने पर रोक लगा दी थी। धोनी के खिलाफ एक पत्रिका के मुखपृष्ठ पर कथित तौर पर खुद को भगवान विष्णु के रूप में दर्शाने को लेकर शिकायत की गई थी।
न्यायालय ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश पर भी रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने इस क्रिकेटर के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। धोनी ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। सामाजिक कार्यकर्ता जयकुमार हीरमथ ने याचिका दायर करके आरोप लगाया था कि धोनी को एक बिजनेस पत्रिका के मुखपृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में दिखाया गया है। उनके हाथों में कई चीजें हैं जिनमें जूता भी शामिल है। शिकायत पर संज्ञान लेते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने धोनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (धार्मिक भावनाएं आहत करने से संबंधित) के अलावा धारा 34 (इरादतन) के तहत मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे। बाद में मजिस्टेÑट ने धोनी को अदालत में उपस्थित होने के लिए समन जारी किया था जिसके खिलाफ वह सुप्रीम कोर्ट चले गए थे।

