प्रशासकों की समिति ने आईसीसी से कहा है कि हाल ही में दुबई में हुई आईसीसी बोर्ड की बैठक में लिये गए फैसलों को बीसीसीआई नहीं मानेगा क्योंकि अमिताभ चौधरी भारत के अधिकृत प्रतिनिधि नहीं थे । चौधरी को सीओए ने आईसीसी की बैठक में भाग लेने से रोका था लेकिन उन्होंने शशांक मनोहर की अध्यक्षता वाली आईसीसी के न्यौते पर नीतिगत फैसलों के लिये मतदान में भाग लिया।

आईसीसी बोर्ड ने अगले आठ साल के चक्र के लिये दो टी20 विश्व कप और 50 ओवरों के दो विश्व कप के अलावा अतिरिक्त वैश्विक टूर्नामेंट (50 ओवरों के प्रारूप में छह देशों का टूर्नामेंट) को मंजूरी दी थी। सदस्यों ने हर तीन साल में वनडे विश्व कप कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।

सीओए ने तल्ख लहजे में आईसीसी के मुख्य कार्यकारी मनु साहनी को लिखे पत्र में कहा ,‘‘सीओए आईसीसी की बैठक में अमिताभ चौधरी को बीसीसीआई का अधिकृत प्रतिनिधि नहीं मानता। बीसीसीआई उनके द्वारा बीसीसीआई की ओर से लिये गए किसी फैसले को नहीं मानता और ना ही आईसीसी के किसी फैसले को मानने के लिये बाध्य है।’’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनु साहनी को सीओए ने कड़े शब्दों में कहा है कि वे बीसीसीआई के आंतरिक मामलों में दखल न दें। साहनी ने 14 अक्‍टूबर को पत्र लिखकर सीओए से कहा था कि आईसीसी की लीग सेल ने बोर्ड मीटिंग में चौधरी के शामिल होने की जांच की है। सीओए के पत्र में आगे कहा गया है, ‘बीसीसीआई के अपने प्रतिनिधि को चुनने के अधिकार में आईसीसी किसी तरह की दखल देने का दावा नहीं कर सकती। कृपया ध्‍यान दें कि आईसीसी का एक सदस्‍य राष्‍ट्र के अंदरूनी मामलों में दखल देना अवैध और गैरजरूरी है।’