भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) का उपयोग करने का फैसला किया है। बोर्ड ने ट्रायल बेसिस पर डीआरएस को अपनाने की बात कही है। भारत और इंग्लैंड के बीच नौ नवंबर से टेस्ट सीरीज शुरू होगी। इसके उपयोग को लेकर बीसीसीआई, आईसीसी और हॉकआई के अधिकारियों ने बैठक की। इसमें डीआरएस में किए गए सुधार पर चर्चा हुई और इससे बीसीसीआई संतुष्ट नजर आया। भारत ने आखिरी बार 2008 में श्रीलंका के खिलाफ सीरीज में डीआरएस का उपयोग किया था। लेकिन उस श्रृंखला के बाद कभी इसे नहीं अपनाया। हालांकि आईसीसी प्रतियोगिताएं जैसे वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी आदि में भारत ने इसका उपयोग किया है।
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बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने बताया, ”हमें खुशी है कि हॉकआई ने बीसीसीआई की ओर से की गई सभी सिफारिशों को अपना लिया। हम इस बात की पुष्टि करते हैं कि इंग्लैंड के खिलाफ आगामी सीरीज में सुधारयुक्त डीआरएस को ट्रायल बेस पर अपनाएंगे। इस सिस्टम के प्रदर्शन और फीडबैक मिलने के आधार आगे इसे अपनाया जाएगा या नहीं इस पर विचार किया जाएगा। हम स्पोर्ट में तकनीक का सम्मान करते हैं। आने वाले दिनों में बीसीसीआई इस तरह के और कदम उठाएगा।” बीसीसीआई की ओर से जारी किए गए बयान में बताया गया, ” इससे पहले संभावना होती थी कि ऑपरेटर एक गेंद को मिस कर देगा जिससे कि पगबाधा की एक अपील मिस हो जाती थी। अब हॉकआई ने एक ऐसी तकनीक बनाई है जिससे ज्यादा तस्वीरें सेव की जा सके। इसमें अगर ऑपरेटर ट्रेकिंग को नापने में नाकाम रहता है तो तस्वीर के जरिए उसे फिर से देखा जा सकता है।”
डीआरएस में भारत को सबसे ज्यादा परेशानी बॉल के रास्ते को मापने की पद्धति से थी। लेकिन नई पद्धति को अल्ट्रा मॉडर्न कैमरों का इस्तेमाल होगा। इसे मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने पास किया है। भारतीय टीम के वर्तमान कोच अनिल कुम्बले ने एमआईटी का दौरा किया था। टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली ने भी डीआरएस पर पुनर्विचार की बात कही थी।
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