मनीष कुमार जोशी

कजाकिस्तान के अस्ताना में खेली गई विश्व चैंपियनशिप में चीन के डिंग लिरेन और रूस के इयान नेपोमनियाची के बीच अब तक का सबसे रोमांचक शतरंज का मुकाबला खेला गया। इस मुकाबले को अंतिम समय में चीन के डिंग लिरेन ने जीता। इस जीत के साथ ही चीन पुरूष और महिला दोनों वर्गो में विश्व चैंपियन बन गया है। डिंग लिरेन जिन्हें शुरू से ही कम आंका जा रहा था, उन्होंने मैच के अंतिम समय में आक्रमकता दिखाते हुए खिताब जीत लिया।

यह शतरंज के सबसे तनावपूर्ण मुकाबलों में से एक था। रक्षात्मक खेल में माहिर लिरेन के विरुद्ध अनुभवी रूस के नेपोममियाची तनाव में आ गए। इस मैच के तनाव का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि टाई ब्रेकर से पहले लिरेन एक बार भी रूसी शातिर से आगे निकल नहीं पाए। इसके बावजूद खिताब तक नहीं पहुचने से नेपोममियाची तनाव में आ गए थे।

नेपोम को तनावपूर्ण मुकाबनो के दौरान नींद नहीं आती है। इसके लिए वे नींद की गोलिया साथ में रखते है। इस बार वे नींद की गोलियां लाना भूल गए। टाई ब्रेकर से पूर्व रात को वे सो नहीं पाए। फिर भी वे इसे हार की वजह के तौर पर इस्तेमाल नहीं करते। यही हाल डिंग लिरेन का है। डिंग न भी इस मैच के दौरान बेहद तनाव में रहे। एक वेबसाइट के अनुसार लिरेन मुकाबले के दौरान अवसाद में आ गए थे।

वे तनाव कम करने के लिए रात को नहा लेते थे। इसके अलावा वे तनाव घटाने के लिए वर्ष 2020 के नोबेल पुरस्कार विजेता लुईस ग्लुक की किताब भी पढते थे। मुकाबले के अंतिम दौर से पहले डिंग बेहद तनाव में थे। टाई ब्रेकर में उन्होंने अपने रक्षात्मक खेल को छोडकर आक्रमकता दिखाई और विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम कर लिया।

शतरंज की दुनिया में डिंग लिरेन को छिपा रुस्तम माना जाता था। उनका विश्व विजेता बनना एक संयोग ही है। इससे पहले केण्डिड टूर्नामेंट में एक शातिर के अयोग्य हो जाने के कारण उन्हें खेलने का अवसर मिला। यहां से जीतने के बाद विश्व स्पर्धा में खेलने का अवसर मिला। इससे पूर्व गत विजेता नोर्वे के मैग्नस कार्लसन ने खिताब बचाने का प्रयास करने से मना कर दिया। इस कारण नेपोममियाची को खिताब बचाने का अवसर मिला।

उनके सामने आश्चर्यजनक रूप से डिंग सामने आए। इससे पूर्व डिंग की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई बडी कामयाबी नहीं थी। उन्हें रक्षात्मक श्रेणी का खिलाडी माना जाता है। इस खिताबी मुकाबले में एक बार भी डिंग अपने प्रतिद्वन्द्वी से आगे नहीं निकल पाए। टाई ब्रेकर में बिजली जैसी फुर्ती से खेल दिखाते हुए खिताब अपने नाम कर लिया। डिंग ने चार साल की उम्र से ही शंतरज खेलना शुरू कर दिया था। वे तीन बार के चीन में राष्ट्रीय चैंपियन है। वे चीन की ओर से शतरंज ओलंपियाड में खेलते हैं।

लिरेन की जीत के साथ ही चीन अब पुरपष और महिला दोनों वर्गो में विश्व विजेता बन गया है। डिंग लिरेन की इस जीत के साथ चीन में शतरंज के विकास ने नए आयाम खुलेंगे। चीन तेजी से शतरंज में प्रगति कर रहा है। चीन के डिंग के विजेता बनने से एशिया में चीन का दबदबा बढेगा। भारत के लिए यह चिंता की बात है।

विश्वनाथन आनंद के बाद भारत कोई दूसरा विश्व चैंपियन पैदा नहीं कर पाया है। भारत के शातिर कई महत्त्वपूर्ण खिताब जीत चुके हंै परन्तु विश्व खिताब को जीतने से अभी दूर हैं और अब चीन के लगातार बढ रहे दबदबे के कारण भारत के लिए नई चुनौती पैदा हो गई है। लिरेन के चैंपियन बनने को कई खेल विज्ञ फलूक बता रहे परन्तु डिंग ने अपने दम पर खिताब जीता है। नेपाममियाची ज्यादा अनुभवी होने के बाद भी डिंग को परास्त नहीं कर पाए।