संदीप द्विवेदी। कुछ दिन पहले चेतेश्वर पुजारा ने अपने पिता अरविंद को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने के अपने फैसले के बारे में बताया। पिता ने पूछा, “क्या आप एक और रणजी ट्रॉफी सीज़न नहीं खेलना चाहते?” चेतेश्वर ने जवाब दिया, “नहीं।” पुजारा ने रविवार (24 अगस्त) को भारत के लिए टेस्ट में 8वें सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज के तौर पर क्रिकेट को अलविदा कहा। वह अपने पिता के जुनून के कारण भारतीय क्रिकेट का दिग्गज खिलाड़ी बनने में सफल रहे।
बेटे की बातों को सुनकर 74 वर्षीय अरविंद समझ गए थे कि अब इस बेहद सफल और पसंदीदा प्रोजेक्ट को आखिरकार बंद करने का समय आ गया है। चेतेश्वर के अनुसार संन्यास का फैसला सुनने पर उनके पिता का भाव वैसा ही था जैसा वह नेट्स में बेहतरीन शॉट खेलने पर होता था। वह अपनी कुर्सी के पिछले हिस्से पर शरीर टिकाकर बैठे थे। उनके चेहरे पर संतुष्टि भरी एक बड़ी मुस्कान थी। पुजारा कहते हैं,”वे निश्चिंत दिख रहे थे और मुझे भी बहुत हल्का महसूस हो रहा है।”
पिता को चिंटू में दिखी बेहतरीन बल्लेबाज बनने की झलक
कुछ इस तरह से एक अनोखी क्रिकेट यात्रा समाप्त हुई, जो गुजरात के राजकोट से शुरू हुई थी और तमाम बाधाओं को पार करते हुए भारतीय क्रिकेट के बल्लेबाजी के शिखर तक पहुंची। चेतेश्वर पुजारा तीन साल के थे तब उनमें बेहतरीन बल्लेबाज बनने की झलक दिखी थी। तब उन्हें चिंटू बुलाया जाता था। अरविंद ने देखा कि उनका बेटा छोटे से प्लास्टिक के बल्ले से गेंद पर नजर रखकर खेल रहा है। आठ साल की उम्र में मां रीना ने एक पुराने गद्दे से उनके लिए मिनी-पैड सिले थे।
राहुल द्रविड़ की कमी नहीं खलने दी
14 साल की उम्र में चेतेश्वर ने बीसीसीआई के एक टूर्नामेंट में तिहरा शतक जड़ा। 18 साल का होने के कुछ ही महीनों बाद उन्हें अंडर-19 विश्व कप में प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया। 22 साल की उम्र में टेस्ट डेब्यू और अब 37 साल की उम्र में क्रिकेट को अलविदा कहा। भारत के लिए लंबे समय तक नंबर 3 पर खेलने वाले पुजारा ने राहुल द्रविड़ की कमी नहीं खलने दी। हालांकि, वह द्रविड़ के रन के आसपास नहीं पहुंच पाए। पुजारा ने 103 टेस्ट मैचों में 43 की औसत से 7,195 रन बनाए। उन्होंने दिलीप वेंगसरकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे बल्लेबाजों से ज्यादा रन बनाए।
चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकेट को कहा अलविदा, 26 महीने से भारतीय टीम से थे बाहर
पुजारा की बराबरी नहीं की जा सकती
2018 में पुजारा ने एक ऐसी ऊंचाई हासिल की, जहां कोई भी भारतीय क्रिकेटर नहीं पहुंच पाया था। उन्होंने अकेले दम पर ऑस्ट्रेलियाई टीम को उनके घर में धूल चटाई। उन्होंने तीन शतक की मदद से 521 रन बनाए और 1,258 गेंदों का सामना करते हुए भारत की पहली टेस्ट सीरीज जीत में प्लेयर ऑफ द सीरीज रहे। राजकोट के एक लड़के ने वो कर दिखाया जो 71 साल और 11 दौरों में कोई भारतीय टीम नहीं कर पाई थी। भारतीय क्रिकेट के अन्य सितारों के नाम ज्यादा रन, शतक, शोहरत, दौलत और विज्ञापन होंगे,लेकिन पुजारा के पास उनका ‘ऑस्ट्रेलिया’ होगा – वो अनमोल याद जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता।