”मेरे पिता राज्य स्तर पर कबड्डी खेलते थे लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कभी मेडल नहीं जीता। बाद में उन्होंने प्रॉपर्टी डीलर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने मुझ पर कभी भी उनके व्यवसाय से जुड़ने के लिए दबाव नहीं डाला और बॉक्सर बनने के मेरे सपने का समर्थन किया। पिछले वर्ष नेशनल्स से पहले मेरे हाथ में चोट लग गई थी और मैं भाग नहीं ले सका। यहां गोल्ड मेडल जीतना एक खास अहसास है और तथ्य यह है कि बीएफआई जूनियर नेशनल्स में यह चंडीगढ़ का पहला स्वर्ण पदक है, जिसकी वजह से यह मेरे लिए और खास है।” यह कहना है कि परिवार समेत चंडीगढ़ का नाम रौशन करने वाले योनम कंबोज का। योनम कंबोज चंडीगढ़ के एसडी पब्लिक स्कूल के छात्र हैं और अब उनके नाम एक खास उपलब्धि जुड़ गई है। कंबोज ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन की ओर से आयोजित की गई सेकंड जूनियर मेन नेशनल बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है।

मंगलवार (18 दिसंबर) को 80 किलोग्राम कैटेगरी के मुकाबले में उन्होंने यह उपलब्धि अपने नाम की। कंबोज का कहना है कि उनके पिता राजिंदर कुमार अर्से तक कबड्डी के खिलाड़ी रहे और राष्ट्रीय स्तर पर वह गोल्ड नहीं जीत सके लेकिन उनकी मदद से आज वह सफल हो गए। योनम कंबोज को इस चैम्पियनशिप में सबसे अच्छा उभरता हुआ खिलाड़ी भी माना गया। इस युवा खिलाड़ी ने 2014 में सेक्टर 42 स्थित बॉक्सिंग कोचिंग सेंटर से खेलना शुरू किया था और 2016 और 2017 में वह चंडीगढ़ की तरफ से स्टेट चैम्पियन बने थे। इस साल की शुरुआत में कंबोज ने गुवाहाटी में एसजीएफआई स्कूल नेशनल गेम्स में कांस्य पदक जीता था।

मंगलवार को सर्विसेज के मुक्केबाज हर्ष गिल के साथ कंबोज का मुकाबला हुआ। हर्ष गिल के नाम 13 में से 9 गोल्ड मेडल थे लेकिन इस बार कंबोज ने बाजी मार ली। जीतने के बाद कंबोज ने मीडिया को बताया, ”सर्विसेज के मुक्केबाज के खिलाफ टाइटल जीतना मेरा आत्मविश्वास बढ़ाता है। इसका मतलब यह भी होगा कि मुझे जूनियर नेशनल कैंप में जगह मिलेगी। नेशनल्स के पहले गुवाहाटी में ब्रॉन्ज मेडल जीत ने भी मेरे आत्मविश्वास में इजाफा किया था। इस वर्ष मैं 2014 के कॉमन वेल्थ गेम्स के सिल्वर मेडिलिस्ट एल देवेंद्रो सिंह से मिला था, उन्होंने कहा था कि शांत रहो और शांत दिमाग से खेलो। मुझे उम्मीद है कि मैं भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मेडल जीतूंगा।”