क्रिकेट में अगर सबसे पसंदीदा अंपायरों की बात होती है तो डेविड शेफर्ड, साइमन टॉफेल, अलीम डार, स्टीव बकनर और बिली बॉडेन का नाम सबसे आगे आता है। इनमें सबसे अलग थे बिली बॉडेन। उनके डिसीजन देने के अंदाज का हर कोई कायल था। छक्के का इशारा करते हुए हाथ को धीरे-धीरे हवा में उठाना वहीं चौके के लिए हाथ के साथ पैरों को भी लहराना। आज यानी 11 अप्रैल को बिली बॉडेन का बर्थडे है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी है।

अजीबोगरीब एक्शन के कारण बॉडेन ने क्रिकेट फैंस के मन में अपने प्रति खास जगह बना ली थी। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि वे जानबूझकर इस तरह का एक्शन नहीं करते थे। हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यों बिली आउट का इशारा करते वक्त दाएं हाथ की अंगुली को हमेशा टेढ़ा रखते हैं? इसके पीछे एक बेहद खास वजह छिपी है। 11 अप्रैल 1963 को जन्मे न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज ब्रेंट फ्रासर बॉडेन 20 साल की उम्र तक अपनी बॉलिंग के चलते काफी मशहूर थे लेकिन कुछ समय बाद उन्हें अपने गठिया रोग से ग्रस्त होने के बारे में पता लगा।


बीमारी के कारण न चाहते हुए भी बिली को क्रिकेट से जल्द ही संन्यास लेना पड़ा। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी। बिली ने अंपायरिंग के जरिए इस खेल से जुड़े रहने का मन बना लिया लेकिन जब भी वो आउट देने के लिए अपनी अंगुली को उठाते तो गठिया की वजह से उन्हें काफी दर्द होता। ऐसे में बिली ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने अंगुली को सीधा रखने के बजाय उसे टेढ़ा रखना ही शुरू कर दिया।

इसके बाद बिली को चौके-छक्के के इशारे के दौरान पैरों को भी मूव करते देखा जाने लगा। इसके पीछे की वजह ये है कि इस वजह से उनके जोड़ों में तरलता आती है। ये एक तरह की एक्सरसाइज है। इससे बॉडेन को दर्द से राहत भी मिलती है। उन्होंने 1995 में अंपायरिंग की शुरुआती की। वे 2016 तक इससे जुड़े रहे। बॉडेन ने 308 अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में अंपायरिंग की।