सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (6 अक्टूबर) को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में सुधारों के लिए दिए गए लोढ़ा समिति के सुझावों के मसले पर सुनवाई पूरी कर ली है। अदालत शुक्रवार को फैसला सुनाएगी। सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने कहा कि बीसीसीआई जो पैसा कमाती है वो जनता का पैसा है इसलिए उसके कामकाज में पारदर्शिता जरूरी है। अदालत ने बीसीसीआई को हलफनामा देने के लिए कहा है कि वो लोढ़ा समिति की सभी सिफारिशों मानेगी। हालांकि बीसीसीआई ने अदालत से इसके लिए और समय मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने राज्य क्रिकेट संघों को भी हिदायत देते हुए कहा कि उन्हें बीसीसीआई से आर्थिक मदद लेने के लिए लोढ़ा समिति के सुझाव मानने होंगे। अदालत ने कहा कि राज्य क्रिकेट संघ ये नहीं कह सकते कि हम सुधार नहीं करेंगे लेकिन पैसा लेंगे।
अदालत ने लोढ़ा समिति की बीसीसीआई के पदाधिकारियों की जगह प्रशासकों का एक पैनल बनाने की याचिका भी स्वीकार कर ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने बीसीसीआई से कहा कि ये लिखकर देना कि हम अदालत का बहुत सम्मान करते हैं अच्छी बात है लेकिन ये आपके व्यवहार में भी झलकना चाहिए। जुलाई में अदालत ने बीसीसीआई से लोढ़ा समिति की सिफारिशें लागू करने के लिए कहा था। पिछली सुनवाई में अदालत ने बीसीसीआई को लताड़ लगाते हुए कहा था या तो वो बात मानें या अदालत बात मनवा लेगी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने जब बीसीसीआई के मौजूदा शीर्ष पदाधिकारियों की योग्यता पर सवाल उठाया तो बीसीसीआई के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अनुराग ठाकुर गंभीर क्रिकेटर रहे हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ठाकुर ने कहा, “यहां हम सब क्रिकेटर हैं। मैं भी सुप्रीम कोर्ट की टीम का कप्तान था।”
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट संघों को एक दिन में 400 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने पर भी सवाल उठाया। इस पर बीसीसीआई के वकील ने अदालत को बताया कि मामला 2015-16 का है जब स्टार और सोनी ने मुआवजा दिया था, जिसे राज्य क्रिकेट संघों को दिया जाना था।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में सुधार के लिए लोढ़ा समिति का गठन किया था। लोढ़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट में बीसीसीआई में कई बदलावों का सुझाव दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने के मामले पर सुनवाई करते हुए बीसीसीआई को लताड़ लगाई थी। जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा था, “बीसीसीआई को लगता है कि वो खुद कानून है। हमें पता है कि आदेश पालन कैसे करवाया जाता है। बीसीसीआई को लगता है कि वो भगवान है। आप (बीसीसीआई) या तो बात मानें या हम मनवा लेंगे। बीसीसीआई का बरताव काफी खराब है।” हालांकि बीसीसीआई ने 1 अक्टूबर को हुई अपनी आम सभा में उच्चतम न्यायालय के आदेश की पूरी तरह से अनदेखी करते हुए भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने शनिवार (1 अक्टूबर) को एक राज्य एक वोट, 70 वर्ष की आयु सीमा, कार्यकाल के बीच में तीन साल का ब्रेक जैसी लोढ़ा समिति की अहम सिफारिशों को खारिज कर दिया।
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#BCCI SC underlines what BCCI earns is public money that must be used transparently;can't give money to state assocn which don't comply.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) October 6, 2016