टी20 वर्ल्ड कप को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) फिर आमने-सामने हैं। बीसीसीआई ने आईसीसी चेयरमैन शशांक मनोहर पर टी20 वर्ल्ड कप को लेकर भ्रम पैदा करने का आरोप लगाया है। बीसीसीआई टी20 वर्ल्ड कप के भविष्य को लेकर लगातार फैसला टालने के कारण आईसीसी से पहले से ही नाराज चल रहा है। यह टूर्नामेंट इस साल ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया में इस साल होना प्रस्तावित है। हालांकि, कोरोनावायरस के चलते इसके आयोजन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के चेयरमैन अर्ल एडिंग्स टूर्नमेंट की मेजबानी को लेकर अपने बोर्ड की अक्षमता जाहिर कर चुके हैं। बीसीसीआई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘निवर्तमान आईसीसी चेयरमैन (मनोहर) भ्रम की स्थिति क्यों पैदा कर रहे हैं? अगर मेजबान क्रिकेट बोर्ड टी20 वर्ल्ड का आयोजन नहीं करना चाहता तो उन्हें घोषणा करने के लिए एक महीना क्यों चाहिए?’
आईसीसी ने इस महीने के शुरुआत में बोर्ड बैठक के बाद एक महीने और इंतजार करने का फैसला किया। पदाधिकारी का मानना है कि टूर्नमेंट स्थगित करने को लेकर अगर जल्द फैसला होता है तो इससे सदस्य देशों को अपनी द्विपक्षीय सीरीज की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
पदाधिकारी ने कहा, ‘यह बीसीसीआई या आईपीएल का मामला नहीं है। अगर आईसीसी इस महीने टूर्नमेंट को स्थगित करने की घोषणा करता है तो जिन सदस्य देशों के खिलाड़ी आईपीएल का हिस्सा नहीं है, वे भी इस दौरान अपनी द्विपक्षीय सीरीज को लेकर योजना बना सकते हैं। फैसला करने में विलंब से सभी को नुकसान होगा।’
आईसीसी अगर जल्द फैसला करता है तो बीसीसीआई की आईपीएल संचालन टीम संभावित मेजबानों को लेकर तैयारी शुरू कर सकती है। इसमें श्रीलंका (प्रेमदासा, पल्लेकल और हंबनटोटा मैदान) भी शामिल होगा। यूएई के मुकाबले श्रीलंका को कम खर्चीले मेजबान के रूप में देखा जा रहा है। सुनील गावस्कर भी कह चुक हैं कि सितंबर में आईपीएल कराने के लिए यह आदर्श देश होगा।
बीसीसीआई और मनोहर के बीच मतभेद नए नहीं हैं। शशांक मनोहर के बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन से कटु रिश्ते रहे हें, जिन्हें तनाव की मुख्य वजह माना जा रहा है। पदाधिकारी ने बताया, ‘वह बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष हैं। इसके बावजूद हमारे हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं। आईसीसी के राजस्व में देश के योगदान के बावजूद बीसीसीआई के राजस्व हिस्से में कटौती की गई है।’
भारतीय बोर्ड से जुड़े लोग भी यह सवाल उठा रहे हैं कि अगले चेयरमैन के नामांकन की प्रक्रिया की औपचारिक घोषणा क्यों नहीं की गई। बीसीसीआई के एक अनुभवी पदाधिकारी ने बताया, ‘आईसीसी बोर्ड की कुछ बैठक हुई लेकिन इनमें ईमेल लीक और जांच को नामांकन प्रक्रिया की घोषणा पर तरजीह दी गई। अगर आप मुझसे पूछते तो मुझे यकीन नहीं है कि शशांक मनोहर चेयरमैन का पद छोड़ेंगे और तीसरे कार्यकाल का प्रयास नहीं करेंगे।’
आईसीसी चेयरमैन दो साल के तीन कार्यकाल तक अपने पद पर रह सकता है। आईसीसी के बोर्ड सदस्यों को डर है कि नामांकन प्रक्रिया में देरी से सर्वसम्मत उम्मीदवार को चुनने में दिक्कत हो सकती है। आईसीसी बोर्ड के एक सदस्य ने कहा, ‘कॉलिन ग्रेव्स अब भी दौड़ में सबसे आगे हैं। अगर सौरव गांगुली इच्छुक नहीं होते हैं तो उन्हें बीसीसीआई का भी समर्थन होगा। अगर सर्वसम्मत फैसला नहीं होता है और गांगुली भी उम्मीदवारी पेश करते हैं तो यह रोचक होगा।’