भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए इंडियन क्रिकेटर्स एसोसिएशन (आईसीए) को अपनी मंजूरी और मान्यता दे दी है। आईसीए का गठन पूर्व खिलाड़ियों के हितों की देखभाल के लिए किया गया है। हालांकि, यह संगठन फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल क्रिकेटर्स (एफआईसीए) से संबंधित नहीं है। इसका काम भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व पुरुष और महिला खिलाड़ियों के हितों की बात करना है।
आईसीए एक गैर-लाभकारी कंपनी है। इसे इसी महीने की 5 तारीख को कंपनी एक्ट 2013 की धारा 8 के तहत शामिल किया गया है। बीसीसीआई ने आईसीए को मान्यता देने वाले अपने नोटिस में स्पष्ट कर दिया है कि उसके अगले आदेश तक बोर्ड पूर्व क्रिकेटरों के किसी अन्य संगठन को मान्यता नहीं देता है। आईसीए का संचालन बीसीसीआई के संचालन से स्वतंत्र होगा। बीसीसीआई शुरुआत में इस संगठन को कुछ आर्थिक मदद मुहैया कराएगा, लेकिन बाद में उसे अपने लिए धनराशि (फंड्स) खुद जुटानी होगी। पूर्व क्रिकेटर कपिल देव, अजीत अगरकर, और शांता रंगास्वामी आईसीए के डायरेक्टर्स में शामिल हैं। इस समिति के चुनाव होने तक ये तीनों अपने-अपने पदों पर बने रहेंगे।
आईसीए का कौन हिस्सा बनेंगे, इसके लिए बीसीसीआई ने कुछ मानदंड तय किए हैं। उसके मुताबिक, सीनियर स्तर किसी भी फॉर्मेट में कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले पूर्व पुरुष और महिला क्रिकेटर। सीनियर स्तर पर किसी भी फॉर्मेट में कम से कम 10 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले पूर्व क्रिकेटर। सीनियर स्तर पर किसी भी फॉर्मेट में कम से कम 5 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाली कोई भी पूर्व महिला क्रिकेटर। सीनियर स्तर पर किसी भी फॉर्मेट में अंतरराष्ट्रीय या प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाले पूर्व दिव्यांग क्रिकेटर। दिव्यांग क्रिकेटरों के मामले में उनके मैच आईसीसी या उनका आयोजन बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त होने चाहिए या फिर उन्हें आईसीसी या बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा किया गया हो।