चरनपाल सिंह सोबती
बड़ी खबर ये है कि भले ही सुप्रीम कोर्ट के बीसीसीआइ के संविधान में संशोधन की इजाजत देने (लोढा कमेटी की कुछ शर्तों पर) से सौरव गांगुली और जय शाह की जोड़ी को एक और टर्म का मौका मिल गया पर संकेत ये है कि बदलाव के पूरे आसार हैं। कहा तो ये जा रहा है कि मौजूदा बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली को राज्य क्रिकेट एसोसिएशन से पूरा समर्थन मिल नहीं रहा पर ये मानने वालों की कमी नहीं कि ये सिर्फ बीसीसीआइ में प्रभाव के संतुलन का असर है। इसलिए बीसीसीआइ को नया अध्यक्ष मिलेगा। बहुत संभव है कि गांगुली 18 अक्तूबर से पहले खुद ही इस्तीफा दे दें। मजे की बात ये है कि बीसीसीआइ के आधुनिक इतिहास में कोई भी अध्यक्ष एक कार्यकाल या तीन साल से ज्यादा नहीं टिका।
इस बड़े बदलाव के साथ पूरी टीम बदल सकती है। बीसीसीआइ में आम तौर पर कोशिश यही होती है कि चुनाव की नौबत न आए और चुनाव के नाम पर कोई तमाशा न हो- इसलिए वार्षिक आम बैठक से पहले ही आपसी जोड़-तोड़, राजनीति और असर का खेल शुरू हो जाता है ताकि ’समझौता दावेदार’ तय हो जाएं और ऐसा नजर आए कि बीसीसीआइ में गजब की एकता है। इसलिए बैठक का सिलसिला चल रहा है और उन्हीं के हवाले से बदलाव के ये संकेत आ रहे हैं।
जब ये लगा था कि सौरव गांगुली जा रहे हैं तो मौजूदा सचिव जय शाह का नाम, नए अध्यक्ष के तौर पर सामने आया था। अब ऐसे संकेत हैं कि उनके पास क्रिकेट का सही अनुभव न होने की वजह से उन्हें रोक कर (ताकि कोई नई कानूनी अड़चन न आए) एक और पूर्व टैस्ट क्रिकेटर रोजर बिन्नी को सामने लाया जा रहा है। रोजर इस समय कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं और उन्होंने वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में हिस्सा लेने के लिए अपना नाम भी भेज दिया है।
जो किसी भी पद के दावेदार हों- उनका बीसीसीआइ की बैठक में हिस्सा लेना जरूरी है। इस तरह, सौरव गांगुली की तरह, उनके पास क्रिकेट और प्रशासन दोनों का अनुभव है। इससे पहले, केएससीए के संतोष मेनन, बीसीसीआइ एजीएम में उनका प्रतिनिधित्व कर रहे थे। जय शाह बीसीसीआइ सचिव के तौर पर आगे भी काम करते रहेंगे और ये पहले भी नजर आ चुका है कि अपने पिता के असर की बदौलत वे किसी अध्यक्ष से कम नहीं थे।
सौरव गांगुली बोर्ड की वार्षिक आम बैठक में मौजूद रहेंगे- इस बार वे क्रिकेट एसोसिएशन आफ बंगाल का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनके ऐसा करने से अविषेक डालमिया का कोलकाता से बीसीसीआइ के मुंबई हेड क्वार्टर की फ्लाइट लेने का सपना हाल-फिलहाल पूरा नहीं होगा। वे बीसीसीआइ और बंगाल क्रिकेट के दिग्गज जगमोहन डालमिया के बेटे हैं।
1983 विश्व कप विजेता, 67 साल के रोजर बिन्नी का कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन से नाम आने से मौजूदा आइपीएल अध्यक्ष बृजेश पटेल को भी झटका लगेगा। एक ही एसोसिएशन के नाम सब बड़े पद नहीं किए जा सकते। उधर, अचानक ही, कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला भी एक असरदार दावेदार के तौर पर सामने आए हैं। सब जानते हैं कि इस समय आइपीएल को क्रिकेट की दुनिया में जो महत्व मिला हुआ है वह कई क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष को भी हासिल नहीं। आइपीएल का बजट, कई देशों के क्रिकेट बोर्ड से भी ज्यादा है।
सुप्रीम कोर्ट ने जिन संशोधन की इजाजत दी उनके दायरे में अब मंत्री और सरकारी कर्मचारी- यानि कि एमपी और एमएलए बीसीसीआइ में आफिशियल बन सकते हैं। इस तरह हाल ही में राज्यसभा सदस्य बने, बोर्ड उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला को न सिर्फ राहत मिली वे और असरदार हो गए हैं। वे अपने पद पर तो टिके रहेंगे ही, इससे भी आगे निकल जाएं तो कोई हैरानी नहीं होगी।
वर्तमान कोषाध्यक्ष और केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धुमल आइपीएल संचालन परिषद के प्रमुख हो सकते हैं। जहां तक सौरव गांगुली का सवाल है, हालांकि वह बीसीसीआइ अध्यक्ष बने रहने के योग्य हैं, उनके साथ बीसीसीआइ ने कई उमीदों को पूरा नहीं किया पर कुछ बड़े फैसले भी लिए। हाल फिलहाल बोर्ड की राजनीति का समीकरण उनका साथ नहीं दे रहा।
उनके अब आइसीसी में जाने की चर्चा है। सारी टाइमलाइन भी सही है। नवंबर में आइसीसी में एक नए प्रेसिडेंट ने आना है- बशर्ते मौजूदा प्रेसिडेंट, न्यूजीलैंड के ग्रेगर बार्कले एक्सटेंशन लेने पर राजी न हो जाएं। वे इसके हकदार हैं पर हाल फिलहाल संकेत ये है कि वे जाना चाहते हैं। गांगुली तो पहले भी आइसीसी में शीर्ष पद के दावेदार हो सकते थे।
वे जरूरी शर्तों को भी पूरा करते हैं- दावेदार पूर्व अध्यक्ष/अध्यक्ष हो या कम से कम एक आइसीसी बोर्ड की बैठक में हिस्सा लिया हो। अगर ऐसा होना है तो गांगुली को बोर्ड का साथ चाहिए होगा। आइसीसी चुनाव नवंबर में होने हैं और 20 अक्तूबर नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख है।
भारत में होने वाले 2023 के एकदिवसीय विश्व कप को दलील बनाकर बीसीसीआइ की कोशिश होगी की आइसीसी में शीर्ष पर भारत का प्रतिनिधि हो। आइसीसी में, बीसीसीआइ के प्रतिनिधि की उम्र पर 70 साल वाली शर्त अब हटा दी है सुप्रीम कोर्ट ने। सीसीआइ की ये दलील काम कर गई कि ‘बड़े बुजुर्गों’ के पास बेहतर नेटवर्किंग है और बातचीत में ज्यादा वसूलने की पावर। इस तरह पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन फिर से सुर्खियों में आ गए हैं।
इन दिनों में बीसीसीआइ में बदलाव को लेकर जो भी बैठक चल रही हैं- वे उनमें फिर से ’किंग मेकर’ की तरह हिस्सा ले रहे हैं। उनके अंदर सालों से ये इच्छा है कि फिर से आइसीसी में जाएं, इस बार बीसीसीआइ के प्रतिनिधि बन कर- वे प्रभावशाली हैं, आज की क्रिकेट समझते हैं और भारतीय क्रिकेट की बेहतरी ही सोचेंगे।
श्रीनिवासन जब आइसीसी बोर्ड में थे तो भारत को क्रिकेट के पावरहाउस के तौर पर पहचान मिली थी- उन्होंने ही ’बिग थ्री’ (भारत, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड) को आइसीसी की कमाई में बड़े हिस्से वाली पालिसी को शुरू कराया था। अब श्रीनिवासन का ये सपना पूरा हो सकता है और नए अध्यक्ष से पहले से इस बात पर सहमति बन सकती है। उन्हें बृजेश पटेल टक्कर दे सकते हैं पर वे उतने असरदार नहीं रहेंगे।
बीसीसीआइ चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 12 अक्तूबर है। जो बीसीसीआइ के काम को जानते हैं उन्हें मालूम है कि यहां किसका पलड़ा, किस वजह से और कब भारी हो जाए- कोई नहीं जानता। जब सौरव गांगुली अध्यक्ष बने थे तब भी 4 -5 घंटे पहले तक उनका नाम कहीं चर्चा में भी नहीं था। इस बार भी ऐसा ही कुछ हो जाए तो हैरानी नहीं होगी।
पकड़ किसकी
बीसीसीआइ में पिछले एक सप्ताह से चल रही गहमागहमी के बाद यह फैसला किया गया कि भारत की 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे रोजर बिन्नी बोर्ड के 36वें अध्यक्ष होंगे ळबीसीसीआई पदाधिकारियों में शामिल एकमात्र कांग्रेसी शुक्ला अगर चुने जाते हैं तो बोर्ड के उपाध्यक्ष बने रहेंगे। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई धूमल अब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के चेयरमैन होंगे। वह बृजेश पटेल की जगह लेंगे।
धूमल अभी कोषाध्यक्ष हैं। महाराष्ट्र में भाजपा के नेता आशीष शेलार बोर्ड के नए कोषाध्यक्ष होंगे जिसका मतलब है कि वह मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) का अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे। उन्हें शरद पवार गुट के समर्थन से यह भूमिका निभानी थी। शुक्ला ने बताया, जब वह (शेलार) कोषाध्यक्ष बनेंगे तो उन्हें एमसीए अध्यक्ष पद से अपना नामांकन वापस लेना होगा। असम के मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा सरमा के करीबी देवजीत सैकिया के नया संयुक्त सचिव बनने की उम्मीद है। वह जयेश जॉर्ज की जगह लेंगे।