भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में शाहखर्ची का आलम किस स्तर पर है इसकी ताजा मिसाल लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए नियुक्त पूर्व जजों की पेमेंट से पता चलता है। जानकारी के मुताबिक पूर्व जजों को 48 दिन का पमेंट 1.18 करोड़ रुपये दिया गया है। सबसे बड़ी बात कि इसमें उस दिन का भी मेहनताना शामिल है, जब पूर्व जजों ने आईपीएल मैच का लुत्फ उठाया। बीसीसीआई के हैदराबाद यूनिट में दो एडमिनस्ट्रेटर्स (पूर्व जज) को 30 दिन के लिए 75 लाख रुपये का पेमेंट किया गया। इस भुगतान राशि में कामकाजी दिनों की संख्या और पेमेंट स्केल में भारी अंतर देखने को मिला है।
गौर करने वाली बात यह है कि एक ओर जहां पूर्व जजों को मोटी रकम अदा की गई है, वहीं बीसीसीआई के एडमिनस्ट्रेशन वाली कमेटी में शामिल पूर्व क्रिकेटर डियाना इदुलजी और विनोद राय के कार्यों का भुगतान अभी तक नहीं किया जा सका है। गौरतलब है कि विनोद राय सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भारतीय क्रिकेट के प्रशासकीय समिति के चेयरमैन बने थे।
मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) के अटेंडेंस शीट में जस्टिस (रिट.) हेमंत गोखले और जस्टिस (रिट.) वीएम कनडे को प्रेजेंट दिखाया गया है। जबकि, उस दौरान दोनों एडमिनिस्ट्रेटर्स ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में आईपीएल मैच देखा था। इस संबंध में जब एमसीए के जॉइंट सेक्रेटरी उमेश खानविलकर से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, “माननीय हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने दोनों प्रशासकीय अधिकारियों की पेमेंट की है। अदालत ने हर वर्किंग-डे के लिए प्रशासकीय अधिकारियों को 1 लाख रुपये देने के लिए कहा था।”
मुंबई के अलावा हैदराबाद में भी शाहखर्ची कुछ कम नहीं रही है। यहां पर प्रशासकीय अधिकारी जस्टिस (रिटा.) अनिल दवे और जस्टिस (रिटा.) जीवी सीतापति को सिर्फ मीटिंग के लिए पैसों का भुगतान किया जा रहा था। हैदराबाद में रहते हुए इन लोगों ने 11 महीनों के दौरान 30 बैठकों में हिस्सा लिया। इस दौरान जब रिटायर्ड जस्टिस दवे शहर से बाहर थे, तब भी उन्हें एक मीटिंग के लिए 1.5 लाख रुपये दिए गए। दूसरे पूर्व जज हैदराबाद से ही थे। लेकिन, उन्हें प्रत्येक मीटिंग के लिए 1 लाख रुपये मिलेष। इस तरह से दोनों को कुल 75 लाख रुपये दिए गए।