विश्व कुश्ती की सर्वोच्च संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू (United World Wrestling) ने समय पर चुनाव नहीं कराने के कारण रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) को निलंबित कर दिया। इसका मतलब है कि भारतीय पहलवान 16 से 24 सितंबर तक सर्बिया के बेलग्रेड में होने वाली विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय ध्वज तले नहीं खेल पाएंगे। भारतीय पहलवान विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में तटस्थ खिलाड़ी के रूप में हिस्सा लेंगे।
विश्व चैंपियनशिप पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाइंग प्रतियोगिता भी है। भूपेंद्र सिंह बाजवा की अगुआई वाली तदर्थ समिति को 45 दिन के भीतर चुनाव कराने की समय सीमा दी गई थी, लेकिन वह इसमें नाकाम रही। ओलंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक और टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने डब्ल्यूएफआई (WFI) के निलंबन का ठीकरा कुश्ती महासंघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर फोड़ा है।
वहीं ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बॉक्सर और कांग्रेस नेता विजेंदर सिंह ने 24 अगस्त 2023 को भारतीय कुश्ती के लिए काला दिन करार दिया है। साक्षी मलिक ने इस संबंध में 24 अगस्त 2023 की शाम ट्वीट किया। साक्षी मलिक ने लिखा, ‘भारतीय कुश्ती के लिए आज काला दिन है। बृजभूषण और उसके गुर्गों के कारण देश के पहलवान तिरंगे के साथ नहीं खेल पाएंगे।’
साक्षी ने ट्वीट कर लिखा- बृजभूषण और उसके आदमी देश का कितना नुकसान करेंगे
साक्षी मलिक ने आगे लिखा, ‘तिरंगा देश की शान है और हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह जीतने के बाद तिरंगा को मैदान में लेकर दौड़े। ये बृजभूषण और उसके आदमी देश का कितना नुकसान करेंगे।’ बजरंग पूनिया ने भी अपने ट्वीट में बिल्कुल यही बातें लिखीं। बॉक्सर विजेंदर सिंह ने @UnityJat के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, ‘भारतीय कुश्ती के लिए काला दिन।’
विजेंदर सिंह ने इसके बाद उदास चेहरे वाली इमोजी भी पोस्ट की। @UnityJat ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘अपनी पार्टी के एक नेता को बचाने के चक्कर में बीजेपी ने ना देश की प्रतिष्ठा की परवाह की और ना ही देश के सम्मान की!! जिस भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण थे,,,,
विश्व कुश्ती संघ ने उस संघ की सदस्यता ही रद्द कर दी!’
कई बार स्थगित किए गए WFI के चुनाव
विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के लिए डब्ल्यूएफआई प्रविष्टियां भेजता है। डब्ल्यूएफआई के चुनाव पहले 7 मई को होने थे, लेकिन खेल मंत्रालय ने इस प्रक्रिया को अमान्य करार दे दिया था। कई असंतुष्ट और असंबद्ध राज्य इकाइयों के मतदान में हिस्सा लेने का अधिकार हासिल करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने के कारण चुनाव कई बार स्थगित किए गए।