Bajrang Punia: भारत के लिए ओलंपिक में मेडल जीतने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक ने गुरुवार को रेसलिंग से रिटायरमेंट की घोषणा एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कर दी और अब इसी क्रम में पुरुष पहलवान बजरंग पूनिया ने शुक्रवार को अपने पद्मश्री सम्मान वापस करने की घोषणा कर दी।
बजरंग पूनिया ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक पत्र लिखा और उसके जरिए उन्होंने अपना यह सम्मान वापस करने के ऐलान किया। साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बनने के बाद यह कदम उठाया। बजरंग पूनिया ने अपना सम्मान प्रधानमंत्री आवास के सामने फुटपाथ पर रख दिया।
बजरंग पूनिया ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
बजरंग पूनिया ने नरेंद्र मोदी के नाम जो पत्र लिखा उसमें उन्होंने लिखा कि आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे, लेकिन मैं कुश्ती की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करवाना चाहता हूं। बजरंग ने इस पत्र में पूरी घटना का जिक्र करते हुए लिखा कि भारतीय कुश्ती संघ पर एक बार फिर से बृजभूषण सिंह का दोबारा से कब्जा हो गया है। उनके करीबी के इस पद पर आने से मैं आहत हूं।
उन्होंने लिखा कि मैंने देश के लिए मेडल जीते और मुझे देश की तरफ से कई सम्मान मिले जिसमें 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया। इसके अलावा मुझे खेल रत्न और अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया, लेकिन इस घटनाक्रम के बाद मैं अपना सम्मान वापस कर रहा हूं। महिला पहलवानों के अपमान के बाद मैं सम्मानित रहकर नहीं जी पाऊंगा और अगर मैंने ऐसा किया तो मुझे मेर आत्मा धिक्कारेगी। ऐसी स्थिति में मैं अपना सम्मान आपको लौटा रहा हूं।
आपको बता दें कि गुरुवार को साक्षी मलिक ने रोते हुए कहा, आज जो महासंघ का अध्यक्ष बना है…हमें पता था वही बनेगा..। वह बृजभूषण के लिए बेटे से भी प्यारा है..। जो अब तक परदे के पीछे से होता था अब खुले आम होगा, हम अपनी लड़ाई में कामयाब नहीं हो पाए। हमने हर किसी को अपनी बात बताई है। पूरे देश को पता होते हुए भी सही इंसान नहीं बना। मैं अपने आने वाली पीढि़यों को कहना चाहती हूं कि शोषण के लिए तैयार रहिए।
वहीं बजरंग पूनिया ने कहा था कि खेल मंत्रालय ने वादा किया था कि फेडरेशन में डब्ल्यूएफआई से अलग का कोई कोई आदमी आएगा। जिस तरह पूरे तंत्र ने काम किया उससे मुझे नहीं लगता कि बेटियों को न्याय मिलेगा। हमारे देश में कोई न्याय नहीं बचा है वह केवल कोर्ट में मिलेगा, हमने जो लड़ी लड़ी आने वाली पीढ़ी को और लड़नी पड़ेगी। सरकार ने जो वादा किया पूरा नहीं किया।