भारतीय बैडमिंटन में सात्विक साईराज रंकी रेड्डी और चिराग शेट्टी ने वह कामयाबी और उपलब्धियां हासिल की हैं जो कोई और डबल्स पेयर नहीं कर पाया। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स जैसे बड़े मंच पर प्रदर्शन किया। वर्ल्ड नंबर का तमगा हासिल कर चुकी इस जोड़ी की सफलता के पीछे उनकी दोस्ती बड़ा कारण है। वह हर मुश्किल में एक-दूसरे के साथ खड़े नजर आते हैं।
सात्विक के लिए उनके घर पहुंचे चिराग
सात्विक ने फरवरी में अपने पिता काशी विश्नाथम को खोया। सात्विक के पिता पत्नी के साथ दिल्ली आ रहे थे क्योंकि उनके बेटे सात्विक को खास पुरस्कार से सम्मानित किया जाना था। इससे पहले क्यों दिल्ली पहुंचते हैं उन्हें रास्ते में ही कार्डियक अरेस्ट आ गया। सात्विक के लिए यह खबर दिल तोड़ने वाली खबर थी। वह सब कुछ छोड़कर घर लौटे। चिराग यह बात अच्छी तरीके से समझते थे कि सात्विक के लिए उस समय परिवार के साथ रहना बहुत अहम है साथ यह भी कि सात्विक के लिए बैडमिंटन में लौटना भी उतना ही अहम है। चिराग हैदराबाद से सात्विक के शहर अमलपुरम पहुंचे। उन्होंने कुछ समय वहीं ट्रेनिंग की। इसी कारण सात्विक बर्मिंघम जाने की भी हिम्मत कर पाएं।
सात्विक ने चिराग को बताया सबसे बड़ी ताकत
सात्विक का कहना है कि चिराग ने मुश्किल समय में उनका बहुत साथ दिया। यही कारण है कि वह ऑल इंग्लैंड के लिए तैयार हो सके और कोर्ट पर उन्होंने वापसी की। बाकौल सात्विक, चिराग पहले भी उनके लिए उनके शहर आ चुके हैं इसके कारण उनका अभ्यास करना काफी मुश्किल हो गया था। ऐसे समय में ना सिफ चिराग बल्कि उनका परिवार और यहां तक की कोच भी उनके शहर गए। चिराग नहीं चाहते थे कि वैसे समय में अकेला महसूस हो और किसी भी तरीके से मानसिक तौर पर परेशान हो। इस समर्थन का भी सात्विक के जहन पर गहरा असर हुआ। उनका कहना है कि चिराग उनके भाई की तरह हैं जो किसी भी मुश्किल स्थिति में उनके साथ नहीं छोड़ते हैं।
कोर्ट के बाहर भी पार्टनर्स हैं चिराग शेट्टी
चिराग ने अपने रिश्ते को लेकर के कहा, ‘यह ऐसा समय था जब मुझे एहसास हुआ कि बैडमिंटन में डबल्स की अहमियत क्या है। आप सिर्फ कोर्ट पर ही नहीं बल्कि उसके बाहर भी पार्टनर है। चिराग ने जिस तरीके से मुझे समर्थन दिया, मुझे खेलने के लिए प्रोत्साहित किया वह बेहद खास था। वह मेरे साथ एक मजबूत ताकत की तरह खड़ा रहा।’