माइकल क्लार्क का मानना है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के कारण ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आई टीम इंडिया के प्रति कंगारू खिलाड़ियों ने नरम रवैया अख्तियार किया था। खासतौर पर भारत और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली के प्रति। क्लार्क का कहना है कि आईपीएल में लाखों डॉलर का कांट्रैक्ट हासिल की संभावना के चलते वे विराट कोहली को खुश करने में लगे थे।
2018-19 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम इंडिया ने 4 मैचों की टेस्ट सीरीज में 2-1 से जीत हासिल की थी। तब टीम इंडिया ने 71 साल के इतिहास में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीती थी। हालांकि, बॉल टैम्परिंग में दोषी पाए जाने के कारण तत्कालीन ऑस्ट्रेलिया टीम में स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर नहीं खेले थे।
बिग स्पोर्ट्स ब्रेकफास्ट पर बोलते हुए क्लार्क ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि आर्थिक दृष्टिकोण से भारतीय क्रिकेट कितना शक्तिशाली है। फिर चाहे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो या घरेलू स्तर पर आईपीएल के कारण। मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट और शायद दूसरी हर छोटी टीमें कुछ समय के लिए भारत को खुश करने में जुटी थीं। वे कोहली या अन्य भारतीय खिलाड़ियों को स्लेज करने से डर रहे थे, क्योंकि उन्हें अप्रैल में उनके (टीम इंडिया) के साथ खेलना था।’
पिछले साल दिसंबर में हुई आईपीएल नीलामी में पैट कमिंस को कोलकाता नाइटराइडर्स ने 15.5 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड राशि में खरीदा था। वे सबसे महंगे विदेशी क्रिकेटर थे। वहीं, किंग्स इलेवन पंजाब ने ग्लेन मैक्सवेल को 10.75 करोड़ रुपए में खरीदा था। एक और ऑस्ट्रेलियाई थे नाथन कूल्टर-नाइल, जिन्हें मुंबई इंडियंस ने 8 करोड़ रुपए में खरीदा था। बता दें कि क्लार्क भी आईपीएल में खेल चुके हैं। वे आईपीएल में पुणे वॉरियर्स के लिए खेले थे।
नीलामी में जो अन्य ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी खरीदी गए उनमें से दिल्ली कैपिटल्स ने मार्कस स्टोइनिस को 4.8 करोड़, रॉयल चैलेंजर्स बंगलौर ने एरोन फिंच को 4.4 करोड़, चेन्नई सुपरकिंग्स ने जोश हेजलवुड को 2 करोड़, राजस्थान रॉयल्स ने एंड्रयू टाय को एक करोड़, केकेआर ने क्रिस ग्रीन को 20 लाख, आरसीबी ने जोश फिलिप को 20 लाख रुपए में खरीदा था।
क्लार्क ने कहा, ‘दस खिलाड़ियों की सूची देखिए। वे इन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को अपनी आईपीएल टीम में शामिल करने के लिए बोली लगा रहे हैं। खिलाड़ी इस तरह थे कि जैसे वे कह रहे हों कि मैं कोहली की स्लेजिंग नहीं करने जा रहा हूं। वे चाहते थे कि बंगलौर उन्हें खरीदे। इससे वे छह हफ्तों में 10 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब साढ़े सात करोड़ रुपए) कमा सकते थे।’ क्लार्क ने कहा, ‘मुझे ऐसा लगता है कि ऑस्ट्रेलिया उस छोटे से दौर से गुजरा है, जहां हमारा क्रिकेट थोड़ा सॉफ्ट हो गया था या उतना आक्रामक नहीं था, जितना हम देखने के आदी हैं।’