आइसीसी के एफीलिएट और एसोसिएट सदस्यों में ‘बिग थ्री’ के दौर में कोषों में कटौती किए जाने से काफी रोष पनप रहा है। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। ईएसपीएन क्रिकइन्फो की रिपोर्ट में कहा गया कि आइसीसी दूसरे देशों की तुलना में अफगानिस्तान और आयरलैंड को अधिक पैसा दे रहा है।
यह अतिरिक्त रकम एसोसिएट और एफीलिएट देशों के हिस्से से आ रही है। दोनों को आइसीसी रैंकिंग सूची में आने से सालाना 17 लाख डालर मिले और एसोसिएट राजस्व के तौर पर करीब 30 लाख डालर मिल रहे हैं। दूसरे एसोसिएट देशों का कहना है कि यह रकम उनके कोष से जा रही है। क्रिकेट स्काटलैंड के मुख्य कार्यकारी मैल्कम कैनन ने कहा, ‘उन्हें बाकी एसोसिएट और एफीलिएट देशों के कोष से पैसा दिया जा रहा है।’
क्रिकेट आयरलैंड के अध्यक्ष रोस मैकुलम ने हालांकि कहा कि आइसीसी अब अफगानिस्तान और आयरलैंड को एसोसिएट पूल से पैसा नहीं देता। विश्लेषण में पाया गया कि पिछले साल आइसीसी के धन वितरण मॉडल में बदलाव के बाद 95 में से 50 से अधिक गैर पूर्णकालिक सदस्यों को 2015-16 में 2014-15 की तुलना में कटौती झेलनी पड़ी है। टारगेट असिस्टेंस परफार्मेंस प्रोग्राम (टीएपीपी) के खत्म होने का भी असर पड़ेगा।
मसलन स्काटलैंड को मिलने वाले कोष में ढाई लाख से 13 लाख डालर तक की कटौती होगी। नीदरलैंड, यूएई और कीनिया के कोषों में भी कमी आएगी जबकि चीन, हांगकांग, पापुआ न्यू गिनीया और अमेरिका के सालाना कोष एक-एक लाख डालर बढेंÞगे। एक एसोसिएट प्रतिनिधि ने कहा कि यह हालात छोटे देशों को खत्म कर देंगे और शायद कोई नहीं बचेगा। पिछले साल आइसीसी के ढांचे में हुए बदलाव के तहत भारत, आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को खेल पर नियंत्रण मिल गया था।