1962 Asian Games: भारतीय फुटबॉल के लिए 1950 से 1962 तक का समय काफी अच्छा माना जाता था। पहले एशियाई खेल 1951 में दिल्ली में हुए थे। उन एशियाई खेलों में भारतीय फुटबॉल टीम ने गोल्ड मेडल जीता था। भारतीय फुटबॉल टीम ने 1962 में जकार्ता में खेले गए एशियाई खेलों में भी गोल्ड मेडल जीता था। तब उसने बेहद मजबूत मानी जा रही दक्षिण कोरिया को फाइनल में हराया था।
कहा जाता है कि भारतीय टीम जब फाइनल मैच खेलने के लिए बस से स्टेडियम जा रही थी तब उनकी बस पर पत्थर भी फेंके गए थे। लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने बिल्कुल भी अपना धैर्य नहीं खोया और बड़ी सफलता हासिल की। यही वजह है कि 1962 जकार्ता एशियाई खेलों की जीत को भारतीय फुटबॉल की बहुत बड़ी उपलब्धि माना जाता है।
1962 एशियाई खेलों में जिन 8 देशों की फुटबॉल टीमों ने हिस्सा लिया था, उनमें से दक्षिण कोरिया की टीम सबसे तगड़ी मानी जाती थी। दक्षिण कोरिया ने ग्रुप स्टेज में भारत को 2-0 से हराकर अपनी क्षमता दिखा चुकी थी। उधर, भारत ने भी थाइलैंड को 4-1 से रौंद कर बता दिया था कि उसको कमजोर समझना भारी भूल हो सकती है। अगले मैच में भारत ने जापान को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई।
सेमीफाइनल में भारत के सामने साउथ वियतनाम की टीम थी। भारत ने चुन्नी गोस्वामी के 2 गोल की मदद से साउथ वियतनाम को 3-2 से हरा दिया। बता दें कि चुन्नी गोस्वामी बहुत अच्छे क्रिकेटर भी थे। उनकी कप्तानी में बंगाल क्रिकेट टीम ने रणजी ट्रॉफी का फाइनल भी खेला था। अब खिताबी मुकाबले में उसकी टक्कर दक्षिण कोरिया से थी। हालांकि, तत्कालीन राजनीतिक कारणों ने भारतीय फुटबॉल टीम के लिए मैदान के अंदर और बाहर मुश्किलें खड़ी कर दी थीं।
दरअसल, 1962 एशियाई खेलों के मेजबान देश इंडोनेशिया ने ताइवान और इजराइल को इन गेम्स के लिए बुलावा नहीं भेजा था। इंडोनेशिया का यह फैसला एशियन गेम्स फेडरेशन के नियमों के खिलाफ था। एशियन गेम्स फेडरेशन के तत्कालीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के पर्यवेक्षक जीडी सोनी ने एशियन गेम्स के आयोजकों को प्रतियोगिता का नाम चौथे एशियाई खेलों से बदलकर एशियन गेम्स रखने का प्रस्ताव दिया।
भारतीय दूतावास पर भी हुआ था अटैक
जीडी सोनी के प्रस्ताव का जकार्ता में जमकर विरोध हुआ। इस विरोध के चलते जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास पर हमला तक कर दिया गया था। अंत में जीडी सोनी को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा। उन्हें जकार्ता भी छोड़ना पड़ा। इस राजनीतिक खींचातानी के बीच करीब एक लाख दर्शकों की भीड़ के सामने भारत और दक्षिण कोरिया का मुकाबला हुआ। भारत ने दक्षिण कोरिया को 2-1 से हराकर गोल्ड मेडल जीता।
खराब हालात ने भी भारतीय खिलाड़ियों ने नहीं खोया हौसला
फाइलन मैच में भारत के लिए पीके बेनर्जी और जरनैल सिंह ने 1-1 गोल किए थे। इंडोनेशिया में इतने खराब हालात होते हुए भी हौसला ना खोकर मैच जीतना एक बड़ी उपलब्धि थी। यही वजह है कि 1962 जकार्ता एशियाई खेलों का वह स्वर्ण पदक भारतीय फुटबॉल टीम की खेल भावना का उदाहरण बनकर हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा।