भारतीय महिला टीम ने एशियाई खेलों की दस मीटर एयर राइफल निशानेबाजी स्पर्धा में रजत पदक जीता, जिसमें आशी चौकसी भी शामिल हैं। आशी ने कहा कि इतनी कठिन स्पर्धा के बीच ‘रजत’ जीतना मेरे लिए गर्व की बात है। आशी बीजिंग ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा को अपना आदर्श मानती हैं। खास यह है कि आशी ने अभिनव के साथ कभी खेला नहीं, लेकिन उनके वीडियो देख-देखकर निशानेबाजी के गुर सीखे। ऐसे में आशी को अभिनव बिंद्रा की एकलव्य कहना गलत नहीं होगा।

जनसत्ता.कॉम से बात करते हुए 21 साल की आशी चौकसी ने कहा कि मैंने हमेशा से अपना आइडल अभिनव बिंद्रा को माना है। मैंने उनकी निशानेबाजी के वीडियो देखे हैं। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। मैंने कभी उनके साथ खेला नहीं, क्योंकि जब मैंने निशाना लगाना शुरू किया, तब तक उन्होंने निशानेबाजी से संन्यास ले लिया था। आशी ने बाकू में हुए विश्व कप 2022 में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में स्वर्ण पदक जीता था।

किसी और मकसद से शुरू की थी निशानेबाजी: आशी चौकसी

आशी ने बताया कि उनका निशानेबाजी का सफर एनसीसी (NCC) से शुरू हुआ। मैंने निशानेबाजी किसी और मकसद से शुरू की थी। एनसीसी में शूटिंग रेंज थी। मैंने वहां लगभग 100 से भी ज्यादा लोगों के साथ निशाना लगाया। मेरा निशाना और लोगों के मुताबिक काफी सटीक था। इसके बाद मैं वहां के कर्नल से मिली, उन्होंने मुझे मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा आशी इसे आप अपने करियर के तौर पर लो। बस उसके बाद से मैंने भोपाल में तैयारी करना शुरू कर दिया।

मैंने एक साल अभ्यास किया, इसके बाद टूर्नामेंट में हिस्सा लेना शुरू किया। इस दौरान मेरे पापा ने मेरी बहुत मदद की। वह भी एक शूटर थे। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा। उन्होंने निशानेबाजी में मेरी काफी मदद की। मैंने अपनी तैयारी को परखा, इसके लिए मैंने कोच की सहायता ली। स्कूल में भी मुझे बहुत सपोर्ट किया गया। वहां मैं तीन दिन क्लास लेती थी तो तीन दिन मैं प्रशिक्षण लेती थी।

इस दौरान कभी कभी कठिनाई भी देखने को मिली, स्कूल से कॉल आते थे कि पढ़ाई करिए। शूटिंग एरिया से काल आते थे कि अभ्यास के लिए आइए, लेकिन अकादमी से काफी सहायता मिली। बोला गया कि आप बस तीन दिन आकर अभ्यास करिए, क्योंकि हर किसी को ऐसा मौका नहीं मिलता। प्रतिद्वंदी देश के बारे में पूछने पर चौकसी ने कहा की हमारे हमेशा से चीन और कोरिया मुख्य प्रतिद्वंदी रहे हैं।

पहले बाहर निकलने पर टोकते थे जो अब वही बधाइयां देते हैं: आशी चौकसी

लक्ष्य के पड़ाव पर संघर्ष को लेकर चौकसी ने कहा कि जहां हम सोसायटी में रहते हैं, वहां आस पास काफी लोग थे। मैं 17 साल की थी तब कई लोगों ने मेरे परिवार से बोला की आप अपनी बेटी को अकेला कैसे छोड़ सकते हैं। बेटी बाहर अकेले रहेगी। तो यह हमारे परिवार का विश्वास था। मैंने भी उस विश्वास को कभी टूटने नहीं दिया, लेकिन इस दौरान जब भी हम कही खेल में अच्छा कर रहे होते हैं, तो वही लोग अब मुझे बधाइयां भी देते हैं। मैंने शुरुआत मध्यप्रदेश से की। मुझे हथियार एमपी रेंज से मिलते हैं, मुझे स्पॉन्सर भी एमपी ही करता है।

50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन हासिल की नंबर वन रैंक

आशी ने 2017 में मध्य प्रदेश शूटिंग अकादमी के लिए ट्रायल दिए। इस दौरान उनका चयन हो गया। हालांकि, शुरुआत में ओपन साइट से निशानेबाजी करती थीं, लेकिन बाद में बीप साइट पर फोकस किया। 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में उन्होंने भारत में नंबर वन रैंक हासिल की। आशी ने बाकू में हुए विश्व कप 2022 में पचास मीटर राइफल थ्री पोजिशन में स्वर्ण पदक जीता था।

आशी बताती है कि उन्होंने इस खेल के लिए काफी मेहनत की। एक सप्ताह में 6 दिन अभ्यास करती थी। 6-6 घंटे तक रेंज में ही बैठी रहती थी। साथ ही वह फिजिकल ट्रेनिंग के साथ डाइट का खयाल भी रखती थी। 2021 में उन्हें उनकी मेहनत का फल मिला, तब वहां नेशनल में प्रदर्शन के आधार पर जूनियर विश्व चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में चुनी गई। हालांकि इस दौरान उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन उन्होंने इसी साल मई में हुए विश्व कप स्थित जूनियर निशानेबाजी में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए दो कांस्य पदक अपने नाम किए थे।