दीपा कर्माकर हांगझू में होने वाले एशियाई खेलों में हिस्सा नहीं ले पाएंगी। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) ने एशियाई खेलों के लिए जिम्नास्टिक टीम से ओलिंपियन दीपा कर्माकर का नाम हटा दिया। खास यह है कि अगरतला में 21 जुलाई 2023 को एशियाई खेलों के लिए हुए चयन ट्रायल में दीपा कर्माकर शीर्ष पर रहीं थीं।

आईओए ने दीपा कर्माकर का नाम हटाने से पीछे तर्क दिया है कि ओलंपियन ने पिछले कई साल से किसी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया है। एशियाई खेलों के लिए टीम चुनते समय मौजूदा फॉर्म नहीं बल्कि 2 साल पुराना रिकॉर्ड देखा गया। आईओए की इस दलील पर दीपा कर्माकर के कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता बिश्वेश्वर नंदी खासे नाराज हैं।

बिश्वेश्वर नंदी का मानना है कि आईओए के इस फैसले ने भारतीय जिम्नास्टिक का सत्यानाश कर दिया है। वहीं, दीपा कर्माकर ने भी हार नहीं मानी है। वह एशियाई खेलों में नहीं चुने जाने के बाद भी कठिन अभ्यास में जुटी हुईं हैं। बिश्वेश्वर नंदी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “दीपा करमाकर ने शनिवार 12 अगस्त 2023 की सुबह भी 3 घंटे तक कठिन अभ्यास किया। जब उसे पता चला कि उसका नाम एशियाई खेलों की सूची से हटा दिया गया है, तब उसने मुझसे कहा कि वह हार नहीं मानेगी। वह अगले 2-3 वर्षों तक जिमनास्टिक में रहना चाहती है।”

इस झटके से उबरने में दीपा कर्माकर को समय लगेगा

नंदी कहते हैं कि लेकिन हांगझू जाने से रोकने के लिए कुछ नियमों को बेतरतीब ढंग से हटाने का यह फैसला भारतीय जिम्नास्टिक को नष्ट कर देगा। रियो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहीं दीपा ने कहा कि उन्हें खुद को शांत करने और जो कुछ हुआ उससे उबरने के लिए समय चाहिए। दीपा ने एशियाई खेलों के ट्रायल में शीर्ष स्थान हासिल किया था, लेकिन डोपिंग प्रतिबंध के कारण वह अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाईं थीं।

बिश्वेश्वर नंदी जिस नियम की बात कर रहे हैं वह 10 जुलाई 2023 को तय किया एक मानदंड है। इसके खंड 1 में लिखा है, “प्रतियोगिता शुरू होने से पहले पिछले 12 महीनों के दौरान व्यक्तिगत स्पर्धाओं में खिलाड़ियों का प्रदर्शन 2018 एशियाई खेलों के 8वें स्थान पर रहने वाले के प्रदर्शन से कम नहीं होना चाहिए।”

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अगरतला में शुक्रवार 21 जुलाई 2023 को एशियाई खेलों की टीम के लिए चयन ट्रायल में शीर्ष पर रहने के बाद अभ्यास सत्र के दौरान जिमनास्ट दीपा कर्माकर। (एएनआई फोटो)

प्रणति नायक जाएंगी हांगझू

बिश्वेश्वर नंदी का कहना है कि भारतीय खेल प्राधिकरण के महानिदेशक को एक ऐसे व्यक्ति द्वारा गुमराह किया जा रहा है जो मानदंड तय करने में सक्षम नहीं है। जिसने नियम को हटा दिया और ट्रायल्स के इसे मनमाने ढंग से लागू किया। प्रणति नायक हांगझू में भारत का प्रतिनिधत्व करेंगी। प्रणति नायक को 2023 की शुरुआत में एशियाई चैंपियनशिप में उनके प्रदर्शन के आधार पर ट्रायल से छूट दी गई थी।

नाराज कोच बिश्वेश्वर नंदी ने लगाए ये आरोप

नाराज कोच बिश्वेश्वर नंदी ने कहा, “वह एक कोच और विशेषज्ञ होने का दावा करता है लेकिन उसने कभी भी किसी वास्तविक जिमनास्ट को मैट पर प्रशिक्षित नहीं किया है। उनका कभी कोई छात्र नहीं था जो कहीं पहुंचा हो और 25 साल से वह लिपिक (बाबू) की नौकरी कर रहे हैं, लेकिन अब वह यह तय करते हैं कि कौन जाता है और कौन नहीं। भारतीय जिम्नास्टिक का सत्यानाश कर दिया।”

बिश्वेश्वर नंदी ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, “उन्हें जमीनी हकीकत की जानकारी नहीं है। इस मानदंड को लागू करने वाले व्यक्ति को मैदान पर उतरने दें। प्रतिभा को पहचानें और उन्हें किसी भी अच्छे स्तर पर प्रशिक्षित करें। तब उसे पता चलेगा कि मनमाने ढंग से नियम बनाने के बजाय किसी प्रतियोगिता में शीर्ष पर पहुंचने के मामले में जिम्नास्टिक में चीजें कैसे काम करती हैं।”

दीपा जब टूर्नामेंट में नहीं उतरी तो शीर्ष-8 में जगह कैसे बनाएगी

इस बात पर जोर देते हुए कि दीपा अच्छी स्थिति में है, फिट है और एशियाई खेलों में जाने के लिए तैयार है, बिश्वेश्वर नंदी ने उन दावों का खंडन किया कि उसने पात्र नहीं होने की बात स्वीकार कर ली है। बिश्वेश्वर नंदी कहते हैं, “उन्होंने हमसे एक आवेदन भेजने और लिखित रूप में देने के लिए कहा, जिसके बारे में महासंघ ने SAI को सूचित किया था। इसके बावजूद कि दीपा ने ट्रायल में टॉप किया था।”

बिश्वेश्वर नंदी ने बताया, “उसने (दीपा कर्माकर ने) केवल यह सच लिखा था कि वह दो साल तक निलंबन और चोट के कारण प्रतियोगिता से बाहर रही थी, इसलिए वह पिछले दो वर्षों में शीर्ष 8 में जगह बनाने के नए मानदंड को पूरा नहीं कर पाई। जब वह प्रतिस्पर्धा में ही नहीं थी तो वह ऐसा कैसे कर सकती थी?”