हांगझू का एथलेटिक स्टेडियम दर्शकों से भरा हुआ था। 3000 मीटर स्टेपलचेज की रेस शुरू होने वाली थी। भारतीय फैंस की नजरें थीं पारुल चौधरी पर जिन्होंने हाल ही में वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। रेस शुरू हुई। बाहरेन की खिलाड़ी पहले और पारुल दूसरे स्थान पर रही। फिनिशिंग लाइन पर एक-दूसरे को बधाई दी, जैसे ही दोनों पीछे पलटीं तो उनकी नजर अपने हमवतन एथलीट्स पर पड़ी। भारत की प्रीति लांबा और बाहरेन की टाइजेस्ट एक दूसरे के काफी करीब थीं लेकिन आखिरी 50 मीटर में लांबा ने रफ्तार बढ़ाई और अपने सपनों की फिनिशिंग लाइन को क्रोस किया।
प्रीति ने जीता ब्रॉन्ज मेडल
लांबा जो पिछले एशियन गेम्स के समय पांव में फ्रैक्चर के कारण बिस्तर पर थी वह इस बार एशियन गेम्स के पोडियम पर खड़ी थी। उनकी आंखों में तिरंगा और खुशी के आंसू साथ नजर आ रहे थे। प्रीति को वहां देखकर उनके पति और कोच विक्की की खुशी का ठिकाना नहीं था जो कि अब बेसब्री से अपनी एशियन गेम्स मेडलिस्ट पत्नी की वापसी का इंतजार कर रहे हैं।
प्रीति ने फ्रैक्चर के बाद की वापसी
साल 2018 में एशियन गेम्स से दो महीने पहले प्रीति के पैर में फ्रैक्चर हो गया था। तब डॉक्टर्स ने प्रीति को कैंप ने करने की सलाह दी थी। हालांकि विक्की ने तय किया कि वह हार नहीं मानेंगे और उन्होंने प्रीति को ट्रैक पर वापस लाने के लिए सबकुछ झोंक दिया। सितंबर में चंडीगढ़ में हुए ग्रांप्री के बाद प्रीति का नाम एथलेटिक्स दल में शामिल हुआ था और उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए देश को ब्रॉन्ज दिलाया।
प्रीति के लिए विक्की ने अपने करियर पर लगाया फुलस्टॉप
प्रीति के कोच और पति ने जनसत्ता.कॉम से बातचीत में कहा, ‘प्रीति पहले दूसरे कोच के साथ ट्रेनिंग करती थी लेकिन वहां कई दूसरी लड़कियां भी थीं जो कि प्रीति से बेहतर थी। इस वजह से कोच प्रीति पर ध्यान नहीं दे पाते थे। ऐसे में मैंने तय किया कि अब मैं ही उसे ट्रेन करूंगा। मैं खुद स्टेपलचेज एथलीट था लेकिन प्रीति पर पूरा ध्यान देने के लिए मैंने खेल छोड़ दिया। शादी के बाद से मैं पूरी तरह प्रीति की ट्रेनिंग पर ही ध्यान देने लगा। मैं रेलवे में काम करता हूं। मेरी छुट्टियों खत्म हो चुकी है। मैं पिछले छह महीने से अवैतनिक अवकाश (leave Without Pay) पर हूं।’
सास भी करती हैं प्रीति का पूरा समर्थन
प्रीति को सिर्फ पति से ही नहीं बल्कि अपने सास से भी पूरा समर्थन मिलता है। विक्की के पिता सेना में थे और साल 1999 की कारगिल की लड़ाई में वह शहीद हो गए। प्रीति की ट्रेनिंग के कारण जब भी विक्की अवैतनिक अवकाश पर होते हैं तो घर का खर्च शहीद पिता की पेंशन पर ही चलता है। अपनी बहू को पोडियम पर देखने के लिए विक्की की मां बुढापे में भी अकेले रहने को तैयार हैं। वह अपने बेटे-बहू के सामने कभी अपनी परेशानियां नहीं रखती। वह बस यही चाहती हैं कि बेटे और बहु की मेहनत सफल हो।
आर्थिक परेशानी से जूझ रहा है पूरा परिवार
विक्की ने बताया कि अगर आर्थिक परेशानी न हो तो प्रीति और भी बेहतर कर सकती हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘अगर हमारी आर्थिक परेशानी दूर होगी तो हम ओलंपिक में भी अच्छा करने की कोशिश करेंगे। हमारी सबसे बड़ी परेशानी पैसा ही है। अगले साल से ओलंपिक क्वालिफायर शुरू हो रहे हैं और हमारी कोशिश यही है कि हम न सिर्फ क्वालिफाई करें बल्कि देश के लिए ओलंपिक में भी अच्छा ही करें।’ विक्की छह अक्टूबर को दिल्ली एयरपोर्ट पर पत्नी का जबरदस्त स्वागत करने पहुंचेंगे। वहीं अगले दिन प्रीति दिल्ली से रोड शो करते हुए बागपत स्थित अपने गांव ढिकाना जाएंगी।