किरण बालियान शुक्रवार को एथलेटिक्स प्रतियोगिता के शुरुआती दिन कांस्य पदक जीतकर 72 वर्षों में एशियाई खेलों की गोला फेंक स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गयीं। किरण (24 वर्ष) ने दिन के अपने सर्वश्रेष्ठ तीसरे प्रयास में 17.36 मीटर दूर गोला फेंककर भारत का एथलेटिक्स में खाता खोला। किरण इस तरह एशियाई खेलों में महिलाओं की गोला फेंक स्पर्धा में बारबरा वेबस्टर के बाद पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय बन गयीं।

71 साल बाद भारत को मिला मेडल

मुंबई की एंग्लो-इंडियन बारबरा ने 1951 में नयी दिल्ली में एशियाड के पहले चरण में कांस्य पदक जीता था। किरण ने 10 सितंबर को चंडीगढ़ में इंडियन ग्रां प्री 5 में 17.92 मीटर दूर गोला फेंककर दूसरा स्थान हासिल किया था जो उनका सत्र का और व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी है।

जैवलिन थ्रो छोड़ चुना शॉटपुट

मेरठ की रहने वाली किरण को शुरुआत में जैवलिन थ्रो में दिलचस्पी थी। इसीलिए ट्रैफिक हवलदार पिता उन्हें कैलाश स्पोर्ट्स स्टेडियम ले गए। किरण का वजन काफी ज्यादा था इसी वजह से उन्हें जैवलिन थ्रो में परेशानी होती थी। तभी कोच रॉबिन सिंह ने उन्हें शॉटपुट में हाथ आजमाने की सलाह दी। माता-पिता बेटी के लिए हर तरह के त्याग करने को तैयार थे। किरण की मां उन्हें दिन में दो बार ट्रेनिंग के लिए स्टेडियम ले जाया करती थी। वहीं जब किरण को टूर्नामेंट्स पर बाहर जाना होता था तो मां उनके साथ जाती वहीं पिता छुट्टी लेकर घर पर छोटे बेटे का ख्याल रखते थे।

माता-पिता ने किए कई त्याग

टूर्नामेंट्स और ट्रेनिंग के खर्च उठाने के लिए पिता सतीश दोस्तों और रिश्तेदारों से मदद लेते थे। शॉटपुट की शुरुआत के पहले ही साल में किरण अंडर 18 में छठे स्थान पर रही। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 2017 में उन्होंने जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। कोरोना के समय किरण को परेशानी होती थी लेकिन पिता ने इसका भी हल निकाला। पुलिस पास पर वह बेटी को कर्फ्यू समय से पहले और देर रात स्टेडियम लेकर जाते थे। किरन अब खुद पुलिस का हिस्सा बन चुकी हैं। वह बतौर सब इंसपेक्टर राजस्थान पुलिस से जुड़ीं। किरन ने वर्ल्ड पुलिस और फायर गेम्स में मेडल जीते जिसके बाद उन्हें प्रमोशन दिया गया। किरन के पिता का कहना है कि सैल्यूट करके अपनी बेटी का स्वागत करेंगे।