भारत ने हांगझू में खेले जा रहे एशियन गेम्स में अब तक 10 मेडल हासिल कर लिए हैं। इन 10 में से पांच मेडल भारत को रोइंग में मिले है। पिछले एशियाड में भारत ने केवल तीन मेडल जीते थे लेकिन इस बार यह संख्या पांच तक पहुंच गई है। रोइंग के खिलाड़ियों ने जीवन के संघर्षों का सामना करते हुए देश के लिए यह मेडल हासिल किए। इन खिलाड़ियों में से कुछ देश के सबसे सूखे राज्य राजस्थान से आते हैं जहां रहते हुए इस खेल के बारे में वह जानते भी नहीं थे।
पुनीत की मां की हुई चार बार सर्जरी
भारत की मेंस 8 टीम को रविवार को सिल्वर मेडल मिला था। कबड्डी खिलाड़ी रहे पुनीत मुजफ्फरनगर के रहने वाले हैं। उनके पिता किसान हैं जिनकी दिल की स्थिति अच्छी नहीं है। उनकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है। उनकी माता के पेट की चार बार सर्जरी हो चुकी है साथ ही उन्हें अस्थमा भी है। इसके अलावा पुनीत की छोटी बहनें भी हैं। परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए पुनीत ने सेना की नौकरी को चुना। रोइंग के लिए ट्रेनिंग की वजह से वह अपने बीमार मां-बाप की सेवा के लिए ज्यादा समय नहीं दे पाते हैं। उनका लक्ष्य फिलहाल देश के लिए खेलना ही है।
बीमार माता-पिता की नहीं कर पाए सेवा
नीरज को छोड़ना पड़ा मीठा
मेंस 8 की तीसरी सीट पर बैठने वाले नीरज मान कुमार ने इस खेल के लिए अपनी पसंदीदा चीज छोड़ दी। नीतीश को मीठा बहुत पसंद था लेकिन अपनी टीम और साथियों के लिए उन्हें इसे छोड़ना पड़ा। नीरज ने कहा, ‘हम नॉर्थ से हैं, हमें गुलाब जामुन और काजू कतली बहुत पसंद है। लेकिन टीम के लिए नहीं खा सकता।’