कहानी 1982 एशियन गेम्स की: खेल के मैदान पर भारत और पाकिस्तान की प्रतिद्वंदीता बहुत पुरानी है। चाहे हॉकी की टर्फ हो, क्रिकेट मैदान या टेनिस कोर्ट। यह दो देश जब भी आमने-सामने आते हैं या तो तय नहीं होता है कि जीत किसकी होगी लेकिन इन मैचों में रोमांच की गारंटी जरूर होती है।

आज दोनों देश के लिए यह प्रतिद्वंदिता क्रिकेट के मैदान पर सबसे ज्यादा नजर आती हो लेकिन एक समय ऐसा भी था जब हॉकी का मैदान इन दो टीमों के लिए जंग का मैदान बन जाता था। 1982 के एशियन गेम्स में ऐसा ही मुकाबला खेला गया था जहां पाकिस्तान ने बाजी मारी। हालांकि यह मुकाबला पाकिस्तान की टीम अपनी जीत से ज्यादा भारतीय फैंस से मिले प्यार के लिए याद करती हैं।

भारतीय टीम ने फैंस को किया निराश

1982 के एशियन गेम्स का हॉकी फाइनल मैच भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया था। एशियन गेम्स के उस फाइनल मैच को देखने के लिए 25000 फैंस जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पहुंचे थे। एक दिसंबर का वह दिन भारत की सबसे शर्मनाक हार लेकर आया था। भारत ने इस मैच के चौथे मिनट में गोल करके 1-0 की बढ़त हासिल की लेकिन इसके बाद उसके खिलाड़ी अगले 66 मिनट में एक भी गोल नहीं कर पाए।

भारतीय टीम की बुरी हार

पाकिस्तान ने एक के बाद एक 7 गोल दाग दिए। यह उस समय तक भारत की सबसे शर्मनाक हार थी। इस हार के कारण स्टेडियम में मौजूद फैंस के साथ-साथ पूरा देश निराश था। लेकिन यह निराशा बस अपनी टीम की हार को लेकर थी। फैंस के दिल में पाकिस्तानी टीम के लिए कोई नफरत नहीं थी। इस हार के बावजूद भारतीय फैंस ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को बहुत प्यार और सम्मान दिया।

भारतीय दुकानदारों के प्यार ने जीता पाकिस्तान का दिल

उस मैच के 41 साल बाद उसी टीम का हिस्सा रहे हसन सरदार जब एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा लेने भारत आए तो उन्होंने उस प्यार के बारे में दुनिया को बताया जो उन्हें भारत में मिला। हसन सरदार ने भारत के खिलाफ उस मुकाबले में हैट्रिक लगाई थी।

हसन सरदार ने बताया था, ”हमने 1982 में एशियन गेम्स के फाइनल में भारत को हराया था, लेकिन अगले दिन हम बाजार गए तो किसी दुकानदार ने हमसे सामान के पैसे नहीं लिए। भारत में हमें बहुत प्यार मिला और पाकिस्तान में भारतीय क्रिकेटरों और हॉकी खिलाड़ियों को वही प्यार मिलता है। हमें इसी रिवायत को कायम रखना है।”