भारतीय महिला तलवारबाज सीए भवानी देवी फिर सुर्खियों में हैं। भवानी देवी ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचा था। वह भारत की ओर से ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली पहली तलवारबाज बनने के अलावा इस स्पर्धा में कोई मुकाबला जीतने वाली पहली एथलीट भी बनी थीं। हालांकि, इसके बाद वह चर्चाओं से दूर हो गईं थीं, लेकिन भवानी ने एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप में अपने प्रदर्शन से फिर साबित किया कि उनका टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचना महज संयोग नहीं था।

भवानी देवी ने सोमवार 19 जून 2023 को चीन के वुक्सी में एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप की महिला सेबर स्पर्धा के सेमीफाइनल में हार के बावजूद कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा। यह इस प्रतियोगिता में भारत का पहला पदक है। सेमीफाइनल में भवानी को उज्बेकिस्तान की जेनाब डेयिबेकोवा के खिलाफ कड़े मुकाबले में 14-15 से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला पदक सुनिश्चित किया। एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप का 1973 से आयोजन हो रहा है, लेकिन अब तक भारत एक भी पदक नहीं जीत पाया था।

भवानी ने उज्बेकिस्तान की जेनाब से हारकर जीता कांस्य पदक

तमिलनाडु की रहने वाली भवानी देवी ने क्वार्टर फाइनल में गत विश्व चैंपियन जापान की मिसाकी एमुरा को 15-10 से हराकर इतिहास रचा। उलटफेर किया था। मिसाकी के खिलाफ यह भवानी की पहली जीत थी। इससे पहले उन्होंने जापान की खिलाड़ी के खिलाफ अपने सभी मुकाबले गंवाए थे। भवानी को राउंड ऑफ 64 में बाई मिली थी।

इसके बाद अगले दौर में उन्होंने कजाखस्तान की डोस्पे करीना को हराया। भारतीय खिलाड़ी ने प्री क्वार्टर फाइनल में भी उलटफेर करते हुए तीसरी वरीय ओजाकी सेरी को 15-11 से हराया था। भवानी देवी का पूरा नाम चदलवदा अनंधा सुंदररमन भवानी देवी है।

भारतीय तलवारबाजी के लिए गौरवपूर्ण दिन: भारतीय तलवारबाजी संघ

भारतीय तलवारबाजी संघ के महासचिव राजीव मेहता ने भवानी देवी को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई दी है। राजीव मेहता ने पीटीआई से कहा, ‘यह भारतीय तलवारबाजी के लिए बेहद गौरवपूर्ण दिन है। भवानी ने वह किया है जिसे इससे पहले कोई और हासिल नहीं कर पाया। वह प्रतिष्ठित एशियाई चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय तलवारबाज हैं।’

राजीव मेहता ने कहा, ‘पूरे तलवारबाजी जगत की ओर से मैं उन्हें बधाई देता हूं। भले ही वह सेमीफाइनल में हार गई लेकिन मुकाबला काफी करीबी था। सिर्फ एक अंक का अंतर था, इसलिए यह बड़ा सुधार है।’ ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बनीं भवानी टोक्यो में राउंड ऑफ 32 में बाहर हो गईं थीं।

मां ने गहने गिरवी रखे, लोगों से उधार लिया

मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से आने वाली भवानी देवी के पिता सी सुंदरमन पुजारी थे और माता रमानी एक गृहिणी हैं। टोक्यो ओलंपिक के बाद भवानी देवी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा था, ‘मेरी मां ने मेरी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए गहने गिरवे रख दिए थे।’

भवानी ने बताया था, ‘मैं प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले पाऊं इसके लिए उन्होंने लोगों से उधार लिया। मुझे याद है कि जब-जब हम धन का बंदोबस्त नहीं कर सके तब मैं प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाई। मैंने 2019 में पिता को खो दिया था। मैं इस मौके पर उन्हें सबसे ज्यादा मिस कर रहीं हूं।’