भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग न सिर्फ बल्ले से धाक जमाने के लिए प्रसिद्ध थे, बल्कि मैदान के बाहर भी राय रखने में हिचकिचाते नहीं थे। हालांकि, इसी आदत के कारण उन्हें कभी-कभी शर्मिंदगी भी उठानी पड़ी। जैसे 2004 में, जब भारत एशिया कप की तैयारी कर रहा था। सहवाग ने भविष्यवाणी की कि वह दोहरा शतक लगा सकते हैं! इस भविष्यवाणी के लिए उन्हें पूर्व राष्ट्रीय टीम के कोच जॉन राइट से भी कड़ी फटकार मिली थी।

सहवाग ने किया था दोहरा शतक बनाने का ऐलान

वीरेंद्र सहवाग ने संयुक्त अरब अमीरात के खिलाफ शुरुआती दौर के मैच से पहले दाम्बुला में पत्रकारों से कहा, ‘अगर मैं 50 ओवर क्रीज पर टिका रहा, तो दोहरा शतक लगा सकता हूं। कई बल्लेबाज ऐसा कर सकते हैं, बशर्ते वे पूरे 50 ओवर बल्लेबाजी करें। वनडे में दोहरा शतक लगाना आसान नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं।’ तब पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाज सईद अनवर की 1997 में खेली गई 194 रन की पारी वनडे में शीर्ष स्थान पर थी।

एशिया कप 2004 में यूएई के खिलाफ खाता भी नहीं खोल पाए थे सहवाग

चार दिन बाद भारत के पहले मैच में यूएई के खिलाफ वीरेंद्र सहवाग तीन गेंद बाद बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए। पूरे टूर्नामेंट में वह अर्धशतक तक नहीं लगा पाए। उन्होंने टूर्नामेंट में क्रमशः शून्य, 37, 16, 1, 81 और पांच रन का स्कोर किया। दरअसल, नजफगढ़ के नवाब के नाम से मशहूर सहवाग का बल्ला पूरे साल ठंडा ही रहा। वह 26 पारियों में 25.80 के औसत से 671 रन ही बना पाए। वह साल सहवाग के लिए 2001 और 2011 के बीच का सबसे खराब वनडे सीजन रहा। इसमें उनका औसत दशक के किसी भी साल में सबसे कम रहा।

‘क्रिकेट आपका मजाक उड़ा देगा’

तीन साल बाद 2007 में प्रकाशित अपनी किताब ‘इंडियन समर्स’ में भारतीय टीम के मुख्य कोच (2000-05 तक) रहे जॉन राइट ने एशिया कप से पहले मीडिया में सहवाग की अहंकारी टिप्पणियों की खासतौर पर आलोचना की थी। जॉन राइट ने लिखा, ‘जब हम 2004 में फिर से एकजुट हुए, तो यह विश्व कप के बाद के हैंगओवर जैसा था, बल्कि उससे भी बदतर। पाकिस्तान में जीत के बाद, कहा जा रहा था कि यह अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय टीम है।

उन्होंने लिखा, ‘उस देश में जहां पारंपरिक रूप से महान बल्लेबाजों को नायक माना जाता रहा, हमारे तेज गेंदबाज इरफान पठान और लक्ष्मीपति बालाजी भी नायक बन गए थे। हमारा पहला टूर्नामेंट, एशिया कप, एक नियति का नतीजा माना जाता था और मीडिया में कुछ हद तक अहंकार भी था, जैसे कि वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि अगर वह 50 ओवर बल्लेबाजी करते हैं तो एकदिवसीय मैच में 200 रन बना सकते हैं।’

क्रिकेट का मजाक उडाएंगे तो क्रिकेट आपका मजाक उड़ाएगा

राइट ने बताया, ‘इसने मुझे मेरे पुराने डर्बीशायर कप्तान, दक्षिण अफ्रीकी ऑलराउंडर एडी बार्लो की बात याद दिला दी। यह उन्होंने मुझसे तब कही थी जब मैंने एक बड़े शतक के बाद तीन आसान असफलताएं झेली थीं। उन्होंने कहा था- अगर आप क्रिकेट का मजाक उड़ाएंगे तो क्रिकेट आपका मजाक उड़ाएगा।’ शायद ऐसा ही कुछ वीरेंद्र सहवाग के साथ हुआ। सहवाग उस सीजन अपने पहले 13 वनडे मैचों में एक अर्धशतक ही लगा पाए।

हालांकि, सात सीजन बाद अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के अंतिम दिनों में सहवाग ने इसका बदला मिला। भारत की वनडे विश्व कप जीत के कुछ महीनों बाद दिसंबर 2011 में वीरेंद्र सहवाग ने इंदौर के होल्कर स्टेडियम में वेस्टइंडीज के गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं। एमएस धोनी की अनुपस्थिति में टीम की अगुआई करते हुए सहवाग ने केवल 146 गेंदों में 25 चौकों और 7 छक्कों की मदद से 219 रनों की विशाल पारी खेली।

सहवाग हैं वनडे कप्तान का सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर

सहवाग की यह पारी किसी वनडे कप्तान का सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर था। उन्होंने भारत को एकदिवसीय मैचों में अब तक के सर्वोच्च स्कोर (418/5) तक पहुंचाया और सचिन तेंदुलकर के बाद एकदिवसीय मैचों में दोहरा शतक बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी बने। यह सहवाग का आखिरी वनडे शतक भी साबित हुआ। हालांकि, सहवाग ने 7 सीजन पहले एशिया कप में की घोषणा के बाद 2011 की सर्दियों में 50 ओवर खेले बिना दोहरा शतक पूरा किया।

अपने करियर को अलविदा कहने के एक दशक बाद भी ‘मुल्तान के सुल्तान’ के नाम कुछ चौंकाने वाले अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड दर्ज हैं। सहवाग का स्ट्राइक-रेट और शतकों की भूख सभी प्रारूपों में उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की विशेषता थी। वह वनडे और टेस्ट दोनों में 7500 रन बनाने वाले इकलौते सलामी बल्लेबाज हैं। वह इतिहास में दो तिहरे शतक बनाने वाले चार टेस्ट बल्लेबाजों में से एक हैं। इस प्रारूप में सबसे तेज 300 रन भी बनाए। सहवाग के साहसिक और बेबाक रवैये से विपक्षी गेंदबाजों का मनोबल टूट जाता था।