क्रिकेट के नियमों के संरक्षक मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने शनिवार को वर्ल्ड कप 2023 में बांग्लादेश के खिलाफ श्रीलंका के ऑलराउंडर एंजेलो मैथ्यूज के टाइम आउट होने पर बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि अंपायर्स ने विश्व कप के मैच में एंजेलो मैथ्यूज को सही ‘टाइम आउट’ करार दिया था, लेकिन नया हेलमेट मांगने से पहले अंपायरों से सलाह लेकर मैथ्यूज उस तरह से आउट होने से बच सकते थे।
मैथ्यूज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में ‘टाइम आउट’ होने वाले पहले बल्लेबाज बने, जब बांग्लादेश के खिलाफ मैच में वह समय सीमा के भीतर स्ट्राइक लेने से चूक गए। इसे लेकर काफी विवाद पैदा हुआ। मैथ्यूज को बाद में पता चला कि उनके हेलमेट का स्ट्रेप टूटा है और उन्होंने नया हेलमेट मंगवाया। इस विलंब से बांग्लादेश ने अपील की और अंपायरों ने टाइम आउट करार दिया।
मैथ्यूज ने अंपायरों से बात नहीं की
एमसीसी ने एक बयान में कहा ,‘‘ जब हेलमेट टूटा तो लगा कि मैथ्यूज ने अंपायरों से मशविरा नहीं किया। एक खिलाड़ी को हेलमेट या गलव्स या कोई इक्विपमेंट मंगवाने से पहले ऐसा करना चाहिये। उन्होंने सीधे ड्रेसिंग रूम में इशारा कर दिया। अगर वह अंपायरों को बताते कि क्या हुआ है और समय मांगते तो उन्हें हेलमेट बदलने की अनुमति मिल जाती। इससे वह टाइम आउट होने से बच जाते।’’
अंपायर क्या कर सकते थे?
बयान में कहा गया ,‘‘अपील किये जाने के समय दो मिनट से अधिक निकल चुके थे तो अंपायरों ने उन्हें सही आउट करार दिया। क्रिकेट के नियमों के अनुसार वह इसके अलावा क्या कर सकते थे।’’ उस मैच में दक्षिण अफ्रीका के मराइस इरास्मस और इंग्लैंड के रिचर्ड इलिंगवर्थ मैदानी अंपायर थे।
टाइम आउट जैसे नियम क्यों जरूरी?
तनाव इतना बढ़ गया था कि मैच के बाद दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने एक दूसरे से हाथ नहीं मिलाया। एमसीसी ने कहा कि इस तरह का नियम इसलिये जरूरी है कि ऐसा नहीं होने पर विकेट गिरने पर बल्लेबाज समय बर्बाद कर सकते हैं। इससे फील्डिंग करने वाली टीम को धीमी ओवरगति के लिये जुर्माना भरना पड़ सकता है।