अगले महीने के पांच तारीख से अफगानिस्तान और वेस्टइंडीज की टीमें क्रिकेट मैदान पर आमने-सामने होंगी। इन दोनों की भिड़ंत भारतीय स्टेडियमों में होनी है। अफगानिस्तान के राशिद खान भारत को अपना दूसरा घर बताते हैं। जब जुनून और संघर्ष अपनी कहानी बयां करते हैं तो सफलता की एक ऐसी कहानी गढ़ते हैं कि वो आने वाले समय में लोगों के लिए एक मिसाल होती है। कहते हैं कि मुश्किलें अक्सर दिलों के इरादे आजमाती हैं और जो इन मुश्किलों को चट्टान से हौसलों के जरिए मात देते हैं इतिहास उनकी गवाही देता है और आने वाला कल उनके सजदे में झुका होता है। ऐसी ही जिंदादिली का एक उदाहरण हैं अफगानिस्तान के 20 वर्षीय खिलाड़ी राशिद खान, जिनकी फिरकी में आज दुनिया का महान से महान बल्लेबाज घूमता नजर आता है लेकिन इस युवा खिलाड़ी को कभी वक्त के करवट ने भी पटखनी देने की कोशिश की लेकिन राशिद जानते थे कि अगर आज हालात से समझौता कर लिया तो जिंदगी समझौतों संग ही बीत जाएगी, लेकिन आज अगर इससे नजरें मिलाकर मुकाबला कर लिया, तो आने वाला कल मेरा होगा। जानते हैं इस खिलाड़ी के बारे में कुछ सुनी-अनसुनी बातें…
आतंक के साये में गुजरा है बचपनः अफगानिस्तान के हालात से भला कौन वाकिफ नहीं है। इसी देश के निंगरहाड़ प्रांत में राशिद का जन्म हुआ था लेकिन हालात इतने खराब हो गए थे कि राशिद के परिवार को पाकिस्तान में बसना पड़ा था। हालांकि जब हालात सुधरे तो राशिद का परिवार वापस अपने देश चला आया और शुरू हुई राशिद के क्रिकेटर बनने की कहानी। राशिद का घर वैसे तो काबुल से 3 घंटे की दूरी पर है लेकिन उनके घर से पाकिस्तान बॉर्डर की दूरी महज 1 घंटे के अंतर पर है।
घर में हैं कई ‘क्रिकेटर’: दिलचस्पप होगा जानना कि राशिद खान अपने शुरुआती दिनों में बल्लेबाज बनना चाहते थे लेकिन उनके दोस्तों और भाइयों की देन है। बता दें कि राशिद के घर में क्रिकेट के सभी दीवाने हैं, अक्सर इंटरव्यू में भी वो कह चुके हैं कि उनकी गेंदाबीजी में उनके भाइयों का बड़ा योगदान है। यहां तक कि राशिद ने बताया था कि उनके भतीजे भी गुगली आसानी से डाल लेते हैं।
अंग्रेजी के मास्टर भी रहे हैं राशिदः राशिद ने अपने इंटरव्यू में कई बार बताया है कि वो क्रिकेट में नहीं आना चाहते थे और उनकी मम्मी चाहती थी कि वो डॉक्टर बने क्योंकि उनके परिवार में कोई डॉक्टर नहीं था। राशिद को ग्लिश बोलने का बहुत शौक था इसलिए दसवीं के बाद इंग्लिश ट्यूशन भी लिया और जब अंग्रेजी सीख ली तो बाद में 6 महीने तक इंग्लिश पढ़ाया भी लेकिन जब क्रिकेट का खुमार चढ़ा तो फिर राशिद ने इसे छोड़ दिया।
आज राशिद खान का नाम अफगानिस्तान की पहचान से जुड़ गया है। आज अपनी प्रतिभा के दम पर उन्होंने ऐसा कीर्तिमान गढ़ा है जिसकी चर्चा हर किसी के जुबान पर रहती है। अफगानिस्तान के युवाओं के लिए राशिद उनका रोल मॉडल हैं, आने वाली पीढ़ियां राशिद को आदर्श मानती हैं उनके जैसा बनना चाहती हैं। राशिद को अभी क्रिकेट जगत में कई और कमाल करने हैं इसलिए उनका सफर जारी है।