यह बात साबित हो गई है कि प्रेरणा की कोई उम्र नहीं होती। कोई बच्चा दूसरों को प्रेरित कर सकता है, तो कभी किसी बुज़ुर्ग की कहानी दिलों में हिम्मत जगा देती है। अमेरिका की 80 वर्षीय दादी नताली ग्रैबो (Natalie Grabow) ने ऐसा ही कर दिखाया है। उन्होंने न केवल अपने जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य पूरा किया, बल्कि पूरी दुनिया के सामने यह मिसाल पेश की कि जज्बे और मेहनत से कोई भी मंजिल हासिल की जा सकती है।
59 की उम्र में सीखी तैराकी, अब 80 में पूरा किया आयरनमैन
नताली ग्रैबो ने 59 साल की उम्र में तैरना सीखा था ताकि वह ट्रायथलॉन (Triathlon) में हिस्सा ले सकें। अब 21 साल बाद उन्होंने आयरनमैन वर्ल्ड चैंपियनशिप (Ironman World Championship) को पूरा करके इतिहास रच दिया है।
न्यू जर्सी के माउंटेन लेक्स की रहने वाली नताली ने हवाई (Hawaii) के कैलुआ बे में समुद्र की लहरों से जूझते हुए 2.4 मील की तैराकी की। इसके बाद उन्होंने 112 मील की साइकिलिंग की। साइकिलिंग के दौरान उनका सफर लावा फील्ड्स और तेज समुद्री हवाओं से भरे कठिन रास्ते से होकर गुजरा। अंत में उन्होंने 26.2 मील की दौड़ यानी फुल मैराथन की दूरी तय की।
17 घंटे की सीमा से पहले ही पूरा कर दिखाया चैलेंज
नताली ने यह तीनों चरणों वाला कठिन मुकाबला 16 घंटे 45 मिनट और 26 सेकंड में पूरा किया, जबकि समय सीमा 17 घंटे की थी। इस रेस में 1600 से ज्यादा प्रतिभागियों में से 60 लोग मंजिल तक नहीं पहुंच पाए, लेकिन नताली ने अपने जज्बे से यह मुकाम हासिल कर लिया। फिनिश लाइन पर पहुंचते ही भीड़ ने ‘नताली! नताली!’ के नारे लगाए।
नताली महिलाओं की 80-84 आयु वर्ग की इकलौती प्रतिभागी थीं। खास बात यह रही कि सबसे पहले उन्हें बधाई देने आईं शेरी ग्रुएनफेल्ड (Cherie Gruenfeld)। शेरी ग्रुएनफेल्ड वहीं हैं, जिनका नाम पिछला रिकॉर्ड था। शेरी ग्रुएनफेल्ड ने 78 साल की उम्र यह उपलब्धि अपने नाम की। अब 80 साल की नताली ने इसे तोड़ दिया।
सबसे उम्रदराज आयरनमैन प्रतिभागी
वैसे आयरनमैन वर्ल्ड चैंपियनशिप पूरी करने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी जापान के हीरोमु इनादा (Hiromu Inada) हैं, जिन्होंने यह कारनामा 85 साल की उम्र में 2018 में किया था।
‘ट्रायथलॉन मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है’
नताली ने NPR से बातचीत में कहा, ‘मैं बहुत खुश और आभारी हूं कि इस उम्र में भी रेस कर पा रही हूं। ट्रायथलॉन मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत महसूस कराता है। यह मेरे प्रतिस्पर्धी स्वभाव को भी संतुष्ट करता है।’
रेस के दौरान नताली के साथ उनकी बेटी एमी (Amy) और कोच मिचेल लेक (Michelle Lake) भी थीं। मिचेल ने उन्हें साहस और महानता की मिसाल बताते हुए कहा, ‘नताली हर दिन कुछ नया करने की ऊर्जा रखती हैं और दूसरों को प्रेरित करने की क्षमता भी।’
सॉफ्टवेयर इंजीनियर से बनीं एथलीट
नताली अपने करियर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर रही हैं। उन्हें हमेशा दौड़ना पसंद था, लेकिन चोटों की वजह से उन्हें रुकना पड़ा। नताली ने बताया, ‘ट्रायथलॉन में अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग होती है, जिससे चोट लगने का खतरा कम होता है। अपने दोस्तों को इसमें हिस्सा लेते देखकर मैंने भी सोचा क्यों न मैं भी कोशिश करूं!’
यह कहानी सिर्फ एक महिला की जीत नहीं, बल्कि उम्र को मात देने वाले जज्बे की मिसाल है। नताली ग्रैबो ने दिखा दिया कि अगर मन में हिम्मत हो तो कोई मंज़िल दूर नहीं।