भारतीय टीम के ‘खराब प्रदर्शन’ पर कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार ने पिछले चार वर्षों में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) को अपनी फंडिंग में लगभग 85 प्रतिशत की कटौती की है। फेडरेशन को हाल के दिनों में वित्तीय परेशानी का सामना करना पड़ा है। प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं के वार्षिक कैलेंडर (ACTC) के तहत उसका अनुदान वित्तीय वर्ष 2019-20 (सितंबर 2020 तक 18 महीने की अवधि के लिए) के लिए 30 करोड़ रुपये था। यह साल 2020-21 में 10 करोड़ रुपये हो गया है। इस साल इसे और घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

पता चला है कि 29 मार्च को नई दिल्ली में एसीटीसी की बैठक के दौरान फेडरेशन के अधिकारियों ने ऐसे प्रस्ताव रखे थे जो स्वीकृत बजट से कम से कम तीन गुना अधिक थे। हालांकि, खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) इससे सहमत नहीं थे। खेल सचिव सुजाता चतुर्वेदी ने कहा, “भारतीय फुटबॉल टीम के खराब प्रदर्शन को देखते हुए, एआईएफएफ को सलाह दी गई थी कि वह जमीनी स्तर की प्रतिभा के विकास पर सख्ती से ध्यान केंद्रित करे।”

फुटबॉल के लिए आवंटित धनराशि एथलेटिक्स (30 करोड़ रुपये), बैडमिंटन, मुक्केबाजी, हॉकी, शूटिंग (प्रत्येक 24 करोड़ रुपये), तीरंदाजी (15.85 करोड़ रुपये) और भारोत्तोलन (11 करोड़ रु.) सहित अन्य प्रमुख खेलों के लिए निर्धारित की गई राशि से बहुत कम है। इसके अलावा टेनिस (5.5 करोड़ रुपये), घुड़सवारी (6 करोड़ रुपये) और नौकायन (5.2 करोड़ रुपये) को भी चालू वित्त वर्ष में फुटबॉल से बड़ा बजट मिला है।

आने वाले कुछ महीने भारतीय फुटबॉल के लिए व्यस्त और महत्वपूर्ण होंगे, जिसमें पुरुष टीम जून में महत्वपूर्ण एशियन कप क्वालीफायर में भाग लेने वाली है और जूनियर महिला अंडर -17 टीम फीफा विश्व कप में भाग लेने के लिए तैयार है, जो भारत में ही होना है। एसीटीसी बैठक के अनुसार एआईएफएफ ने सितंबर में चीन के हांगझोउ में होने वाले एशियाई खेलों के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के लिए पुरुष और महिला टीमों के लिए भी लक्ष्य निर्धारित किया है। हालांकि, भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा उनकी भागीदारी की पुष्टि की जानी बाकी है, जिसने 2018 एशियाड के लिए उनकी प्रविष्टियों को अस्वीकार कर दिया था, उन्हें कोई भी पदक जीतने के लिए ‘अक्षम’ मानते हुए।

बता दें कि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के महासचिव कुशल दास भी परेशानी में घिरते दिख रहे हैं। उनपर कार्यस्थल पर कर्मचारियों से छेड़छाड़ का आरोप लगा है। आई-लीग क्लब मिनर्वा पंजाब एफसी के पूर्व मालिक और उद्यमी रंजीत बजाज ने उनपर आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल के दबाव के कारण इस मामले को रफा-दफा कर दिया गया।