एक साल के लंबे अंतराल के बाद वापसी करने वाली मीराबाई चानू ने अपनी ख्याति के अनुरूप प्रदर्शन करते हुए सोमवार 25 अगस्त 2025 को अहमदाबाद में राष्ट्रमंडल भारोत्तोलन चैंपियनशिप में रिकॉर्ड बनाकर स्वर्ण पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू ने महिलाओं के 48 किग्रा वजन वर्ग में कुल 193 किग्रा (84 किग्रा + 109 किग्रा) वजन उठा राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में कुल, स्नैच और क्लीन एंड जर्क के रिकॉर्ड तोड़ पहला स्थान हासिल किया।
पहले 49 KG भार वर्ग में लेती थीं हिस्सा
31 साल की मीराबाई चानू इससे पहले 49 किग्रा में हिस्सा लेती थीं, लेकिन यह वजन वर्ग अब ओलंपिक में शामिल नहीं है। मीराबाई चानू ने अगस्त 2024 में पेरिस ओलंपिक के बाद पहली बार किसी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। पेरिस ओलंपिक में वह चौथे स्थान पर रही थीं। मीराबाई चोटिल होने के कारण पिछले एक साल में किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाई थीं, इसलिए उन्हें लय हासिल करने में भी समय लगा। इस तरह से मीराबाई चानू ने 48 किग्रा में सफल वापसी की। उन्होंने इसी भार वर्ग में विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों में दो पदक जीते थे, लेकिन 2018 के बाद से वह 49 किग्रा भार वर्ग में ही हिस्सा ले रही थीं।
डॉक्टरेट की पढ़ाई के बाद प्राइमरी स्कूल से सर्टिफिकेट?
मीराबाई चानू के लिए राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में पदक जीतना डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने के बाद प्राइमरी स्कूल से सर्टिफिकेट पाने जैसा रहा होगा। मीराबाई ने सबसे हल्के भार वर्ग (48 किग्रा में) स्वर्ण पदक जीता। यह शायद उनकी उपलब्धियों की लंबी सूची में उतना ऊंचा स्थान न रखता हो। पदक जीतने के बाद मीराबाई ने भी स्वीकार किया कि कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप सिर्फ नतीजों के बारे में नहीं थी। पेरिस ओलंपिक के कठिन दौर के बाद जब उन्होंने रीसेट बटन दबाया, तो इस भारोत्तोलक का ध्यान व्यापक परिदृश्य पर था। इस लिहाज से, मीराबाई और उनके कोच विजय शर्मा की ‘ड्रीम टीम’ अहमदाबाद से 193 किग्रा के कुल योग से कहीं ज्यादा बढ़त के साथ लौटेगी।
30 सेकंड के कारण 197 किग्रा उठाने से चूकीं
मीराबाई ने प्रतियोगिता के स्नैच वर्ग में एक अच्छा प्रयास किया। वह 84 किग्रा ही उठा पाईं। जब उन्होंने 87 किग्रा उठाने की कोशिश की, तो कोहनी थोड़ी सी बाहर की ओर दब गई और इसे ‘नो लिफ्ट’ माना गया। क्लीन एंड जर्क मीराबाई की ताकत है, लेकिन टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई तय 30 सेकंड के भीतर अपना अंतिम प्रयास शुरू नहीं कर पाईं, इसलिए 113 किलोग्राम उठाने में सफल होने के बावजूद इसे अंतिम स्कोर में नहीं गिना गया।
मीराबाई खुद से ही प्रतिस्पर्धा कर रही थीं, क्योंकि उनकी सबसे करीबी प्रतिद्वंद्वी मलेशिया की इरीन हेनरी ने कुल 32 किलोग्राम कम भार उठाया था। इरीन हेनरी ने कुल 162 किलोग्राम भार उठाकर रजत पदक जीता था, लेकिन मीराबाई बाकी प्रतियोगियों से इतनी आगे थीं कि उन्होंने मंच पर तभी कदम रखा जब बाकी सभी ने अपने सभी प्रयास पूरे कर लिए थे।
सबसे बड़ी उपलब्धि
एक प्रयास के दौरान अपनी बाईं कलाई में थोड़ी सी तकलीफ के अलावा, सोमवार को हुए सॉफ्ट रीलॉन्च के बाद विजय शर्मा के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि मीराबाई साल के सबसे बड़े इवेंट अगले महीने होने वाली विश्व चैंपियनशिप के लिए ‘तैयार’ हैं। विजय शर्मा ने बताया, ‘इस टूर्नामेंट के लिए हमारा लक्ष्य यही था कि उन्हें टूर्नामेंट के लिए तैयार किया जाए। हम विश्व चैंपियनशिप में 200 किग्रा के आंकड़े को छूने की राह पर हैं। इससे पदक मिलता है या नहीं, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन 200 किग्रा का आंकड़ा हमारी पहुंच में है।’
यह मेरा सबसे लंबा ब्रेक था: मीराबाई चानू
कुछ हद तक, इस बात से राहत मिली कि भारोत्तोलन में उनकी वापसी ‘सुचारू’ रही। ठीक एक साल पहले पेरिस ओलंपिक में मिली हार के बाद कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप मीराबाई का पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था। पदक जीतने के बाद मीराबाई ने कहा, ‘यह मेरा सबसे लंबा ब्रेक था।’ विजय शर्मा ने कहा, ‘चूँकि पेरिस ओलंपिक के तुरंत बाद कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं था, इसलिए वह मीराबाई के थके हुए शरीर को आराम देना चाहते थे।’ उन्होंने कहा, ‘शरीर को आराम देना जरूरी है। वह लंबे समय से ओलंपिक के लिए कड़ी ट्रेनिंग कर रही थीं, इसलिए आराम जरूरी था।’
दोनों ने नए ओलंपिक चक्र में संशोधित श्रेणियों का भी इंतजार किया और जब अंतरराष्ट्रीय महासंघ ने इसका खुलासा किया, तो खबर उतनी अच्छी नहीं थी। सबसे कम वजन श्रेणी को 49 किग्रा से 48 किग्रा कर दिया गया था। पहली नजर में तो यह सिर्फ एक किलोग्राम कम था, लेकिन मीराबाई के लिए यह प्रतियोगिता की उनकी तैयारी के लिए एक गहरा अर्थ रखता था।
अतिरिक्त एक किग्रा वजन कम करना बहुत बड़ी बात: मीराबाई चानू
मीराबाई ने कहा, ‘मेरे लिए वह अतिरिक्त एक किग्रा वजन कम करना बहुत बड़ी बात है। मुझे अपने आहार पर नियंत्रण रखना होगा। अपने वजन पर नजर रखनी होगी और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मेरी मांसपेशियां कमजोर न हों।’ विजय शर्मा ने कहा, ‘कुछ हद तक, यह भी डर है कि उम्र के साथ (मीराबाई 31 साल की हैं) क्या वह मैच के दिन वजन कम कर पाएंगी और वजन बढ़ा पाएंगी।’
पेरिस में विनेश फोगाट की घटना आज भी ताजा
यही वजह थी कि उन्होंने मीराबाई को कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप के घरेलू ट्रायल में हिस्सा लेने का फैसला लिया। इसमें कोई संदेह नहीं था कि वह टीम में जगह बनाएंगी, लेकिन विचार मैच के दिन की परिस्थितियों का अनुकरण करने का था। विजय शर्मा के अनुसार, ‘वहां मीराबाई को 48 किग्रा तक वजन कम करने में थोड़ी परेशानी हुई।’ डायटीशियन और फिजियो ने भी काम शुरू कर दिया है। पेरिस में विनेश फोगाट की घटना (एक एथलीट द्वारा अपने इवेंट के लिए वजन न घटा पाने) के निशान आज भी दिलो-दिमाग में ताजा हैं।