ओ भैया (पंजाबी में पैया) साडे खेतां विच पानी दी वारी आ साडी, औ भैया ट्रैक्टर कड, ओ भैया चा बणा दे, ओ भैया साडी दाल विच तड़का ला दे…। ऐसी आवाजें पंजाब के अधिकतर गांवों (पिंडों) में सुनाई देती हैं। यूपी-बिहार में किसी को भैया कहना जहां आदर और सम्मान का भाव दिखाता है, वहीं पंजाब में भैया ऐसे लोगों को कहा जाता है जो दूसरे राज्यों से इस सूबे में आए हैं।
ऐसे लोग अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए बड़ी संख्या में पिछले कुछ सालों में पंजाब आए और यहीं के कल्चर में घुल-मिल गए। बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो पंजाबी सभ्याचार, पंजाबी बोली और सिख धर्म के रीति-रिवाजों को जानने-पहचानने और सम्मान देने लगे। लेकिन पिछले कुछ सालों से पंजाब में भैयों यानी प्रवासियों के खिलाफ जोर-शोर से आवाज उठ रही है।
कहा जा रहा है कि पंजाब में हो रहे अपराधों में प्रवासियों का हाथ है। ये लोग अपराध करते हैं और इस वजह से पंजाब का माहौल खराब हो रहा है।
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प्रवासियों को बाहर निकालने की मांग
9 सितंबर को पंजाब के होशियारपुर में 5 साल के बच्चे की हत्या कर दी गई। इस हत्या का आरोप एक प्रवासी व्यक्ति पर लगा। इसके बाद से पूरे पंजाब में बड़े पैमाने पर यह शोर मच गया कि प्रवासियों को पंजाब से बाहर खदेड़ दिया जाए। पंजाब के कई गांवों की पंचायतों ने प्रस्ताव पास कर दिया कि प्रवासियों को गांव में किराए पर कमरा नहीं दिया जाएगा और उनके राशन कार्ड या वोटर कार्ड भी नहीं बनाए जाएंगे। होशियारपुर की घटना के बाद से ही पंजाब के कई शहरों में प्रवासी भगाओ-पंजाब बचाओ के नारे जोर-शोर से लग रहे हैं।
गुरुद्वारों से भी प्रवासियों के खिलाफ अपील की जाने लगी। इसका असर यह हुआ कि बहुत बड़ी संख्या में प्रवासी जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग ज्यादा हैं, वे राज्य को छोड़कर जाने लगे। रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों पर प्रवासियों की लंबी कतार लग गई।
देश-विदेश में रह रहे पंजाबी
अब आते हैं सबसे अहम सवाल पर। क्या किसी एक व्यक्ति के अपराध करने से उसकी पूरी जाति, पूरे धर्म, पूरे समाज को टारगेट किया जाना चाहिए? पंजाब से बड़ी संख्या में लोग विदेशों में गए हैं और वहां अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं, अगर वहां पंजाब का कोई शख्स अपराध करता है और इसके लिए उसके पूरे समाज को निशाना बनाया जाएगा तो फिर पंजाब के लोगों को कैसा लगेगा? अगर वहां से पंजाब के लोगों को बाहर निकालने की बात उठने लगे तो उन्हें कैसा लगेगा, जवाब साफ है कि उन्हें बहुत बुरा लगेगा।
इसी तरह पंजाब से बड़ी संख्या में लोग हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में अपने काम के लिए जाते हैं और रह भी रहे हैं। किसी भी राज्य, देश या समाज का काम एक-दूसरे से मदद लिए बिना नहीं चल सकता। ऐसे में क्यों विघ्न का बीज बोएं?
कहना बहुत आसान है कि प्रवासियों को भगाओ, पंजाब बचाओ लेकिन अगर आप पंजाब में जाकर जमीनी हकीकत को देखेंगे तो आपको साफ समझ में आएगा कि प्रवासियों के बिना पंजाब एक महीना भी नहीं चल सकता। पंजाब में खेती से जुड़ा लगभग सारा काम प्रवासी ही करते हैं। इसके अलावा फैक्ट्रियों के काम, घरों के काम में भी प्रवासियों की अहम भूमिका है।
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प्रवासियों में डर का माहौल
बड़ी संख्या में यूपी-बिहार और कई अन्य राज्यों के लोग पंजाब में 30-40 सालों से रह रहे हैं और वे पंजाब को छोड़कर नहीं जाना चाहते। यह जो नफरत का माहौल बना है, इससे प्रवासियों में बहुत ज्यादा डर है। प्रवासी यूट्यूब चैनलों के सामने इस बात को खुलकर कहते हैं कि जिसने अपराध किया है उसे सख्त सजा दी जाए लेकिन इसका दोष सारे प्रवासियों के मत्थे ना मढ़ा जाए। सभी को इसके लिए दोषी न ठहराया जाए।
पंजाब में कई गांवों के सरपंचों का कहना है कि प्रवासी मजदूर यहां आए, काम करें और उसके बाद वापस चले जाएं, उन्हें यहां पक्के तौर पर रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने पंजाब सरकार से भी मांग की है कि ऐसा कानून बनाया जाए जिससे बाहर के लोग पंजाब में जमीन नहीं खरीद सके और बाहर से आने वाले लोगों की जांच-पड़ताल की जानी चाहिए।
किराये पर ना दें कमरा
तमाम यूट्यूब चैनलों पर पंजाब के गरम ख्याली लोगों के बयान चल रहे हैं कि प्रवासियों को यहां पर किराये का कमरा न दिया जाए। इन्हें जमीन न बेची जाए और इनका किसी तरह का आईडी प्रूफ पंजाब में नहीं बनाया जाना चाहिए। यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया के दूसरे प्लेटफार्म के जरिए प्रवासियों के खिलाफ यह नफरत जंगल में आग की तरह फैल रही है और इससे जो प्रवासी पंजाब की धरती पर रह रहे हैं, बहुत डरे हुए हैं, उनके परिवार वाले डरे हुए हैं।
पंजाब की तरक्की में है प्रवासियों का योगदान
पिछले कुछ दिनों में पंजाब में जिस तरह का माहौल प्रवासियों के खिलाफ बनाया गया है, वह समाज को तोड़ने और बांटने वाला है। पिछले कई सालों से प्रवासी पंजाब में रहकर अपना काम कर रहे हैं और वहां के लोगों के सुख-दुख के साथी हैं। उन्होंने अपने खून-पसीने और मेहनत से पंजाब को सींचा है।
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पंजाब के गांवों में पशुओं को चारा डालने से लेकर खेतों और घर का काम संभालने में भी प्रवासियों की अहम भूमिका है। पंजाब के लोग भी इस बात को समझते हैं कि किसी एक शख्स या किसी समाज में दो-चार लोगों के गलत होने से पूरा समाज गलत नहीं हो जाता। इसलिए कुछ आवाजें प्रवासियों के पक्ष में भी सुनाई दी हैं लेकिन इस तरह का माहौल पंजाब के अंदर बनाया जाना जो एक बॉर्डर स्टेट है जिसकी 550 किलोमीटर लंबी सीमा पाकिस्तान से लगती है और जो लंबे समय तक आतंकवाद का शिकार रहा है, वहां पर कतई ठीक नहीं है।
पंजाब गुरुओं-पीरों की धरती है, जहां सभी को आदर-सत्कार मिलता रहा है लेकिन अपने ही देश के लोगों को वहां से बाहर निकालने की मांग करना दिल को चोट पहुंचाने जैसा है।
पंजाबी और प्रवासी समाज के जिम्मेदार और समझदार लोगों को मिल-जुलकर इस मसले को हल करना चाहिए।