Priyanka Gandhi Wayanad Bypoll 2024: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा केरल की वायनाड सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं। प्रियंका गांधी का यह पहला चुनाव है। प्रियंका पिछले कई सालों से कांग्रेस पार्टी के लिए लगातार चुनाव प्रचार कर रही हैं और अब जाकर उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला है। वायनाड लोकसभा सीट से 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके भाई और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने जीत दर्ज की थी।
राहुल गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव में वायनाड और रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव जीते थे। तब लंबे वक्त तक यह उधेड़बुन चली थी कि राहुल गांधी कौन सी सीट से इस्तीफा देंगे और कौन सी सीट से सांसद रहेंगे क्योंकि नियमों के मुताबिक कोई भी शख्स एक ही सीट से विधायक या सांसद रह सकता है।
कांग्रेस और गांधी परिवार के भीतर चले लंबे मंथन के बाद पार्टी ने यह तय किया कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद बने रहेंगे और केरल की वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे। बाद में यहां से जब उम्मीदवार के चयन की बात आई तो कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को अपना उम्मीदवार बनाया।
2011 की जनगणना के अनुसार वायनाड में 41% मुस्लिम आबादी है।
प्रियंका गांधी लंबे वक्त से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी लेकिन बावजूद इसके प्रियंका गांधी चुनाव लड़ने के लिए वायानाड क्यों गईं? अगर वह रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़तीं तो शायद उत्तर प्रदेश में पार्टी के लिए ज्यादा काम कर सकती थीं। इसे समझने के लिए वायनाड में हुए पिछले कुछ लोकसभा चुनाव के आंकड़ों का विश्लेषण करना होगा।
2009 से लगातार जीत रही कांग्रेस
2008 में देश भर में लोकसभा सीटों के हुए परिसीमन के बाद वायनाड संसदीय सीट अस्तित्व में आई थी और 2009 से अब तक कांग्रेस ने यहां लगातार जीत दर्ज की है। यहां कांग्रेस का मुकाबला वाम दलों से होता रहा है। बीजेपी ने वायनाड में नव्या हरिदास को उम्मीदवार बनाया है।
2009 के लोकसभा चुनाव में वायनाड से कांग्रेस के दिग्गज नेता एम आई शानवास जीते थे। 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और वाम दलों के बीच वायनाड में बेहद करीबी मुकाबला रहा और तब कांग्रेस की जीत का अंतर सिर्फ 21,000 वोटों का था। तब सीपीआई के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी थे। इस बार भी सीपीआई ने सत्यन मोकेरी को ही टिकट दिया है।
पिछले कुछ चुनावों में वायनाड में कांग्रेस का वोट शेयर
2018 में एम आई शानवास की मौत हो गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने वायनाड से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा। वायनाड ने राहुल और कांग्रेस को बहुत बड़ा सहारा दिया क्योंकि राहुल तब बीजेपी नेता स्मृति ईरानी से अमेठी में चुनाव हार गए थे। 2014 में हुए कड़े मुकाबले के विपरीत वायनाड में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली। राहुल गांधी को 64.8% वोट मिले और उन्होंने सीपीआई के उम्मीदवार को 4.32 लाख वोटों से हराया था। हालांकि 2024 में राहुल गांधी की जीत का अंतर और वोट शेयर घट गया लेकिन वाम दलों की मजबूत दावेदारी के बाद भी वायनाड कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ खड़ा रहा।
2024 में कांग्रेस को 59.69% वोट मिले और राहुल गांधी ने सीपीआई की उम्मीदवार एनी राजा को 3.64 लाख वोटों के अंतर से हराया था।
वायनाड लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं। 2011 में कांग्रेस ने यहां 31.1% वोट हासिल किए थे, 2016 में यह आंकड़ा 26.9% और 2021 में 34.5% हो गया था। 2011 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने वायनाड की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की लेकिन 2016 में यह आंकड़ा तीन और 2021 में चार हो गया था।
2024 के लोकसभा चुनाव में केरल बीजेपी के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने वायनाड सीट से 141,045 वोट हासिल किए थे। ऐसे में यहां इस बार त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है।
प्रियंका ने अपने पिता राजीव गांधी, मां सोनिया और भाई राहुल सहित कांग्रेस के कई उम्मीदवारों के लिए लंबे वक्त तक प्रचार किया है। अब जब वह खुद वायनाड से चुनाव मैदान में उतरी हैं तो देखना होगा कि उन्हें कितना समर्थन मिलेगा?