कर्नाटक भाजपा प्रमुख (Karnataka BJP President) नलिन कुमार कतील (Nalin Kumar Kateel) का टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) को लेकर दिया गया हालिया बयान विवादास्पद हो गया है। टीपू बनाम सावरकर के बयान से पहले भी विवाद पैदा कर चुके कतील ने अब कहा है कि, “टीपू सुल्तान के समर्थकों को जंगल में खदेड़ देना चाहिए। यहां केवल राम का भजन करने वालों को रहना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “राज्य के लोगों को सोचना चाहिए कि वह भगवान राम और हनुमान के भक्तों को चाहते हैं या फिर टीपू के वंशजों को। मैं भगवान हनुमान की धरती से चुनौती देता हूं कि जो लोग टीपू को प्यार करते हैं, उन्हें यहां नहीं रहना चाहिए। जो लोग भगवान राम के भजन गाते हैं और भगवान हनुमान के समर्थक हैं, वहीं यहां रहने चाहिए।” पिछले कुछ वर्षों से भाजपा टीपू सुल्तान के खिलाफ नज़र आ रही है। सवाल उठता है कि क्या भाजपा के लिए टीपू सुल्तान हमेशा विलेन रहे हैं, तो इसका संक्षिप्त जवाब है- नहीं।

2015 के बाद बदला विचार!

इस बात के लिखित साक्ष्य हैं कि टीपू सुल्तान को लेकर भाजपा और आरएसएस के विचार 2015 के बाद व्यापक रूप से बदले हैं। साल 2015 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पाञ्चजन्य में टीपू सुल्तान की जयंती के विरोध में एक लेख छपा था। उस लेख में टीपू को दक्षिण का औरंगजेब बताया गया था। जबकि 1970 के दशक में RSS ने अपनी भारत-भारती श्रृंखला में टीपू की प्रशंसा की थी और देशभक्त बताया था। कन्नड़ भाषा की भारत-भारती श्रृंखला के तहत प्रकाशित पुस्तिका में RSS ने टीपू सुल्तान की व्याख्या एक राष्ट्रनायक की तरह की थी।

BJP CM ने की थी टीपू सुल्तान की प्रशंसा

साल 2012 की बात है। कर्नाटक में भाजपा की सरकार थी। मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार थे। तब राज्य की डिपार्टमेंट ऑफ कन्नड़ एन्ड कल्चर ने ‘टीपू सुल्तान – ए क्रूसेडर फॉर चेंज’ नामक एक पुस्तक प्रकाशित की थी। किताब डॉ. शेख अली ने लिखी है। 338 पन्नों की इस किताब में टीपू सुल्तान की उपलब्धियों और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उनकी लड़ाई के बारे में बताता गया है। किताब के लिए तत्कालीन मुख्यममंत्री जगदीश शेट्टार ने लेखक और विभाग को बधाई भी दी थी। भाजपा नेता और मुख्यमंत्री शेट्टार ने अपने संदेश में लिखा था,

…कर्नाटक का आधुनिक इतिहास टीपू सुल्तान द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाना जाता है। उन्हें मैसूर साम्राज्य के शेर के रूप में जाना जाता है। राष्ट्र राज्य की उनकी अवधारणा, राज्य उद्यमिता का उनका विचार, उनका उन्नत सैन्य कौशल, सुधारों के लिए उनका उत्साह, आदि उन्हें अपनी उम्र से बहुत आगे एक अद्वितीय नेता बनाती हैं।

बाएं से- कर्नाटक सरकार में मंत्री रहे गोविंद करजोल का संदेश और कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे जगदीश शेट्टार का संदेश (Photo Credit – Twitter/churumuri)

भाजपा के मंत्री ने की थी तारीफ

डॉ. शेख अली की किताब को लेकर प्रकाशित संदेश में ही कर्नाटक सरकार के तत्कालीन मंत्री गोविंद मकथप्पा करजोल ने टीपू सुल्तान की प्रशंसा की थी। साथ ही उन्हें स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा भी बताया था। टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर 1750 को कर्नाटक के देवनाहल्ली में मैसूर के शासक हैदर अली खां के घर हुआ था। बाद में टीपू सुल्तान भी मैसूर के शासक बने थे।