भारत की सियासत में कुछ नेता ऐसे भी हुए जो अपनी राजनीति के साथ-साथ स्टाइल और ड्रेसिंग सेंस के लिए चर्चा में रहे। इस लिस्ट में जवाहरलाल नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक का नाम शामिल किया जा सकता है। नरेंद्र मोदी के कपड़ों के अलावा उनके लुक की भी खूब चर्चा होती है, खासकर उनकी दाढ़ी की। पीएम मोदी भारत चौथे ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो दाढ़ी रखते हैं। उनसे पहले मनमोहन सिंह, आई के गुजराल और चंद्रशेखर दाढ़ी रखने वाले प्रधानमंत्री हुए। चंद्रशेखर के दाढ़ी रखने का किस्सा बहुत दिलचस्प है।

Continue reading this story with Jansatta premium subscription
Already a subscriber? Sign in

मजबूरी में बढ़ी दाढ़ी बन गया स्टाइल

चंद्रशेखर के एक मित्र थे- माताबदल जायसवाल। पीएचडी कर रहे माताबदल को लंदन के ओरिएंटल इंस्टीट्यूट ने इंटरव्यू के लिए बुलाया। इंटरव्यू जयपुर में होना था, तो वह चंद्रशेखर को भी साथ ले गए। चंद्रशेखर को रोज दाढ़ी बनवाने की आदत थी। उनके हॉस्टल (हिन्दू हॉस्टल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) में रोज नाई आता था। वह सभी कमरों में जाता और छात्रों की दाढ़ी बना देता। नाई की फीस डेढ़ रुपये महीना थी।

रोज दाढ़ी बनवाने वाले चंद्रशेखर को एक दिन में ही चेहरे पर खुजली होने लगी। जयपुर के खासकोठी के पास उन्होंने सैलून को खोजना शुरू किया। कोई सैलून नहीं मिला। कुछ नाई मिले जो जमीन पर ईंट रखकर बैठे थे। उनसे दाढ़ी बनवाना चंद्रशेखर ने सुरक्षित नहीं समझा। इस तरह दो दिन बीत गए। इसके बाद चंद्रशेखर ने सोचा कि इरादा तो समाजवाद लाने का है। दाढ़ी से ही परेशान हो जाउंगा तो क्या ही कर पाऊंगा। इस तरह उन्होंने दाढ़ी बनाना ही छोड़ दिया।

‘गोलवलकर बनने का विचार है’

चंद्रशेखर के दोस्त इंटरव्यू में नहीं चुने गए। अब दोनों जयपुर से निकल चितौड़ पहुंचे। फिर अजमेर गए। वहां माताबदल के एक मित्र अपने परिवार के साथ रहते थे। वहीं चंद्रशेखर के कुछ और दिन बीते। अंतत: जब वह अपने विश्वविद्यालय लौटे तो उनके आरएसएस के दोस्त पूछने लगे कि अशोक मेहता बन रहे हो क्या? इस पर चंद्रशेखर ने जवाब दिया- गोलवलकर बनने का विचार है, धीरे-धीरे वही बन जाऊंगा।

बता दें अशोका मेहता प्रखर समाजवादी नेता थे। सांसद तथा विचारक अशोक मेहता ने आजादी के आंदोलन में भी भाग लिया था। वह कुछ समय तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे।