UP Assembly By Election: उत्तर प्रदेश में 9 सीटों के लिए होने जा रहे उपचुनाव में सपा और बीजेपी के जोरदार मुकाबले की चर्चाओं के बीच इस बात पर भी बहस हो रही है कि क्या कांग्रेस ने उपचुनाव में हथियार डाल दिए हैं? इस बहस के पीछे वजह साफ है कि सभी 9 सीटों पर सपा चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस ने उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है।
निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार हुआ था। उन्हें उम्मीद थी कि उपचुनाव में भी पार्टी गठबंधन के तहत कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जीत भी दर्ज करेगी। लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने समाजवादी पार्टी के साथ बातचीत के बाद चुनाव में नहीं उतरने का फैसला किया। इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह एक आत्मघाती कदम है।
लोकसभा चुनाव 2024 में 6 सीटें जीती कांग्रेस
राजनीतिक दल | 2024 में मिली सीटें | 2019 में मिली सीटें |
बीजेपी | 33 | 62 |
सपा | 37 | 5 |
कांग्रेस | 6 | 1 |
बीएसपी | 0 | 10 |
रालोद | 2 | – |
अपना दल (एस) | 1 | 2 |
आजाद समाज पार्टी(कांशीराम) | 1 | – |
दो सीटों पर चुनाव लड़ने से किया इनकार
उत्तर प्रदेश में उपचुनाव वाली 9 सीटों को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच लंबे वक्त तक बातचीत चली और अंतिम वक्त में यह खबर सामने आई कि सपा कांग्रेस को दो सीटें- खैर और गाजियाबाद देना चाहती है। लेकिन कांग्रेस इन सीटों से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थी और अंत में कांग्रेस की ओर से किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला ले लिया गया।
कांग्रेस गाजियाबाद और खैर की सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए इसलिए तैयार नहीं थी क्योंकि इन सीटों पर बीजेपी काफी मजबूत है और यहां पर चुनावी हालात उसके लिए अनुकूल नहीं थे।
इन 9 सीटों पर हो रहा है उपचुनाव
विधानसभा सीट का नाम | संबंधित लोकसभा |
कटेहरी | अंबेडकर नगर |
मझवां | मिर्जापुर |
मीरापुर | मुजफ्फरनगर |
सीसामऊ | कानपुर नगर |
करहल | मैनपुरी |
फूलपुर | फूलपुर |
खैर | अलीगढ़ |
कुंदरकी | मुरादाबाद |
गाजियाबाद | गाजियाबाद |
प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में हमें खैर में 1500, गाजियाबाद में 11 हजार वोट मिले थे और सपा के समर्थन से हम इन सीटों पर 60 हजार से ज्यादा वोट ला सकते थे और इससे कम से कम पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश जाता कि हम चुनावी लड़ाई में हैं।
4 से 5 सीटों पर लड़ना चाहते थे नेता
कांग्रेस ने कहा है कि उसने यह फैसला इंडिया गठबंधन को मजबूत करने के मकसद से लिया है लेकिन राज्य के अंदर इस फैसले को लेकर पार्टी के कार्यकर्ताओं की निराशा साफ पता चलती है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने इस मामले में कहा कि इंडिया गठबंधन एकजुट होकर चुनाव लड़ रहा है और पार्टी का हर समर्पित कार्यकर्ता गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने के लिए काम करेगा लेकिन प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उत्तर प्रदेश में पार्टी के कई नेता इन 9 में से कम से कम 4 से 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते थे।
बताना होगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। तब पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी। ऐसा तब हुआ था जब राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुद पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी।
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हरियाणा में हार के बाद पीछे हटी कांग्रेस?
ऐसा लगता है कि हरियाणा के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस एकदम डिफेंसिव मोड में आ गई है। हरियाणा में कांग्रेस के प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी वहां सरकार बनाएगी लेकिन यहां पर सभी राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान, एग्जिट पोल फेल हो गए और बीजेपी ने सरकार बना ली।
हरियाणा में हार के बाद उत्तर प्रदेश में पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व एक और हार का जोखिम नहीं उठाना चाहता था और वह यह भी नहीं चाहता था कि उस पर गठबंधन को तोड़ने वाली पार्टी का कोई आरोप लगे।
हरियाणा में चुनाव लड़ना चाहती थी सपा
हरियाणा में उत्तर प्रदेश के ठीक उलट हुआ था जहां पर सपा ने कुछ सीटें मांगी थी लेकिन तब कांग्रेस ने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया था और चुनावी गठबंधन नहीं किया था। जबकि सपा का यह मानना था कि हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट में जहां पर यादव मतदाताओं की अच्छी संख्या है, वहां पर उसे गठबंधन में चुनाव लड़ना चाहिए। हरियाणा में सीट बंटवारे में खुद को नजरअंदाज किए जाने की वजह से शायद सपा ने उत्तर प्रदेश में आक्रामक रूप दिखाया और जल्दी-जल्दी अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया।
…हमें चुनाव लड़ना चाहिए था
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व सपा के साथ संबंधों में किसी तरह का तनाव नहीं चाहता क्योंकि 2027 के विधानसभा चुनाव तक सपा और कांग्रेस अपने गठबंधन को तोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि ऐसा होने पर अल्पसंख्यक मतदाताओं का समर्थन उनके हाथ से निकल सकता है। कांग्रेस नेता ने कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश इकाई को उसके भाग्य पर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि हमें भले ही गठबंधन में एक-दो सीटें ही मिलती लेकिन मजबूती से चुनाव जरूर लड़ना चाहिए था।
हालांकि उपचुनाव में उम्मीदवारों के ऐलान को लेकर सपा के क्या इरादे हैं, इसका संकेत तब मिला था जब हरियाणा के नतीजों के अगले ही दिन सपा ने उपचुनाव वाली 9 सीटों में से 6 पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था। इनमें वे सीटें भी शामिल थीं जिन पर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती थी और इन सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को जीत भी नहीं मिली थी।
सपा और बीजेपी ने चुनाव में सभी 9 सीटें जीतने का दावा किया है। देखना होगा कि उपचुनाव में सपा और बीजेपी के बीच होने वाली सीधी लड़ाई में कौन सा दल जीत हासिल करेगा। बीजेपी ने 9 में से एक सीट (मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर) अपने सहयोगी दल आरएलडी को दी है। 13 नवंबर को इन सभी 9 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा और 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी।