मोदी सरकार के मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को लेकर दिए गए एक बयान पर देश में सियासी संग्राम छिड़ गया है। कांग्रेस ने सवाल पूछा है कि क्या रवनीत सिंह बिट्टू इस तरह के बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर दे रहे हैं?

अपने सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी को लेकर दिए गए बयान पर पूरी पार्टी एकजुट होकर राहुल के साथ खड़ी हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि वह इस तरह के बयान देने वाले सभी नेताओं पर कार्रवाई करें। इसके जवाब में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र भेजकर पीएम मोदी को लेकर राहुल गांधी समेत पार्टी नेताओं के द्वारा की गई बयानबाजी पर सख्त नाराजगी जताई है।

कांग्रेस की केंद्रीय इकाई के बड़े नेताओं से लेकर राज्यों में कुर्सी संभाल रहे नेता भी बिट्टू के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

खबर में आगे बढ़ने से पहले यह जानना जरूरी होगा कि रवनीत सिंह बिट्टू ने राहुल गांधी को लेकर क्या कहा था और साथ ही यह भी कि इससे पहले राहुल गांधी ने क्या कहा था। क्योंकि बिट्टू ने राहुल गांधी के द्वारा अमेरिका में सिख समुदाय को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ही वह बयान दिया जिसे लेकर कांग्रेस जबरदस्त विरोध कर रही है।

बेंगलुरु में दर्ज हुई एफआईआर 

इस मामले में रवनीत सिंह बिट्टू के खिलाफ बेंगलुरु में एफआईआर दर्ज हो गई है। बेंगलुरु के हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में दी गई शिकायत के आधार पर बिट्टू के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसके अलावा एक अन्य शिकायत में हाई ग्राउंड्स पुलिस ने कर्नाटक के बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। एफआईआर के मुताबिक, 14 सितंबर को बीजेपी विधायक ने नागमंगला में मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी के जन्मस्थान को लेकर सवाल उठाया था और उन पर व्यक्तिगत हमला भी किया था। 

क्या कहा था राहुल ने?

राहुल गांधी ने अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान भारत में सिख समुदाय की सुरक्षा को लेकर सवाल किया था। राहुल ने कहा था कि लड़ाई इस बात की है कि भारत में सिख समुदाय के लोगों को देश में पगड़ी, कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी या नहीं, वे अपने गुरुद्वारों में जा सकेंगे या नहीं?

इसके बाद बिहार के भागलपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बिट्टू ने कहा था कि राहुल गांधी देश के सबसे बड़े दुश्मन और आतंकी हैं। बिट्टू ने कहा था कि राहुल गांधी ने ऐसा बयान देकर सिख समुदाय को बांटने की कोशिश की है।

अब बात करते हैं कि रवनीत सिंह बिट्टू कौन हैं?

रवनीत सिंह बिट्टू लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पंजाब कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार थे। वह पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं। बेअंत सिंह ने पंजाब में चरमपंथ के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी लेकिन 1995 में चरमपंथियों के एक हमले में उनकी मौत हो गई थी।

रवनीत सिंह बिट्टू जब राजनीति में उतरे तो उन्हें बेअंत सिंह के पोते होने की वजह से काफी मान-सम्मान और पहचान पंजाब में मिली थी। कांग्रेस ने उन्हें 2009 में आनंदपुर साहिब लोकसभा सीट से टिकट दिया था। तब बिट्टू पहली बार सांसद बने थे। बिट्टू 2014 और 2019 में भी कांग्रेस के टिकट पर लुधियाना से लोकसभा का चुनाव जीते थे।

पंजाब युवक कांग्रेस का अध्यक्ष रहते हुए रवनीत सिंह बिट्टू ने नशे के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया था।

2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिट्टू बीजेपी में शामिल हो गए थे और बीजेपी ने उन्हें लुधियाना से ही उम्मीदवार बनाया था। लेकिन बिट्टू बेहद नजदीकी मुकाबले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से चुनाव हार गए थे।

बीजेपी ने दी अहमियत, हारने के बाद भी बनाया मंत्री

लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी जब बीजेपी ने मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में रवनीत सिंह बिट्टू को जगह दी तो लोगों को काफी हैरानी हुई थी क्योंकि पंजाब में बीजेपी का बहुत बड़ा आधार नहीं है। लेकिन फिर भी बीजेपी ने बिट्टू को मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया और मंत्री बने रहने के लिए यह जरूरी था कि वह लोकसभा या राज्यसभा के सदस्य बनें।

इसके बाद उन्हें राजस्थान से राज्य राज्यसभा भेजा गया। तब यह माना गया था कि बीजेपी ने ऐसा करके हरियाणा में पंजाब, अंबाला, कुरुक्षेत्र, सिरसा के इलाकों में रहने वाली पंजाबी और सिख बिरादरी के साथ ही पंजाब के सिख मतदाताओं को भी अपने साथ लाने की कोशिश की है।

यह भी कहा गया था कि बिट्टू को भारत सरकार में मंत्री बनाए जाने का फैसला बीजेपी ने पंजाब में होने वाले 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए लिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने बिट्टू की जीत के लिए काफी जोर लगाया था।

अलगाववादियों के खिलाफ हैं बिट्टू

बिट्टू सिख समुदाय से आते हैं लेकिन उन्हें पंजाब में हिंदू-सिख भाईचारे का नेता माना जाता है। वह हिंदू समुदाय के धार्मिक कार्यक्रमों में भी लगातार शामिल होते रहे हैं। लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जब अलगाववाद और खालिस्तान की बात करने वाले अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब से चुनाव लड़ा था तब भी रवनीत सिंह बिट्टू ने उनके खिलाफ खुलकर आवाज उठाई थी।

बिट्टू ने कहा था कि पंजाब के अमन और शांति के लिए अमृतपाल सिंह जैसे लोगों का चुनाव में हारना बेहद जरूरी है। हालांकि अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब सीट से जेल में रहते हुए ही चुनाव जीत लिया था।