नेपाल सरकार द्वारा 26 सोशलमीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के बाद युवा भड़क उठे और सोमवार को सड़कों पर उतर आए। नेपाल के युवाओं के ने अपने प्रदर्शन को जेन-जी (वर्ष 1997 से 2012 के बीच पैदा होने वाली पीढ़ी) का आन्दोलन बताया है। शासन द्वारा प्रदर्शनकारियों के दमन के प्रयास में 19 लोगों की मौत हो गयी और 400 से अधिक लोग घायल हुए।

नेपाल सरकार सोमवार देर रात सोशलमीडिया प्लेटफॉर्म पर लगाया गया प्रतिबन्ध वापस ले लिया मगर मंगलवार को भी प्रदर्शन जारी रहा। प्रदर्शनकारियों ने पीएम ओली, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कुमार दाहाल और शेर बहादुर देउबा के निजी घरों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन और संसद भवन में भी आगजनी की। आखिरकार मंगलवार शाम को नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद से इस्तीफा देना पड़ा जिसे राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने स्वीकार भी कर लिया।

आइए, जानते हैं कि ओली के राजनीतिक जीवन की शुरुआत कैसे हुई और वह कैसे नेपाल में प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे।

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केपी शर्मा ओली को राष्ट्रवाद की विचारधारा का समर्थक और भारत के साथ टकराव के लिए जाना जाता है। वह चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। दिलचस्प यह है कि एक बार उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ही प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया था।

केपी शर्मा ओली का जन्म 1952 में पूर्वी नेपाल में हुआ था। ओली ने अपनी स्कूली पढ़ाई भी पूरी नहीं की और सिर्फ 22 साल की उम्र में ही वह एक किसान धर्म प्रसाद ढकाल की हत्या के आरोप में उन्हें जेल भेज दिया गया था।

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मार्क्स और लेनिन के विचारों से हुए प्रभावित

ओली का राजनीतिक सफर सिर्फ 12 साल की उम्र में ही शुरू हो गया था। वह उस दौरान मार्क्स और लेनिन के विचारों से प्रभावित थे। 1970 में वह कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए। 1971 में ओली ने झापा विद्रोह की कमान संभाली। इसे नेपाल की कम्युनिस्ट राजनीति में एक अहम घटनाक्रम माना जाता है। झापा विद्रोह सशस्त्र संघर्ष की ओर आगे बढ़ा और इस वजह से ओली को नेपाल की कई जेलों में जेल में रहना पड़ा। ओली ने कुल 14 साल जेल में बताए।

1990 के दशक में ओली पंचायती राज व्यवस्था के खिलाफ मुखर हुए और उन्होंने लोकतांत्रिक आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। धीरे-धीरे वह नेपाल में कम्युनिस्ट राजनीति के बड़े चेहरे बने और 2015 में पहली बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने लेकिन 2016 में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी-केंद्र के समर्थन वापस लेने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

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‘प्रचंड से मिलाया था हाथ

2018 के चुनाव में उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाली माओवादी-केन्द्र के साथ गठबंधन कर दो-तिहाई बहुमत हासिल किया। इसके बाद दोनों पार्टियों का विलय हुआ और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी बनी। ओली और पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने मिलकर प्रधानमंत्री पद साझा किया था। कुछ समय बाद प्रचंड ने समर्थन वापस ले लिया और गठबंधन टूट गया।

2020 में ओली ने अचानक संसद को भंग कर दिया। इसके बाद हालात तेजी से बदले। जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने ओली को पद से हटाकर शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री बनाया।

2022 के आम चुनाव में नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी, उसके बाद सीपीएन-यूएमएल और तीसरे स्थान पर माओवादी-केन्द्र रही। नेपाली कांग्रेस ने प्रचंड को प्रधानमंत्री मानने से इनकार कर दिया। तब प्रचंड ने ओली और नई पार्टी राष्ट्रीय स्वतन्त्र पार्टी (RSP) का समर्थन लिया और प्रधानमंत्री बने। इस तरह ओली किंगमेकर बन गए।

ओली 2015 में 10 महीने, 2018 में 40 महीने, 2021 में तीन महीने और साल 2024 से अब तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे। वह साढ़े पांच साल से अधिक वक्त तक प्रधानमंत्री रहे। 

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