Khalistani terrorist Arshdeep Singh Gill alias Arsh Dalla: कनाडा पुलिस ने जिस अर्शदीप डाला को ओंटारियो में गिरफ्तार किया है, वह पंजाब में गैंगस्टर रह चुका है। वह पंजाब छोड़कर कनाडा क्यों भाग गया, उस पर क्या बड़े आरोप हैं, क्या वह इतना दुर्दांत अपराधी है कि भारत को उसे आतंकवादी घोषित करना पड़ा, उसका आपराधिक इतिहास क्या है? इन सब सवालों के जवाब तलाश करने जरूरी हैं।
अर्शदीप डाला को कनाडा की पुलिस ने गोलीबारी के एक मामले में गिरफ्तार किया है।
डाला गांव का रहने वाला है अर्शदीप
अर्शदीप डाला का असल नाम अर्शदीप सिंह गिल है और उसका जन्म पंजाब के लुधियाना जिले में हुआ था। वह मोगा के डाला गांव का रहने वाला है। भारत सरकार ने इस साल मार्च में कनाडा की सरकार से कहा था कि डाला को गिरफ्तार किया जाए। एनआईए को लगातार उसके बारे में कनाडा में अपने सूत्रों से जानकारी मिल रही थी।
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निज्जर का काम संभाल रहा था डाला
2020 तक डाला पंजाब में गैंगस्टर्स के साथ काम कर रहा था लेकिन उसके बाद वह भाग कर कनाडा चला गया। कहा जाता है कि वहां वह खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर से जुड़ गया। निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में पिछले काफी दिनों से खिंचाव चल रहा है। निज्जर की पिछले कुछ अज्ञात हमलावरों ने उस वक्त हत्या कर दी थी, जब वह एक गुरुद्वारे से बाहर निकल रहा था। निज्जर की हत्या के बाद अर्शदीप ही केटीएफ को चला रहा था और लगातार हत्याओं को अंजाम दे रहा था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल डाला को आतंकवादी घोषित किया था। गृह मंत्रालय का कहना था कि आतंकवादी गतिविधियों के अलावा अर्शदीप डाला हत्या, वसूली, टारगेट किलिंग में भी शामिल है। वह टेरर फाइनेंसिंग, सीमा पार से होने वाली ड्रग्स और हथियारों की तस्करी में भी शामिल है।
पंजाब में हत्याओं को दिया अंजाम
पिछले साल सितंबर में कांग्रेस नेता बलजिंदर सिंह बल्ली की पंजाब के मोगा में हत्या कर दी गई थी। इस हत्या में अर्शदीप के दो गुर्गों का नाम सामने आया था। बलजिंदर सिंह बल्ली कांग्रेस के नेता थे और उनकी हत्या के कुछ ही घंटे बाद और डाला ने फेसबुक पर इसकी जिम्मेदारी ली थी। डाला ने कहा था कि बल्ली ने उसकी मां को एक हफ्ते तक पुलिस की हिरासत में रखा था और दोस्तों को गिरफ्तार करवाया था।
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पंजाब में 9 अक्टूबर को सिख एक्टिविस्ट गुरप्रीत सिंह की हत्या कर दी गई थी और इसमें भी अर्शदीप के गैंग के दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके अलावा अर्शदीप ने पंजाब के जगराओं के इलेक्ट्रीशियन परमजीत सिंह की हत्या की जिम्मेदारी भी ली थी। उसके साथियों ने नवंबर 2020 में डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहर लाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। डाला डेरा सच्चा सौदा के एक अन्य अनुयायी शक्ति सिंह का अपहरण कर उसकी हत्या करने की साजिश रचने में भी शामिल था। इसके बाद ही डाला भारतीय खुफिया एजेंसियों के रडार पर आया था।
डाला के बारे में कहा जाता है कि उसके पास 1 सितंबर, 2017 को जालंधर में जारी किया गया पासपोर्ट है। दिल्ली में 2022 में एक व्यक्ति की सिर काटकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्या को डाला के दो गुर्गों ने ही अंजाम दिया था।
डाला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करके पंजाब और हरियाणा के युवाओं को विदेश में बसने में मदद का वादा करके अपनी गैंग में भर्ती करता है। खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, डाला अपने गुर्गों को हमले और आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल करता है।
लश्कर, ISI से भी हैं डाला के संबंध
दिल्ली पुलिस ने पिछले साल कहा था कि अर्शदीप के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से संबंध हैं। डाला इन दिनों अपनी पत्नी और बेटी के साथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में रह रहा है।
अर्शदीप का नेटवर्क कनाडा, अमेरिका, दुबई, यूरोप, फिलीपींस, थाईलैंड और मिडिल ईस्ट तक फैला हुआ है। एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, डाला कनाडा के गैंगस्टर गौरव पटियाल के साथ मिलकर आतंकी-गैंगस्टर नेटवर्क चलाता है। कहा जाता है कि उसे आईएसआई का सपोर्ट हासिल है। डाला ड्रोन के जरिये पाकिस्तान से पंजाब में हथियारों की तस्करी में भी शामिल है।
बिश्नोई गैंग के साथ टकराव
अर्शदीप का गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के साथ भी टकराव चल रहा है। इन दोनों गिरोह के बीच दिसंबर, 2023 में तब लड़ाई और तेज हुई थी जब कनाडा में भारतीय मूल के कई कारोबारियों को जबरन वसूली के लिए कॉल और धमकियां आने लगी थीं। अर्शदीप की बंबीहा गैंग के लीडर गौरव उर्फ लकी पाटियाल के साथ दोस्ती है और इन दोनों ने ही लॉरेंस बिश्नोई गैंग से दुश्मनी बना ली है। बिश्नोई और बंबीहा के बीच दुश्मनी एक दशक पुरानी है और इसकी शुरुआत 2010-11 में पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव के दौरान हुई थी। 2023 में बिश्नोई गिरोह ने डाला के करीबी सहयोगी सुखदुल सिंह उर्फ सुक्खा दुनीके के घर में घुसकर उसे गोली मार दी थी।
भारत कब लाया जाएगा डाला?
अब सवाल यह है कि अर्शदीप को भारत कब लाया जाएगा। भारत और कनाडा के बीच जिस तरह के रिश्ते मौजूदा वक्त चल रहे हैं ऐसे में अर्शदीप का प्रत्यारोपण हो पाना आसान नहीं है। हालांकि भारत सरकार इसकी लगातार कोशिश कर रही है। कुछ दिन पहले ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने स्वीकार किया था कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक मौजूद हैं हालांकि उन्होंने कहा था कि ऐसे खालिस्तान समर्थक कनाडा के सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
