India Pakistan Conflict Vikram Misri: देश के लोगों को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताने के लिए पहली बार तीन चेहरे मीडिया के सामने आए। इनमें से दो महिला अफसर- विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी थीं और तीसरा चेहरा विदेश सचिव विक्रम मिसरी का था। विक्रम मिसरी 10 मई को उस वक्त अचानक से सोशल मीडिया पर कुछ लोगों के निशाने पर आ गए, जब उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर होने की जानकारी टीवी चैनलों के जरिये दी।
इसके लिए न सिर्फ उन्हें बल्कि उनकी बेटी को भी सोशल मीडिया पर बहुत बुरी तरह टारगेट किया गया। बेहद शांत स्वभाव और परदे के पीछे से रहकर काम करने के लिए पहचाने जाने वाले विक्रम मिसरी ने इसे लेकर कोई रिएक्शन नहीं दिया और अपने सोशल मीडिया हैंडल को प्राइवेट कर लिया।
विक्रम मिसरी ने अपने करियर की शुरुआत एक विज्ञापनकर्ता के रूप में की थी। उन्होंने मुंबई में लिंटास इंडिया और दिल्ली में कॉन्ट्रैक्ट एडवरटाइजिंग में 3 साल तक काम किया लेकिन 1989 में वह इंडियन फॉरेन सर्विस (Indian Foreign Service) में शामिल हो गए।
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प्रचार से दूर रहते हैं मिसरी
एक राजनयिक के तौर पर उन्होंने दुनिया के सबसे कठिन मंचों पर अपनी बात को दमदार ढंग से रखा। विक्रम मिसरी चीन, म्यांमार से लेकर पाकिस्तान तक में राजदूत रह चुके हैं। विक्रम मिसरी के बैचमेट, सहयोगी और पूर्व राजदूत उन्हें पूरी तरह प्रोफेशनल मानते हैं और बताते हैं कि वह ऐसे शख्स हैं जो सोशल मीडिया के इस दौर में भी खुद का प्रचार नहीं करते।
विक्रम मिसरी का शांत स्वभाव भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव के दौरान भी देखने को मिला। 7 से 10 मई के दौरान वह सेना के संपर्क में भी रहे और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के दफ्तर को भी जानकारी देते रहे।
मिसरी को पसंद हैं क्राईम थ्रिलर
मिसरी के बारे में एक सीनियर ब्यूरोक्रेट बताते हैं कि उन्हें क्राईम थ्रिलर काफी पसंद हैं। म्यांमार में राजदूत रहते हुए जब उन्होंने मिसरी से बातचीत की थी तो इस दौरान उनके बीच Dog Day Afternoon, the 1975 Sidney Lumet classic पर चर्चा हुई थी। विक्रम मिसरी श्रीनगर में एक कश्मीरी पंडित परिवार में पले-बढ़े और उनकी शुरुआती पढ़ाई उधमपुर और ग्वालियर में हुई है। उनके सहयोगी बताते हैं कि मिसरी अपने बारे में बहुत कम बात करते हैं।
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2001 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के बीच आगरा शिखर सम्मेलन में मुलाकात हुई थी तो मिसरी के एक पूर्व साथी बताते हैं कि उस दौरान उन्होंने देर रात तक काम किया था। मिसरी इस्लामाबाद में भारतीय मिशन के पहले सचिव भी रह चुके हैं।
गलवान झड़प के दौरान चीन के राजदूत थे मिसरी
2020 में जब भारत और चीन के सैनिकों के बीच गलवान में झड़प हुई थी तो उस वक्त विक्रम मिसरी चीन में भारत के राजदूत थे। उस दौरान दोनों देशों के बीच संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए थे और दोनों देशों के बीच सैन्य, कूटनीति के स्तर पर बातचीत में मिसरी की अहम भूमिका रही थी। अक्टूबर, 2024 में जब भारत और चीन के बीच सैनिकों की वापसी को लेकर समझौता हुआ तो इस बारे में दुनिया को बताने के लिए मिसरी ही सामने आए थे।
2022 से 2024 के बीच विक्रम मिसरी डिप्टी NSA रह चुके हैं और तब उन्होंने NSA अजीत डोभाल के साथ काम किया था। उनके विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ अच्छे संबंध हैं।
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- विक्रम मिसरी के पास एक राजनयिक के रूप में विशाल अनुभव है। चीन और पाकिस्तान के अलावा मिसरी यूरोप, अफ्रीका, एशिया और नॉर्थ अमेरिका में कई इंडियन मिशन में काम कर चुके हैं। वह पूर्व विदेश मंत्रियों आईके गुजराल और प्रणब मुखर्जी के स्टाफ में थे और तीन प्रधानमंत्रियों आईके गुजराल, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं।
पीएमओ, NSA और विदेश मंत्रालय के दफ्तर के कामकाज का मिसरी के पास अच्छा अनुभव है। पहलगाम हमले के बाद जब प्रधानमंत्री मोदी अपनी सऊदी अरब की यात्रा को छोड़कर भारत लौटे तो सबसे पहले विक्रम मिसरी ने ही उन्हें एयरपोर्ट पर इस हमले में पाकिस्तान की भूमिका और अन्य जरूरी बातों की जानकारी दी थी। इसके बाद उन्होंने G-20 के राजदूतों और उच्चायुक्तों को भी इस बारे में बताया और पहलगाम हमले के बारे में पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों का हाथ होने की जानकारी दी। विक्रम मिसरी जुलाई 2024 में विदेश सचिव बने थे और जुलाई 2026 तक इस पद पर रहेंगे।
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