आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (The last Mughal emperor) को आज भी उनकी उर्दू शायरी और अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने के लिए याद किया जाता है। वह 1837 में बादशाह बनाए गए थे। उस वक्त तक देश के काफी बड़े इलाके पर अंग्रेजों का कब्जा हो चुका था।

1857 में जब अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छिड़ा, तब लगभग सभी विद्रोही सैनिकों और राजा-महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना था। 82 वर्षीय बूढ़े बादशाह के नेतृत्व में लड़ी गई उस लड़ाई ने अंग्रेजों के होश फाख्ता कर दिए थे। हालांकि ब्रिटिश हुकूमत विद्रोह को कुचलने में कामयाब रही थी और बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार कर लिया गया था।

अंग्रेजों की गिरफ्तारी में गई थी बहादुर शाह जफर की जान

बहादुर शाह जफर का पूरा नाम मिर्ज़ा अबूजफर सिराजुद्दीन मुहम्मद बहादुर शाह जफर था। विद्रोह का नेतृत्व करने के मामले ने अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार कर बर्मा (अब म्यांमार) भेज दिया। लाल किले की भव्यता के विपरीत वह मौत तक म्यांमार में चार कमरों वाले एक छोटे से घर में नजरबंद रहे। 6 नवंबर 1862 को अंग्रेजों की गिरफ्त में ही आखिरी मुगल शासक को लकवे का तीसरा दौरा पड़ा था। 7 नवंबर की सुबह 5 बजे उनका निधन हो गया था।

डेढ़ सौ साल बाद मिला कब्र

बहादुर शाह जफर की कब्रगाह साल 1991 में खोजी गई थी। दरअसल ब्रिटिश जेलरों ने उन्हें गुप्त रूप से दफन किया था। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिगेडियर जसबीर सिंह ने अपनी किताब ‘कॉम्बैट डायरी: ऐन इलस्ट्रेटेड हिस्ट्री ऑफ़ ऑपरेशन्स कनडक्टेड बाय फोर्थ बटालियन, द कुमाऊं रेजिमेंट 1788 टू 1974’ में बताया है कि, ”रंगून में जिस घर में बहादुर शाह जफर को कैद कर के रखा गया था उसी घर के पीछे उनकी कब्र बनाई गई और उन्हें दफनाने के बाद कब्र की ज़मीन समतल कर दी गई। अंग्रेज अधिकारियों ने ये सुनिश्चित किया कि उनकी कब्र की पहचान ना की जा सके।”

म्यांमार में बहादुर शाह जफर को कहते हैं बाबा

म्यांमार में बहादुर शाह जफर की दरगाह पर हमेशा हुजूम जुटा रहता है। वहां लोग आखिरी मुगल को बाबा कहते हैं। ज़ैनब बीबी नाम की एक महिला ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया था कि, ”वह हिंदुस्तान के सम्राट हो सकते हैं। लेकिन हमारे लिए वह उससे भी बड़े हैं। हम उन्हें ‘बाबा’ कहते हैं क्योंकि वे इतने विद्वान थे, वे सब कुछ जानते थे। उन्होंने सुंदर कविताएँ लिखीं। उनके जैसा दुनिया में कोई दूसरा बाबा नहीं है।”