भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का परिवार स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा था। इंदिरा गांधी के पिता जवाहरलाल नेहरू, दादा मोतीलाल नेहरू, मां कमला नेहरू, बुआ विजयलक्ष्मी पंडित समेत कई अन्य सदस्य आजादी की लड़ाई में शामिल थे। नेहरू परिवार गांधी के दिखाए रास्ते पर चलकर भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए संघर्षरत था।
जालियांवाला बाग हत्याकांड और नेहरू परिवार
नेहरू परिवार के इलाहाबाद स्थित मकान आनंद भवन में उस वक्त उथल-पुथल मच गई, जब 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड हो गया। जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद हल्का-फुल्का विरोध, भयंकर विद्रोह में तब्दील हो गया। उस घटना को आधुनिक भारतीय इतिहास का टर्निंग प्वाइंट भी माना जाता है। वहीं से आजादी की लड़ाई ने एक मुक़म्मल रूप ले लिया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद नेहरू परिवार भी खुलकर आज़ादी की लड़ाई में कूद गया। मोतीलाल नेहरू ने वकालत छोड़ दी। मोहनदास करमचंद गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ दिया, जिसकी वजह से सत्याग्रह और स्वदेशी नेहरू परिवार के लिए धर्मयुद्ध बन गया।
स्वदेशी आंदोलन और नेहरू परिवार
गांधी ने भारत के लोगों से विदेशी सामान, विदेशी शिक्षा, विदेशी नौकरी आदि के बहिष्कार का आह्वान किया था। इसके बाद देशभर में लोग विदेशी सामान जलाने लगे, अंग्रेजों की नौकरी छोड़ने लगे, अंग्रेजों के स्कूल-कॉलेज छोड़ने लगे। गांधी के इस आंदोलन में नेहरू परिवार भी कहां पीछे रहने वाला था। आनंद भवन भी अचानक अपनी ठाट-बाट छोड़कर जमीन से जुड़ने लगा। आनंद भवन के गलीचे, गाड़ियां और झाड़-फानूस आदि गायब होने लगे। परिवार ने विदेशी कपड़ों को आग के हवाले कर दिया।
इंदिरा को मिला ताना
नेहरू परिवार गांधी के इस आंदोलन में पूरी तरह शामिल चुका था। इस दौरान आनंद भवन में कुछ लोग आए जिन्होंने छोटी सी बच्ची इंदिरा गांधी को विदेशी गुड़िया से खेलते देखा। उन लोगों ने इंदिरा गांधी से ताना मारते हुए पूछा कि वह विदेशी गुड़िया से क्यों खेल रही है?
इंदिरा गांधी की जीवनी ‘इंदिरा-भारत की सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री’ लिखने वाली पत्रकार और लेखिका सागरिका घोष अपनी किताब में बताती हैं कि लोगों का ताना सुनने के बाद इंदिरा गांधी ने फ्रांस की बनी अपनी पसंदीदा गुड़िया को आग के हवाले कर दिया। वह दुख, डर और देशभक्ति के कर्तव्य के मिलेजुले भाव से उसे पिघलते हुए देखती रहीं
सागरिका घोष लिखती हैं, “कई वर्ष बाद में उन्होंने किसी के सामने कबूला, ‘वो गुड़ियां मेरी दोस्त, मेरी बच्ची थी… मुझे माचिस की तीली जलाने से आज तक नफरत है।”